नई दिल्ली: रुझानों में डीएमके के ‘उगते हुए सूरज’ चुनाव चिन्ह की जीत नज़र आने के साथ ही, पार्टी के ‘उगते हुए सूरज’ पर भी एक नया फोकस होने जा रहा है. पार्टी प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन सुर्ख़ियों में तब आए थे, जब उन्होंने प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और गृहमंत्री अमित शाह से सीधी टक्कर ली, तथा एआईएडीएमके के वंश के तानों से कतराकर निकल गए.
अब वो चिपॉक-तिरुवल्लिकेनी से (ईसी वेबसाइट के अनुसार शाम 5.20 तक) 24,000 से अधिक वोटों से आगे चल रहे हैं. डीएमके सरकार बनाने जा रही है, चूंकि पार्टी ख़ुद 234 में से 120 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बहुमत का आंकड़ा 118 है.
एक राजनीतिक नौसीखिए
अपने पहले राजनीतिक प्रयास की कामयाबी सुनिश्चित करने के लिए, अभिनेता से नेता बने उदयनिधि अकसर अपने चुनाव क्षेत्र में, सांसद दयानिधि मारन की निगरानी में प्रचार करते देखे जाते थे, जिसमें वो बच्चों को गेद में उठा लेते थे, और जब उनपर फूल बरसाए जाते थे, तो बुज़ुर्गों के सामने हाथ जोड़ लेते थे.
एआईएडीएमके की आईटी विंग के मज़ाक़ का निशाना बनने के बावजूद, डीएमके के युवा विंग के नेता तमिलनाडु चुनावों में, पार्टी के स्टार प्रचारक बनकर उभरे.
उन्होंने 2020 के शुरू में ही, काम करना शुरू कर दिया था, और पूरे प्रदेश में निरंतर प्रचार अभियान चलाया था. लॉकडाउन नियम तोड़ने के लिए, चाहे वो उनका पुलिस के साथ टकराव हो, या अपनी बहन के खिलाफ आयकर छापों के दौरान, मोदी-शाह को उनका चुनौती देना, कि बहन की बजाय उनके पीछे आएं, उदयनिधि ने दिखा दिया कि वो सचमुच, कुछ करने का इरादा रखते हैं.
उनका चुनाव क्षेत्र चिपॉक-तिरुवल्लिकेनी, या चिपॉक-ट्रिप्लिकेन जैसा कि उसे पुकारा जाता है, का संबंध ऐतिहासिक रूप से उनके दादा पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि से रहा है, जिनके पास ये सीट 1996 से 2011 तक रही.
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युवराज होने के तानों का जवाब
उदयनिधि ने बहुत से तानों का शांति से सामना किया, और सवाल किया कि एलके आडवाणी, या यशवंत सिन्हा जैसे बीजेपी दिग्गज उस समय कहा थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें युवराज कहा था.
उन्होंने उस समय भी मोदी से टक्कर ली, जब उन्होंने एक ईंट के साथ प्रचार किया, जो कथित रूप से मदुरई के पास एम्स अस्पताल की थी, जिसका मोदी ने 2016 में वादा किया था, लेकिन जो कभी बना नहीं. बीजेपी पर तंज़ कसते हुए वो कहते थे, कि अस्पताल के नाम पर मोदी के पास, दिखाने के लिए सिर्फ ये एक ईंट है.
हालांकि डीएमके की युवा विंग का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद, उन्हें वंशवाद की सियासत को आगे बढ़ाने के लिए, काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन पार्टी सदस्यों का कहना है, कि वो सही मायनों में, ‘लोगों के नेता’ हैं.
वरिष्ठ डीएमके लीडर एसएस पलानीमनिक्कम ने दिप्रिंट से कहा, ‘वो बहुत सरल इंसान हैं. वो कभी ऐसा ज़ाहिर नहीं करते, कि वो लोगों से ऊपर हैं, और यही बात उन्हें लोगों से जोड़ती है’.
ये पूछने पर कि क्या वो बहुत जल्दी राजनीति में आ गए, करुणानिधि: ए लाइफ के लेखक ए पनीरसेल्वम ने कहा, ‘वो 44 साल के हैं. ये बहुत जल्दी कैसे है? उनके दादा तब सीएम बन गए थे, जब वो 44 साल के थे’.
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