scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशCovid डाटा के लिए चीन, रूस और उत्तर कोरिया के हैकर्स ने AIIMS, SII, पतंजलि को बनाया निशाना—रिपोर्ट

Covid डाटा के लिए चीन, रूस और उत्तर कोरिया के हैकर्स ने AIIMS, SII, पतंजलि को बनाया निशाना—रिपोर्ट

साइबर इंटेलिजेंस फर्म साइफर्मा की रिपोर्ट बताती है कि फरवरी में ग्लोबल हेल्थकेयर कंपनियों पर खतरे की बात सामने आई, हैकर्स ने मेडिकल रिसर्च, क्लीनिक ट्रायल और वैक्सीन उत्पादन में निवेश करने वालों को अपना लक्ष्य बनाया है.

Text Size:

नई दिल्ली : साइबर खुफिया फर्म साइफर्मा ने पता लगाया है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया के हैकर्स के एक समूह ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), भारत बायोटेक, जायडस कैडिला और एम्स सहित भारत के शीर्ष दवा और वैक्सीन निर्माताओं की महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने के लिए उन्हें अपना शिकार बनाया है.

भारत बायोटेक और एसआईआई ने कोविड-19 के खिलाफ टीके विकसित किए हैं, जिन्हें जनवरी में देश में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है और जाइडस कैडिला अपने कोविड टीके के अंतिम चरण के ट्रायल में लगी हुई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) देश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल और अनुसंधान संस्थान है.

अमेरिकी वित्तीय फर्म गोल्डमैन सैक्स समर्थित और सिंगापुर और टोक्यो में स्थित साइफर्मा का 24 से 26 फरवरी के बीच ग्लोबल हेल्थकेयर कंपनियों पर हैकर्स के हमले के ‘गंभीर खतरे’ पर ध्यान गया.

साइफर्मा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार रितेश ने दिप्रिंट को बताया, ‘शुरुआती चेतावनी के बाद हमें कई भारतीय कंपनियों सहित कई ग्लोबल हेल्थकेयर फर्म की आईटी संबंधी जानकारियों पर गंभीर खतरे के बारे में पता चला.’

फर्म की रिपोर्ट के अनुसार, ये साइबर हमले तीन प्रमुख राज्य-प्रायोजित समूहों की तरफ से किए गए हैं जो मुख्यत: रूस, चीन और उत्तर कोरिया के हैं.

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इटली, स्पेन, जर्मनी, ब्राजील, ताइवान और मैक्सिको में भी हेल्थकेयर कंपनियां इनका निशाना बनीं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘रिसर्च करने वालों ने पाया है कि हैकिंग समूहों का लक्ष्य कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित डाटा चुराना है. इसमें वैक्सीन संबंधी रिसर्च, मेडिकल कंपोजिशन, क्लीनिकल ट्रायल संबंधी जानकारी, भंडारण और वितरण संबंधी योजना का ब्योरा शामिल है.

इसमें कहा गया है, ‘विभिन्न देशों के बीच वैश्विक प्रतिस्पर्धा की स्थिति है और इसके समानांतर ही साइबर अपराधी भी अपने देशों के लिए इस होड़ का फायदा उठाने के लिए सक्रिय हो गए हैं.

दिप्रिंट ने इस पर टिप्पणी के लिए ईमेल के जरिये एम्स, एसआईआई, भारत बायोटेक, जायडस कैडिला, ल्यूपिन और सन फार्मा से संपर्क साधा, लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

एसआईआई से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि फर्म अपनी आईटी संबंधी जानकारियों की सुरक्षा ‘मजबूत’ कर रही है लेकिन हमले की पुष्टि या खंडन नहीं किया.


यह भी पढ़ें: निजी अस्पताल में कोविड वैक्सीन लेने के लिए आपको इतना खर्च करना पड़ सकता है


वैक्सीन रिसर्च, ट्रायल डाटा पर टिकी नजरें

रिपोर्ट में इस बात को प्रमुखता से सामने रखा गया है कि टीके के क्लीनिकल ट्रायल संबंधी डाटा को लेकर इन हैकर्स की विशेष रुचि नजर आई है.

भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी), जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत साइबर हमलों से निपटने वाली नोडल एजेंसी है, को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में क्लिनिकल ट्रायल से जुड़े रिसर्च संबंधी लाखों रिकॉर्ड बहुमूल्य हैं. ये डाटा और अधिक प्रभावी टीकों के उत्पादन में शोध को आगे बढ़ाने में बेहद कारगर साबित हो सकता है.’

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हैकर्स भारत को एक आसान लक्ष्य के तौर पर देखते हैं क्योंकि देश में साइबर सुरक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कमजोर है.

