नई दिल्ली : दिप्रिंट को पता चला है कि नरेंद्र मोदी सरकार, असंगठित क्षेत्र के प्रस्तावित राष्ट्रीय डेटाबेस में प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण कराने की योजना बना रही है, जिसके लिए पीएम सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत, उनके लिए बीमा कवर के वार्षिक प्रीमियम की एक किश्त छोड़ दी जाएगी.
केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने, जो राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार कर रहा है अपनी 2 लाख की दुर्घटना बीमा कवर स्कीम- पीएम सुरक्षा बीमा योजना- पर उन श्रमिकों के लिए 12 रुपए के वार्षिक प्रीमियम में एक साल की छूट का प्रस्ताव दिया है, जो पोर्टल के तहत अपना पंजीकरण कराते हैं.
श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, दिप्रिंट से कहा, ‘ये एक तरह का प्रोत्साहन है, ये सुनिश्चित करने के लिए कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, जिनमें प्रवासी मज़दूर भी शामिल हैं, असंगठित श्रमिकों के राष्ट्रीय डेटाबेस पोर्टल पर आ जाएं’.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत, नेशनल इनफॉर्मेशन सेंटर इस पोर्टल को विकसित कर रहा है. आईटी मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल को विकसित करने का काम काफी आगे पहुंच गया है और उन्हें उम्मीद है कि ये जुलाई तक चालू हो जाएगा. अपेक्षा की जा रही है कि इसका लॉन्चिंग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी.
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श्रमिक ख़ुद को कैसे दर्ज करा सकते हैं
डेटाबेस के लॉन्च के बाद, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को, जिनमें प्रवासी मज़दूर भी शामिल हैं, ख़ुद अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और जानकारी मुहैया करानी होगी, जैसे नाम, पेशा, पता, पेशे का प्रकार, शैक्षिक योग्यता, कौशल, और पारिवारिक विवरण आदि.
डेटाबेस तैयार करने के काम में लगे श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इससे न केवल उनकी रोज़गार क्षमता का भरपूर इस्तेमाल हो सकेगा, बल्कि सामाजिक सुरक्षा स्कीमों का लाभ भी उन तक पहुंच सकेगा.
प्रवासी मज़दूर अपने मोबाइल फोन के ज़रिए पंजीकरण करा सकते हैं. जिन मज़दूरों के पास फोन नहीं हैं या जो पढ़ना/लिखना नहीं जानते, वो नज़दीकी सामान्य सेवा केंद्र पर जाकर, पंजीकरण करा सकते हैं, जहां श्रमिक के यूनीक अकाउंट नंबर का एक रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाया जाएगा.
असंगठित और प्रवासी श्रमिकों के डेटाबेस को आधार के साथ जोड़ा जाएगा. श्रम मंत्रालय के दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘श्रमिक असंगठित क्षेत्र तथा प्रवासी मज़दूरों के लिए बनाई गईं तमाम कल्याण योजनाओं की जानकारी हासिल कर पाएंगे, और उनके लिए ऑनलाइन निवेदन कर पाएंगे. वो अपनी शिकायतें भी पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं’.
केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 22 मार्च को लोकसभा को बताया कि परियोजना की अनुमानित लागत, 704.01 करोड़ रुपए है.
राष्ट्रीय डेटाबेस क्यों?
मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस तब प्रस्तावित किया था, जब पिछले साल मार्च में कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र ने एक देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया था, जिसके नतीजे में एक गंभीर प्रवासी संकट खड़ा हो गया था.
हज़ारों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने अपनी जीविका गंवा दी और उनके सामने भोजन और आश्रय का संकट खड़ा हो गया. केंद्र ने तब कई कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया, जिनमें मुफ्त राशन और सबसे अधिक प्रभावित श्रमिकों के लिए कैश ट्रांसफर शामिल था.
लेकिन केंद्र की पहल के बावजूद बहुत से प्रवासी मज़दूर इनसे लाभान्वित होने से वंचित रह गए. केंद्र ने संसद को बताया था कि किसी डेटाबेस के न होने की वजह से उसके पास प्रवासी श्रमिकों की मौतों और उनके रोज़गार चले जाने के आंकड़े नहीं हैं.
केंद्र ने तब घोषणा की थी कि एक राष्ट्रीय पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जिसमें देश के सभी असंगठित और प्रवासी श्रमिकों का विस्तृत ब्यौरा होगा.
श्रम मंत्रालय अधिकारियों ने कहा कि सेवाएं प्रदान करने के लिए पोर्टल को अंतत: विभिन्न मंत्रालयों के साथ जोड़ दिया जाएगा. मंत्रालय योजनाओं से जुड़ी राशि सीधे प्रवासी श्रमिकों के खातों में ट्रांसफर कर पाएंगे.
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार भारत में असंगठित क्षेत्र में तक़रीबन 38 करोड़ श्रमिक हैं, जिनमें क़रीब 2-3 करोड़ प्रवासी श्रमिक हैं.
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