नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उसने अपने जजों के लिए अशोका होटल में एक सौ बेड की इकाई स्थापित करने का कोई अनुरोध नहीं किया है, जैसा कि कुछ खबरों में कहा गया है.
हाई कोर्ट ने कहा कि पांच सितारा होटल में हमने सुविधा देने के लिए कभी कोई मांग नहीं की.
हाई कोर्ट ने कहा कि एक संस्थान के रूप में हम ऐसी किसी भी प्राथमिकता के आधार पर ट्रीटमेंट के बारे में सोच भी नहीं सकते.
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की डिविजन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आपके पास लोगों को देने के लिए ऑक्सीजन नहीं है और आप हमें 100 बेड्स की सुविधा देने की बात कर रहे हैं.
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि इस आदेश के बारे में काफी मीडिया कवरेज हुई है. अदालत ने कहा कि ये भ्रामक है और हाई कोर्ट ने इस तरह की कोई मांग नहीं की थी.
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को होटल अशोका में बेड की मांग संबंधी एसडीएम के आदेश को लेकर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया है.
हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश से न्यायपालिका के बारे में गलत नजरिया बनता है. अदालत ने कहा कि इस तरह के आदेश बिल्कुल गलत हैं.
बता दें कि सोमवार को एक आदेश जारी कर न्यायिक अधिकारियों, जजों और उनके परिवारों के लिए दिल्ली के अशोका होटल में 100 बेड रिजर्व किया गया था.
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