ममता बनर्जी का अपने गोत्र का खुलासा करना दिखता है कि वह बीजेपी के ध्रुवीकरण करने वाले चुनावी कैंपेन के आगे बिखर रही हैं. एक शांडिल्य ब्राह्मण के रूप में सीएम या जनेऊधारी दत्तात्रेय ब्राह्मण के रूप में कांग्रेस सुप्रिमो से मतदाताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता. बनर्जी को अपनी सरकार के परफॉर्मेंस का हिसाब-किताब देना चाहिए न कि अपनी वंशावली.