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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशअर्थजगतदूसरी कोविड लहर में भारतीय निर्यात क्यों अच्छा कर रहे हैं और नए प्रतिबंध उन्हें कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं

दूसरी कोविड लहर में भारतीय निर्यात क्यों अच्छा कर रहे हैं और नए प्रतिबंध उन्हें कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं

वैश्विक मांग में सुधार से इंजीनियरिंग वस्तुओं और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है. अप्रैल में निर्यात 2020 की तुलना में 196% और 2019 की तुलना में 17% बढ़ा है.

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नई दिल्ली: वैश्विक मांग में पुनरुद्धार की वजह से अप्रैल में भारत के निर्यात में वृद्धि देखी गयी है, जिसमें रत्न और आभूषण और इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों में महीने के दौरान तेज वृद्धि देखी गई है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पास उपलब्ध व्यापार आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि अप्रैल में निर्यात न केवल अप्रैल 2020 की तुलना में बढ़ा बल्कि अप्रैल 2019 में निर्यात की तुलना में भी ज्यादा देखने को मिला. 2020 में लॉकडाउन के कारण निर्यात में गिरावट आई थी.

निर्यातकों का कहना है कि मई के पहले कुछ हफ्तों में भी उछाल जारी रहेगी, लेकिन राज्यों में लॉकडाउन अब विनिर्माण और लॉजिस्टिक को प्रभावित कर रहे हैं.

अप्रैल में निर्यात 2020 की तुलना में 196 प्रतिशत और 2019 की तुलना में 17 प्रतिशत बढ़ा है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अजय सहाय ने कहा,
‘निर्यात 2019 की तुलना में भी बढ़ रहा है. यह प्रवृत्ति मई में भी जारी रहेगी. भारतीय निर्यातकों के पास ऑर्डर की भरमार है और निर्यात ऑर्डर बुकिंग की स्थिति अच्छी दिख रही है.’

सहाय ने कहा, ‘भारत के निर्यात का मूल्य भी बढ़ गया है क्योंकि कई धातु क्षेत्रों में कई इनपुट और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हुई है.’ उन्होंने कहा कि भारत स्टील जैसे क्षेत्रों में कच्चे माल और अर्द्ध-तैयार वस्तुओं (प्लास्टिक और रसायन)के निर्यात में अच्छा कर रहा है.


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भारत क्या निर्यात कर रहा है?

इंजीनियरिंग सामान, जो भारत के कुल निर्यात का 26 प्रतिशत है, पिछले वर्ष की तुलना में 238 प्रतिशत और 2019 की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़कर 7.9 बिलियन डॉलर (लगभग 56,000 करोड़) हो गया है.

रत्न और आभूषण, जो भारत के निर्यात का 11 प्रतिशत है, पिछले वर्ष की तुलना में 9300 प्रतिशत और 2019 की तुलना में 17 प्रतिशत बढ़ा है.

ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, सूती धागे, कपड़े और हथकरघा, इलेक्ट्रॉनिक सामान, प्लास्टिक और चावल कुछ अन्य निर्यात आइटम हैं जो पिछले साल की तुलना में बढ़ रहे हैं.

वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में टीकाकरण के साथ, कोविड -19 महामारी का खतरा कई उन्नत देशों को धीरे-धीरे अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोलने के लिए प्रेरित कर रहा है.

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि चिकित्सा उपकरण, औद्योगिक मशीनरी और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसी वस्तुओं का निर्यात आशाजनक दिख रहा है.

उन्होंने कहा, ‘ऑर्डर जो बुक हो चुके हैं, अब तक आशाजनक स्थिति में दिखाई से रहे हैं और मई के पहले सप्ताह में अच्छा निर्यात दिखा है.’

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि भारत के निर्यात बाजार पुनर्जीवित हो रहे हैं जिससे निर्यात में वृद्धि हो रही है.

धर ने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से रीबाउंड कर रही है और यह निर्यात में वृद्धि में परिलक्षित हो रहा है. उदाहरण के लिए, उपभोक्ता मांग और लोगों की आय पर निर्भर, रत्न और आभूषण में तेज वृद्धि देखी गई है. इसी तरह, इंजीनियरिंग सामानों में वृद्धि गैर-विद्युत मशीनरी जैसे हल्के इंजीनियरिंग सामानों पर हावी है और वैश्विक पुनरुद्धार के अनुरूप है.’

धर ने कहा, ‘दुनिया भर में बहुत सारे बुनियादी ढांचे में निवेश हो रहा है और यह कई निर्यातों की मांग में वृद्धि को भी बताता है.’

चित्रण : रमनदीप कौर / दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘निर्यात में उछाल कम से कम अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगा और यह भारतीय कंपनियों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि घरेलू मांग पूरी तरह से गिर गई है. विदेशी मांग काम आएगी और फर्मों को अतिरिक्त क्षमता निर्माण के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. भारत का व्यापार और जीडीपी अनुपात पिछले कुछ वर्षों में कम हो रहा है, लेकिन यह प्रवृत्ति अब बदल रही है.’

नए प्रतिबंध निर्यात के लिए अच्छी खबर नहीं

निर्यातकों ने कहा कि निर्यात की मांग जारी है लेकिन मई में लॉकडाउन प्रतिबंध विनिर्माण को प्रभावित कर रहा है और लोजिस्टिक्स में व्यवधान से प्रभावित होने की संभावना है.

सहाय ने कहा, कई राज्यों में केवल निरंतर प्रक्रिया निर्माण की अनुमति दी जा रही है, कागज पर, माल की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान स्पष्ट है.

18 मई की एक रिपोर्ट में, केयर रेटिंग्स ने कई राज्यों में लगाए गए प्रतिबंधात्मक उपायों को हरी झंडी दिखाई और बताया कि कैसे विनिर्माण गतिविधियों पर इसके प्रभाव ने कपड़ा निर्यात की वसूली के लिए खतरा पैदा किया.

देसाई ने कहा कि सरकार को निर्यात की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की जरूरत है. लॉकडाउन के साथ, उत्पादन ठप हो गया है. लॉकडाउन के कारण लॉजिस्टिक्स, इन्वेंट्री और वित्तीय समस्याएं पैदा हो रही हैं. निर्यात उन्मुख इकाइयों और केंद्रों को ‘आवश्यक सेवाओं’ के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन बिना किसी व्यवधान के किया जा सके.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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