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Monday, 18 November, 2024
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दिल्ली के अस्पताल ने मलयालम में बात करने से नर्सों को रोकने वाला आदेश वापस लिया

अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक ने शनिवार को एक परिपत्र जारी करके अपने नर्सिंग कर्मचारियों को काम के दौरान मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा था.

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नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल के चिकित्सा निदेशक ने रविवार को कहा कि अस्पताल ने एक दिन पहले जारी अपने उस विवादास्पद आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें उसके नर्सिंग कर्मचारियों से मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा गया था.

चिकित्सा निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘इस परिपत्र को वापस लेने का औपचारिक आदेश जल्द जारी किया जाएगा. मामले की जांच की जा रही है और इसके बाद कार्रवाई की जाएगी.’

उल्लेखनीय है कि अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक ने शनिवार को एक परिपत्र जारी करके अपने नर्सिंग कर्मचारियों को काम के दौरान मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा था, क्योंकि ‘अधिकतर मरीज और सहकर्मी इस भाषा को नहीं जानते हैं,’ जिसके कारण बहुत असुविधा होती है.

यहां के प्रमुख अस्पतालों में से एक गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जीआईपीएमईआर) द्वारा जारी परिपत्र में नर्सों से कहा गया था कि वे संवाद के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग करें अन्यथा ‘कड़ी कार्रवाई’ का सामना करने के लिए तैयार रहें.


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सोशल मीडिया पर विवाद

इस आदेश के जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर इसकी खूब आलोचना हुई.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक न्यूज़ रिपोर्ट की क्लिप ट्विटर पर साझा की और कहा कि भाषाई भेदभाव को रोका जाए.

केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने भी इस आदेश की आलोचना की.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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