नई दिल्ली: ‘पूरा दिन गुज़र गया है, एक भी कोविड बेड नहीं मिला. मेरी हालत गंभीर है. प्लीज़, मेरी मदद कीजिए,’ एक ट्विटर यूज़र ने सोमवार रात 9.40 बजे, ये संदेश सोशल मीडिया साइट पर पोस्ट किया था. 10.34 बजे तक, उसके लिए एक बिस्तर का इंतज़ाम हो गया था.
एक और व्यक्ति को नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती, अपने किसी परिचित के लिए रेमडेसिविर की ‘तुरंत ज़रूरत’ थी. दो घंटे में उसके पास दवा पहुंच गई.
पटना से आई एक 57 वर्षीय कोविड मरीज़ को भी, 18 अप्रैल को ‘रेमडिसिविर की सख़्त ज़रूरत’ थी. उन्हें भी उसी दिन मदद मिल गई.
इन सब मामलों में, ट्विटर पर पोस्ट की गई मदद की गुहार, एक व्यक्ति श्रीनिवास बीवी तक पहुंच गई, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा विंग, भारतीय युवा कांग्रेस (आईवाईसी) के अध्यक्ष हैं, जिसका ट्विटर हैण्डल ऐसे अनुरोधों से भरा हुआ है.
बहुत से यूज़र्स ने ट्विटर पर संदेश पोस्ट किए हैं, जिनमें श्रीनिवास और आईवाईसी को उनकी सहायता के लिए धन्यवाद किया गया है- जैसा कि दिल्ली का एक मरीज़ जिसे बेड चाहिए था, और पटना की लाभार्थी-श्रीनिवास ही वो शख़्स हैं जो अपडेट्स डाल रहे हैं, और आईवाईसी की दख़लअंदाज़ियों के विवरण पोस्ट कर रहे हैं.
श्रीनिवास के ट्विटर पर तीन लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं, जहां उन्हें मदद के लिए टैग किया जाता है. आईवाईसी और इसके अध्यक्ष को फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी अनुरोध मिलते हैं, और इनका दावा है कि कोविड की दूसरी लहर का प्रकोप फैलने के बाद से, इन्होंने देश भर में 20,000 से अधिक लोगों को, अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन सिलिंडर्स, या मुफ्त दवाएं दिलाने में सहायता की है. इसके लिए श्रीनिवास ‘टीम प्रयास’ को श्रेय देते हैं.
श्रीनिवास ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस महीने के शुरू से, बिना थमे लगातार (फोन) कॉल्स आ रही हैं.
कोविड-19 के प्रकोप पर क़ाबू पाने के लिए, दिल्ली सरकार के शहर में एक सप्ताह का लॉकडाउन घोषित करने के बाद, आवाईसी भी प्रवासी मज़दूरों के लिए, एक लंगर या सामुदायिक रसोई स्थापित करने में लगी हुई है. आईवाईसी अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस युवा विंग, प्रवासियों के टीकाकरण का भी बंदोबस्त कर रही है.
युवा नेता पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष, तथा वायनाड़ सांसद राहुल गांधी को, महामारी के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की, मदद करने की पहल का श्रेय देते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि श्रानिवास सोशल मीडिया पर गांधी से भी ज़्यादा चमक गए हैं, और लोग अब सहायता के लिए गांधी को नहीं, बल्कि उन्हें टैग कर रहे हैं.
इस बीच, आईवाईसी के राष्ट्रीय संयोजक मनु जैन ने, देश में कोविड की दूसरी लहर के लिए भारत सरकार को दोषी ठहराया, और कहा कि आईवाईसी कोविड मरीज़ों को बेड्स इसलिए दिला पा रही है, क्योंकि उनके पास दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित पोर्टल से ज़्यादा ताज़ा जानकारी रहती है, जिसे इसी मक़सद के लिए बनाया गया है.
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टीम शक्ति
श्रीनिवास ने अपनी राजनीतिक यात्रा बेंगलुरू में, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्य के तौर पर शुरू की थी, और दिसंबर 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने, उन्हें आईवाईसी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. इस पद को पाने वाले वो पहले कन्नाड़िगा हैं.
हालांकि पिछले कुछ हफ्तों से ही 41 वर्षीय श्रीनिवास, महामारी के दौरान दूसरों की सहायता के लिए, सोशल मीडिया पर ध्यान और सराहना आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन आईवाईसी अध्यक्ष का कहना है, कि वो और अन्य पार्टी सदस्य, मार्च 2020 से ये काम कर रहे हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन घोषित किया था.
श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया, कि वो और राष्ट्रीय राजधानी में 125 से अधिक, तथा देश भर में 1,000 से ज़्यादा लोगों की टीम, सुबह 7 बजे से ही आने वाले अनुरोध सुनना शुरू कर देती हैं, और कम से कम सुबह सवेरे 3.30 बजे तक, संदेशों पर नज़र बनाए रखती है.
श्रीनिवास ने कहा, ‘ये विशुद्ध रूप से टीम वर्क, और ज़रूरतमंद लोगों की सहायता के प्रति उनका (पार्टी सदस्यों) समर्पण है’.
