scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशछत्तीसगढ़ सरकार का आरोप- केंद्र की बेरुखी के चलते 50% के नुकसान पर बेचना पड़ सकता है 20 लाख टन धान

छत्तीसगढ़ सरकार का आरोप- केंद्र की बेरुखी के चलते 50% के नुकसान पर बेचना पड़ सकता है 20 लाख टन धान

राज्य सरकार ने नीलामी के लिए बेस प्राइस करीब 2200 रुपये प्रति क्विंटल रखा है लेकिन वर्तमान बाजार भाव करीब ₹1100 है. ऐसी स्थिति में सरकार को भारी नुकसान होगा, फिर भी यह कुछ नही मिलने से अच्छा है.

Text Size:

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केंद्रीय पूल में राज्य के धान का कोटा बढ़ाने की मांग को केंद्र द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने के कारण राज्य सरकार ने एमएसपी पर खरीदी गई करीब 20 लाख मीट्रिक टन धान की नीलामी खुले बाज़ार में करने की कवायद शुरू कर दी है.

दिप्रिंट को अधिकारियों ने बताया कि इससे सरकार को करीब 50 प्रतिशत का नुकसान होगा लेकिन धान खराब होने से बच जाएगा.

छत्तीसगढ़ के विशेष खाद्य सचिव मनोज कुमार सोनी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पूरे राज्य में सरकार द्वारा खरीदा गया कुल धान का करीब 21 लाख टन सरप्लस खुले में रखा हुआ है. समय रहते इसका निराकरण होना आवश्यक है.’

‘हाल में हुई बेमौसम बरसात और कोऑपरेटिव सोसाइटीज में रखे स्टॉक में चूहों के लगने से धान के नष्ट होने की लगातार शिकायतें आ रही हैं. अभी केंद्र सरकार की तरफ से कोई निर्णय नही आया है जिसके कारण सरप्लस धान की खुले बाजार में नीलामी के लिए कवायद शुरू कर दी गई है. यह ई-नीलामी होगी जिसके लिए निजी फर्मों का पहले रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. नीलामी 2 मार्च से शुरू होगी.’

छत्तीसगढ़ में इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकॉर्ड 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है. इसमें से केंद्रीय पूल और राज्य सरकार के अपने उपयोग के लिए करीब 71 लाख टन धान की खपत और उठान होना तय माना जा रहा है. यही धान कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिल भेजा जाना है. बचे हुए करीब 21 लाख टन धान के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 31 जनवरी से केंद्र सरकार से इसे सेंट्रल खाद्य पूल में लेने के लिए लगातार मांग कर रहें हैं. बघेल ने यह मुद्दा 20 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई नीति आयोग की बैठक में भी उठाया था.

राज्य खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार केंद्र की बेरुखी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने करीब एक सप्ताह पहले निर्णय लिया की खुले में रखा धान मौसम की मार से पूरी तरह नष्ट हो उससे अच्छा होगा की इसे खुले बाज़ार में बेच दिया जाए. अधिकारियों ने साफ कहा कि राज्य सरकार द्वारा नीलाम किए जाने वाले इस 20 लाख मीट्रिक टन धान की लागत से करीब 50 प्रतिशत का घाटा हो सकता है.

सोनी के अनुसार खुले बाजार में नीलामी से सरकार को करीब 50 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है लेकिन यह फिर भी पूरे धान के बर्बाद होने से अच्छा है.

विशेष खाद्य सचिव ने कहा, ‘अब तक हुई धान खरीदी और किसानों को किए गए भुगतान के अनुसार सरकार को ₹2200 प्रति क्विंंटल की लागत आई है. लेकिन बाज़ार में धान की वर्तमान कीमत को देखते हुए नीलामी से करीब 50 प्रतिशत घाटे की उम्मीद है.’


यह भी पढ़ें: पंजाब को रेगिस्तान बनने से बचाएं, धान-गेहूं यूपी, बिहार, बंगाल में उगाएं—कृषि वैज्ञानिक एसएस जोहल


विभाग के एक-दूसरे अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया बताया, ‘हालांकि सरकार ने नीलामी के लिए बेस प्राइस करीब 2200 रुपये प्रति क्विंटल रखा है लेकिन वर्तमान बाजार भाव करीब ₹1100 है. ऐसी स्थिति में सरकार को भारी नुकसान होगा, फिर भी यह कुछ नही मिलने से अच्छा है.’

इस संबंध में केंद्र सरकार का मत जानने के लिए दिप्रिंट द्वारा केंद्रीय खाद्य एवं पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सचिव सुधांशु पांडेय को एक मेल भी लिखा गया है लेकिन उसका जवाब अब तक नही आया है. उनका जवाब आते ही खबर को अपडेट किया जाएगा.

बता दें कि ने पिछले साल की तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल भी धान खरीदी 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की है. इसमें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित धान की किस्मों पर आधारित एमएसपी ₹1868 और ₹1888 के अलावा राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए घोषित अतिरिक्त कीमत भी शामिल है, लेकिन सरकार ने किसानों को भुगतान अभी सिर्फ केंद्र द्वारा जारी समर्थन मूल्य का ही किया है. उसने अपने हिस्से की राशि अभी जारी नही की है जिससे लागत भी करीब ₹2200 तक सीमित है.

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एमएसपी पर खरीदे गए सरप्लस धान को राज्य बनने के 20 सालों के बाद पहली बार खुले बाजार में बेचने की नौबत आई है. इसका खुलासा राज्य के कृषि मंत्री रबिन्द्र चौबे ने 17 फरवरी को मीडिया के सामने किया था. चौबे ने कहा, ‘राज्य सरकार किसानों से धान ₹2500 प्रति क्विंंटल के रेट से खरीदती है जो अन्य खर्चों को मिलाकर करीब 3000 रुपये प्रति क्विंटल पड़ता है. लेकिन धान की खुले बाजार में कीमत करीब ₹1000 से ₹1100 है जिसके कारण सरकार को घाटे में नीलाम करना पड़ेगा.’

चौबे ने आगे कहा ‘हालांकि केंद्र से राज्य की उम्मीद बरकरार रहेगी. बतौर ‘चौबे राज्य सरकार ने केंद्रीय खाद्य मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि राज्य से करीब 20 लाख क्विंटल अतिरिक्त धान सेंट्रल पूल में लिया जाए लेकिन केंद्र की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही मिली है.’

सोनी कहते हैं ई-नीलामी के लिए निजी फर्मों के रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही 18 फरवरी 2021 से चालू की जा चुकी है. अभी यह नहीं कहा जा सकता की रिस्पांस कैसा है लेकिन माह के अंत के बाद ई-ऑक्शन बीडर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तस्वीर ज्यादा साफ होगी. 2 मार्च से नीलामी शुरू कर दी जाएगी. यह नीलामी ‘जहां है, जैसा है’ (As is where is) के आधार पर की जाएगी.’

share & View comments