अगर भारत के किसी भी शहर में वेनिस, इस्तांबुल, सेंट पीटर्सबर्ग या दिल्ली जैसा आकर्षण और जीवंतता है तो वह निस्संदेह हैदराबाद है. अतीत और वर्तमान का सधा तालमेल, नया और पुराना, पारंपरिक और आधुनिक सब एक साथ.
सदियों पुरानी मीनारें, गुंबद, किले और हवेलियां और उसके साथ ही साथ आकाश को छूती गगनचुंबी इमारतें. दुनिया के सबसे बेहतरीन महल फलकनुमा और चौमहला, अद्भुत वास्तुशिल्प का नमूना 450 साल पुराना गोलकुंडा का किला, जिसकी चहारदिवारी 5 किलोमीटर तक फैली है, ये एशिया के सबसे लंबे फ्लाईओवर-एक्सप्रेस-वे के साथ लगती है और यही नहीं एक अत्याधुनिक एयरपोर्ट भी इसकी शान बढ़ा रहा है.
आप जहां सड़क किनारे लगी दुकानों से मीठे पान या नान रोटी, हलीम और सीक कबाब, डोसा या ईरानी चाय जैसे पारंपरिक खानपान का लुत्फ उठा सकते हैं, वहीं पांच और सात सितारा श्रेणी के होटलों का स्टाफ आपको पूरे आथित्य भाव के साथ स्टीमिंग कैनलॉनी और सुशी, स्वादिष्ट बकलावा और मुंह में पानी ला देने वाला कैवियार परोसते नज़र आ जाएंगे. यहां की सड़कें चमचमाती फैंटम और मेबाच कारों से गुलजार हैं और उतनी ही आसानी से कैब और ऑटो की सुविधा भी उपलब्ध है. छोटी-मोटी दुकानों से लेकर मॉल्स तक में इत्र और कोलोन, बिदरी वेयर और कलमकारी, लाख की चूड़ियां और नए से नए फैशन वाले कपड़े ध्यान आकृष्ट करते हैं.
किसी शहर को ‘रहने योग्य’ बनने के लिए समय के साथ कुछ बुनियादी खूबियां विकसित करनी पड़ती हैं, जो इस मामले में कुछ सदियों से हैं, यही बात इसे यहां के मूल निवासियों, यात्रियों, कारोबारियों और दुनियाभर के निवेशकों का एक पसंदीदा स्थल बनाती है. भौगोलिक स्थिति, अनुकूल जलवायु, आवागमन की सुविधा, महानगरीय संस्कृति, लोगों की गर्मजोशी, शिक्षा और चिकित्सा की शीर्ष सुविधाएं, बेहतर नागरिक बुनियादी ढांचा और सुरक्षा. इन सब खूबियों में शहर का ऐसा चरित्र निहित है जो इसे खास दर्जे की दावेदारी जताने का हकदार बनाता है.
दक्षिण का उत्तरी क्षेत्र और उत्तर का दक्षिणी क्षेत्र होने के कारण हैदराबाद वस्तुतः भारत के मध्य में स्थित है. इसकी महानगरीय संस्कृति, साढ़े चार सौ सालों का अनवरत विकास, सेहतबख्श आबोहवा, आतिथ्य की ख्याति (गर्मजोशी इतनी कि आप अपने मेजबान की नीयत पर ही संदेह करने लग जाएं!), एक प्रगतिशील और विकास उन्मुख सरकार और एक समर्पित नौकरशाही हैदराबाद को बहुत आसानी से यह खिताब दिला देगी. अपने विश्व प्रसिद्ध व्यंजनों के मामले में भी इसने खास मुकाम बनाया है.
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हर पैमाने पर आगे
2019 में हैदराबाद को यूनेस्को की तरफ से ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी ’ के तौर पर नामित किया गया था और यह दुनियाभर के उन 246 शहरों में से एक है जो अपनी संस्कृति और रचनात्मकता को अपनी विकास संबंधी रणनीतियों के केंद्र में रखने और अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को साझा करने के लिए यूनेस्को के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. और वो सिर्फ चारमीनार, मोती या बिरयानी नहीं है जो हैदराबाद की पहचान हैं. पिछले कुछ सालों में हैदराबाद को ‘उभरती आईटी राजधानी’, ‘फार्मा कैपिटल’, ‘कैपिटल ऑफ मेडिकेयर’ और हाल में ‘स्पोर्ट्स कैपिटल’ (लैंगिकता और खेल व्यवस्था से बेपरवाह यहां के खिलाड़ी विश्व चैंपियन बनकर उभर रहे हैं) जैसी कई संज्ञाएं मिली हैं. लेकिन, भारत में रहने के लिहाज से ‘बेहतरीन शहर की काबिलियत’ के बावजूद इसे हमेशा यह दर्जा देने से वंचित रखा गया.
राजधानी में अधिकारों की लड़ाई, वाणिज्यिक राजधानी में जरूरत से ज्यादा आबादी की समस्या, दक्षिण के लोकप्रिय महानगरों की भाषाई बाध्यताओं से दूर हैदराबाद निश्चित रूप से काम करने और रहने के लिहाज से एक आरामदेह स्थल है. इसकी मिली-जुली संस्कृति यानी ‘गंगा-जमुनी’ तहजीब तो दुनियाभर में ख्यात है.
कला और संस्कृति, पर्यटन, विशाल फिल्म इंडस्ट्री और भारत का निजी स्तर पर चलने वाला सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल शहर के आकर्षण में चार चांद लगाते हैं. हर आर्थिक क्षेत्र में व्यापक अवसर, संतुलित कामकाजी जीवन और किफायती घरों की उपलब्धता हैदराबाद में नौकरी का एक आदर्श माहौल देते हैं. साथ में जोड़ लें कि महिला सुरक्षा की रेटिंग अपेक्षाकृत काफी ज्यादा है, जो सिर्फ ‘शी टीम’ की वजह से नहीं है और यह सांप्रदायिक सद्भाव का लंबा इतिहास रखने वाला एक समावेशी समाज है, आप इसे एक ऐसा शहर पाएंगे जो गुणवत्तापूर्ण जीवनशैली को प्राथमिकता देता है और एक आदर्श वैश्विक शहर का प्रतीक है.
हैदराबाद उतना ही विशिष्ट नज़र आता है जितना वह हर चीज को अपनाता जाता है.
(रंगमंच के पुनरुत्थान के लिए ख्यात तमिल फिल्म अभिनेता मोहम्मद अली बेग को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें ‘हैदराबाद के थिएटर का चर्चित चेहरा’ माना जाता है. व्यक्त विचार निजी हैं)
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