इसमें कहा गया है, ‘साइफर्मा ने भारतीय संस्थान सीईआरटी के अधिकारियों से कहा है कि हैकर्स के निशाने पर आई कंपनियों को सतर्क करें और इन हमलों का खतरा घटाने के लिए तत्काल उपयुक्त कदम उठाएं.’

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई 6 में शीर्ष साइबर अधिकारी रह चुके रितेश ने कहा, ‘हमने तो रिपोर्ट भेज दी लेकिन सीईआरटी की तरफ से इस बाबत कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि क्या उन्होंने संबंधित कंपनियों को सूचना भेज दी है.’

उनके शोधकर्ताओं की टीम ने पाया है कि इन राज्य-प्रायोजित खतरनाक समूहों की भारत में वैक्सीन के विकास के लिए जारी रिसर्च में खासी रुचि है.

रिपोर्ट कहती है, ‘भारत कोविड-19 पर टीके की रिसर्च में पिछड़ रहा था और पिछले कुछ महीनों में ही उसने रफ्तार पकड़नी शुरू की थी. इसने चीन के राज्य-प्रायोजित हैकर्स का ध्यान आकृष्ट किया जिनका इरादा भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण के प्रयासों को बाधित करना है.’

इसमें कहा गया है, ‘रूस के राज्य-प्रायोजित हैकर्स समूह भू-राजनीतिक लाभ के साथ-साथ वित्तीय फायदे हासिल करने की जुगत में भी लगे हुए जबकि कोरियाई समूह का पूरा ध्यान वित्तीय लाभ है.’

उत्तर कोरिया का पतंजलि पर हमला, चीनी समूह ने एसआईआई, भारत बायोटेक को निशाना बनाया.

रिपोर्ट में ऐसे साइबर हमलों के बारे में जानकारी दी गई है जो मौजूदा समय में किए जा रहे हैं या जिनकी तैयारी चल रही है.

रूसी हैकिंग समूह एटीपी29 ने अपने हमले या संभावित हमले के लिए 18 ग्लोबल फार्मास्युटिकल फर्म, अस्पतालों, हेल्थकेयर सहयोगी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान कंपनियों और अनुमोदन करने वाले प्राधिकरणों को निशाना बनाया है.

इनमें फाइजर, सिप्ला, एस्ट्राजेनेका, डिवीज लैब्स, डॉ रेड्डीज, एबॉट इंडिया, टोरेंट फार्मा, जाइडस कैडिला और एम्स शामिल हैं.

इस बीच, चीनी समूह एपीटी 10 ने सन फार्मा, अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल, ल्यूपिन, एसआईआई, भारत बायोटेक और एम्स सहित 17 वैश्विक संगठनों को अपना लक्ष्य बनाया है.

डॉ. रेड्डीज, टोरेंट फार्मा, एसआईआई और पतंजलि सहित 14 वैश्विक संगठन उत्तर कोरियाई समूह के निशाने पर हैं.

रितेश ने बताया, ‘ये समूह या तो इन कंपनियों पर साइबर हमले करने की फिराक में हैं या फिर ऐसा करना शुरू भी कर चुके हैं.’

और क्या निशाने पर है?

साइफर्मा के शोधकर्ताओं को हैकिंग के लिए 15 सक्रिय अभियान का पता चला है जिसमें सात रूसी समूह, चार चीनी, तीन कोरियाई और एक ईरान से है.

उनके मुताबिक, ये हैकर्स उन दवा कंपनियों की संपत्तियों को निशाना बना रहे हैं, जो मेडिकल रिसर्च, क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीन उत्पादन में निवेश कर रही हैं.

वे वैक्सीन की सप्लाई चेन, राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान, सरकारी एजेंसियों के अलावा वैक्सीन, दवाओं और संबंधित उपकरणों के अनुमोदन का प्रभार संभालने वालों की व्यक्तिगत और निजी जानकारी को भी लक्षित कर रहे हैं.

टीके के विकास और उसे लगाने संबंधी ट्रैकिंग सिस्टम, क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ी जानकारी, अस्पताल के कामकाज का ब्योरा, कर्मचारियों और रोगियों से जुड़ी जानकारियां भी हैकर्स के निशाने पर हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर्स का लक्ष्य है कि प्रतिस्पर्धी फायदों के लिए टीकों और मेडिकल रिसर्च से संबंधित तमाम संवेदनशील जानकारी उन्हें हासिल हो जाए.

अन्य उद्देश्यों में टीके के परीक्षण संबंधी जानकारी हासिल करना, बौद्धिक संपदा की चोरी, वित्तीय और व्यावसायिक लाभ हासिल करना और छवि धूमिल करना शामिल है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: WHO की शीर्ष अधिकारी ने Covaxin का समर्थन किया, कहा-साक्ष्य भले ही सीमित हों पर भारत को मंजूरी का पूरा अधिकार


 

share & View comments