दिल्ली में 125 आईवाईसी सदस्यों में से 100, चिकित्सा सुविधाओं के बंदोबस्त के लिए फील्ड में निकले होते हैं, जबकि बाक़ी ट्विटर, फेसबुक, और व्हाट्सएप पर आ रहे अनुरोधों पर नज़र रखते हैं, और ज़रूरी सुविधाओं का प्रबंध करने के लिए, अस्पतालों से समन्वय करते हैं.
आईवाईसी के राष्ट्रीय संयोजक मनु जैन ने कहा, ‘हम इन तमाम अनुरोधों को संकलित करते हैं, और आगे अपनी स्टेट एसओएस आईवाईसी टीमों को भेज देते हैं, जो ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करती हैं’.
11 अप्रैल को रेमडिसिविर और कोविड इलाज की अन्य दवाओं की क़िल्लत सामने आने से पहले ही, आईवाईसी टीम डॉक्टर से मरीज़ों के रेमडिसिविर के नुस्ख़े, उनकी अस्पताल भर्ती के पत्र, और साथ में उनकी कोविड पॉज़िटिव रिपोर्ट्स तथा आधार कार्ड्स लेतीं थीं, और उनका संपर्क सीधे नज़दीकी फार्मेसी से करा देती थीं.
जैन ने कहा, ‘रेमडिसिविर और कोविड इलाज की अन्य दवाओं की कमी के बाद से, हम संबंधित ज़िला मजिस्ट्रेटों, या सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट, या चिकित्सा अधिकारी से समन्वय कर रहे हैं, और उन्हें अपने इलाक़ों की फ़ौरी ज़रूरतों से अवगत करा रहे हैं. सरकार ये दवाएं अस्पतालों को सीधे दे रही है, जिसकी वजह से इन हवाओं का मिलना, और मुश्किल हो गया है’.
ये दावा करते हुए कि शहर के अस्पतालों में, बिस्तरों की उपलब्धि दिखाने वाला दिल्ली सरकार का पोर्टल हमेशा ‘सही’ नहीं होता, चूंकि वेबसाइट को समय पर अपडेट नहीं किया जाता, जैन ने कहा, ‘हम बिस्तरों का बंदोबस्त ज़्यादा जल्दी कर पाते हैं, क्योंकि हम हर एक-दो घंटे के बाद, अस्पतालों और नोडल अधिकारियों से समन्वय करते रहते हैं’.
आईवाईसी का ये भी दावा था कि पिछले साल देशभर में, 5,000 से अधिक प्लाज़्मा डोनेशंस का प्रबंध किया. आवाईसी की दख़लअंदाज़ी की एक मिसाल देते हुए, श्रीनिवास ने कहा, ‘हमारे अनुरोध पर, राहुल राज जो पिछले साल कोरोनावायरस से संक्रमित हुए थे, रविवार को प्लाज़्मा देकर किसी का जीवन बचाने के लिए, बेंगलुरू से सफर करके दिल्ली आए’.
इस बीच, जैन ने देश में दूसरी कोविड लहर के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘सरकार पश्चिम बंगाल चुनावों के प्रचार में व्यस्त है. इस बीच, हल्के लक्षण होने पर भी लोग तनाव में आ रहे हैं. हम बस उन्हें शांत रखने, और ज़रूरी सेवाओं तक पहुंचने में, उनकी सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं’.
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प्रवासी संकट
जैन ने दिप्रिंट को बताया, कि दिल्ली सरकार के लॉकडाउन आदेश के बाद, आईवाईसी की एसओएस टीम कमर कस रही है, कि आने वाले समय में उसका काम और बढ़ सकता है.
‘लॉकडाउन के नतीजे में फिर से प्रवासी संकट खड़ा होगा. हमने (दिल्ली के रायसीना रोड स्थित) अपने मुख्यालय में पहले ही, एक लंगर स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है, जहां पिछले साल की भांति प्रवासियों को खाना खिलाया जाएगा’.
रविवार को निगमबोध घाट के बाहर, टीम ने 2,000 से अधिक प्रवासियों को, दो दिन का भोजन, मास्क, और सैनिटाइज़र्स वितरित किए.
श्रीनिवास ने कहा, ‘हमने देश भर में सैकड़ों बेघर प्रवासियों की, अपने घर वापस पहुंचने में मदद की थी, जब पिछले साल सरकार ने बिना किसी तैयारी के, लॉकडाउन घोषित कर दिया था’.
आईवाईसी अध्यक्ष ने कहा कि आईवाईसी, टीका लगवाने में भी, प्रवासी श्रमिकों की सहायता कर रही है, और उन्होंने दावा किया कि उन्होंने, कम से कम 1,000 पात्र प्रवासी श्रमिकों को, दिल्ली में टीका लगवाने में मदद की है.
श्रीनिवास ने कहा, ‘पिछले साल सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन लगा देने के बाद, हमारे पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय युवा कांग्रेस के सदस्यों को जमा किया, और हमसे एक काम करने के लिए कहा: ‘जाईए और ज़िंदगियां बचाइए’. हम किसी भी क़ीमत पर उन ज़िंदगियों को बचाएंगे’.
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Really.. And all doctors and health are workers r sitting home and not doing anything??
How much money u charges to write such biased articles..? I m sure thousands of people are doing social services in this crisis.. Ohh they should pay money to the print to get appreciation..