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Thursday, 21 November, 2024
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उपेंद्र कुशवाहा की RLSP का नीतीश कुमार की JDU में विलय, बोले-कर ली है ‘घर वापसी’

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 9 साल बाद की घर वापसी कर जेडीयू में विलय कर लिया है. दोनों पार्टियों के इस मर्जर पर लोक जनशक्ति पार्टी ने नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि अब अगर ताक़तवर हो गए हों तो 'इलेक्शन में चलें.'

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पटना:  राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ( रालोसपा )के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड में कर दिया है. बिहार की राजधानी पटना के दीपाली गार्डन में दो दिनों से चल रही पार्टी की बैठक के बाद रविवार को रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी की जदयू में विलय की घोषणा की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई बताया.

उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा,’ बिहार व देश की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए रालोसपा के सभी समर्पित एवं संघर्षवान साथियों के साथ बड़े भाई, आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की उपस्थिति में घर वापसी कर रहे हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि सामाजिक न्याय एवं लोकसमतावादी विचारधाराओं के साथ लोगों का विकास हो, इसके लिए सदैव तत्पर और समर्पित रहेंगे .

उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि, ‘हमने विधानसभा चुनाव के जनादेश का सम्मान करते हुए यह फैसला किया है.’

इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे. नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को फूलों का गुलदस्ता दिया और जदयू के चिन्ह वाला पटका भी पहनाया.

पटना स्थित जदयू के प्रदेश मुख्यालय में रविवार को आयोजित एक समारोह के दौरान रालोसपा का जदयू में विलय पर खुशी जाहिर करते हुए नीतीश कुमार ने कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की.

कुशवाहा ने आगे कहा,’ आज की राजनीतिक मांग को देखते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में हमारी पार्टी जेडीयू में विलय कर रही है. उन्होंने यह भी कहा, ‘ समाज के निचले तबके के लिए संघर्ष जारी रहेगा लेकिन उसका स्वरूप थोड़ा बदल जाएगा.’ अब आगे की लड़ाई नीतीश जी के नेतृत्व में लड़ेंगे जिन्हें बिहार की जनता ने कई बार मुख्यमंत्री चुना है.

‘फुंका कारतूस’

जेडीयू और रालोसपा के विलय पर लोक जनशक्ति पार्टी ने नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि अब अगर ताक़तवर हो गए हों नीतिश कुमार तो इलेक्शन में चले. पार्टी का यह भी कहना है कि बिहार के विकास के लिए ढोंग कर रहे लोग ‘बेनक़ाब’ हो रहे है.

पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को फुंका हुआ कारतूस बताया है और नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि नीतीश फुंके हुए कारतूस के साथ जंग लड़ना चाहते हैं.

चिराग पासवान का कहना है, ‘बिहार एक बार फिर से चुनाव की जरूरत है, आज का विलय बता रहा है कि कौन मजबूत पार्टी है. ‘ लोजपा ने आगे यह भी कहा, ‘अब मज़बूत हुए नीतीश कुमार को मैदान में आकर चुनाव लड़ना चाहिए. तभी पता चलेगा कि वो कितने पानी में है. लोजपा बिहार को फ़र्स्ट बनाना चाहती है और नीतीश कुमार जेडीयू को.’

कैसा रहा है कुशवाहा का सफर

बता दें की नीतीश कुमार के दल समता पार्टी और बाद में जदयू में रहे उपेंद्र कुशवाहा को 2004 में पहली बार विधायक बनकर आने के बावजूद कुमार ने कई वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी करके कुर्मी और कुशवाहा जातियों के साथ एक शक्तिशाली राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था.

2013 में जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़कर रालोसपा नामक नई पार्टी का गठन कर लिया था. वह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गये थे और उस चुनाव के बाद कुशवाहा को नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया था.

जुलाई 2017 में जदयू की राजग में वापसी ने समीकरणों को एक बार फिर बदल दिया और रालोसपा इस गठबंधन ने नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गई थी.

2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़स था लेकिन वह हार गए थे.

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा था.

बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था लेकिन इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां पांच सीट जीती थी, वहीं रालोसपा एक भी सीट नहीं जीत पायी थी.

रालोसपा में पड़ी फूट, राजद में शामिल हुए 30 से अधिक पदाधिकारी

रालोसपा के जदयू में शामिल होने की खबर के बाद से ही पार्टी में फूट पड़ गई और उसके 30 से अधिक राज्य एवं जिला स्तर के पदाधिकारी शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए.

शुक्रवार को रालोसपा की राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणी की बैठकें शुरू होने से पहले ही पार्टी के विलय की संभावना के बाद ही पार्टी के पदाधिकारी राजद में शामिल हो गए थे.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में उनकी पार्टी में शामिल होने वाले रालोसपा के नेताओं में राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र कुशवाहा, राज्य के प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा और राज्य की महिला प्रकोष्ठ प्रमुख मधु मंजरी मेहता शामिल थीं.

रालोसपा छोड़ने वाले 35 सदस्यों में से अधिकतर बिहार और पड़ोसी सूबे झारखंड के राज्य स्तर के पदाधिकारी हैं. इनमें से अधिकतर पदाधिकारी मुंगेर और पटना जिले से हैं.

शिक्षा जैसे मुद्दों पर पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ आरएलएसपी के विरोध को याद करते हुए, तेजस्वी यादव ने कहा, ‘शायद कुशवाहा के विचार अब अचानक बदल गए हैं.’

यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘रालोसपा के संस्थापकों, प्रमुख नेताओं व पदाधिकारियों ने रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जी को निष्कासित कर पार्टी का आज राजद में विलय कर दिया. प्रदेश की राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव है. उपेंद्र कुशवाहा जी अब अकेले रह गये है. उनकी पार्टी अब राजद का हिस्सा बन चुकी है.’

रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता माधव आनंद ने इसकी आलोचना की.

कुशवाहा के प्रमुख सहयोगी आनंद ने एक बयान में कहा, ‘रालोसपा पहले की तरह अटूट है और पार्टियां कुछ कमजोर सैनिकों के चले जाने से कमजोर नहीं होती हैं.’

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