रायपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में महिलाओं के संरक्षण के लिए काम करने वाली एक गैरसरकारी संस्था ‘उज्ज्वला होम’ के संचालक को पुलिस ने बलात्कार के आरोप में गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी पीड़िता द्वारा जिला न्यायालय में धारा164 के तहत बयान दर्ज कराने के बाद हुई.
गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘शेल्टर होम के आरोपी संचालक जितेंद्र कुमार मौर्य को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 354 (महिला की मर्यादा को भंग, जोरजबरदस्ती के इरादे से हमला करना) के तहत गिरफ्तार कर पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया गया है.’
‘शेल्टर होम की चार महिलाओं ने न्यायालय में धारा164 के तहत अपना बयान दर्ज करवाया था जिनमें से तीन ने संस्था के संचालक और कर्मचारियों के खिलाफ कई आरोप लगाया है. एक पीड़िता ने मौर्य के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया है. दो अन्य ने मारपीट, यौन शोषण, और अत्याचार का आरोप लगाया है.’ संहिता की धारा 164 के तहत बयान सहित किसी भी संबंधित दस्तावेज की प्रतियों के लिए एक आरोपी खुद ही हकदार नहीं बन जाता है.
अग्रवाल ने बताया कि शेल्टर होम में रह रहीं 7 अन्य महिलाओं को उनके घर भेज दिया गया है या फिर दूसरे सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट कर दिया गया है. शेल्टर होम को सील कर दिया गया है.
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महिलाएं आईं सामने
बता दें कि दो दिन पहले 19 जनवरी को उज्ज्वला गृह में रहने वाली तीन महिलाओं ने मीडिया के सामने आकर उज्ज्वला होम में उनके साथ यौन शोषण और बलात्कार का आरोप लगाया था. उनका आरोप था कि शेल्टर होम में जिस्म फरोशी का धंधा चलता है और वहां से महिलाएं बाहर भेजी जाती हैं.
महिलाओं ने यह भी कहा था कि 17 तारीख को उनके द्वारा थाने में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद भी कोई कार्यवाई नही हुई. इन महिलाओं ने आवेदन बिलासपुर डीआईजी को भी दिया था. एक महिला जिसे उज्ज्वला होम में 16 जनवरी की रात लाया गया था ने आरोप लगाया कि शेल्टर होम चलाने वाली संस्था शिवमंगल शिक्षण समिति के कर्मचारियों ने बार बार आग्रह करने के बाद भी उसे 17 जनवरी को अपने 8 महीने के बच्चे के पास नहीं जाने दिया.
महिलाओं ने स्थानीय पुलिस पर भी एफआईआर दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया. हालांकि पुलिस ने इसे नकारते हुए बताया कि महिलाओं ने बलात्कार की बात थाने में दर्ज कराने से मना कर दिया था.
स्थानीय सरकंडा थाना के एसएचओ जेपी गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ’17 जनवरी को केस दर्ज किया गया था लेकिन आरोप उज्ज्वला के संचालक और कर्मचारियों द्वारा मारपीट और शोषण तक सीमित था. बलात्कार की शिकायत महिलाओं ने थाने में कराने से मना कर दिया था. यही कारण था कि उनका बयान कोर्ट में धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया है.’
गुप्ता ने कहा, ‘आवश्यकता पड़ने पर हम उस वक्त का सीसीटीवी फुटेज भी दिखा देंगे की महिलाओं ने पुलिस से क्या शिकायत की थी.’
दूसरी तरफ अपनी गिरफ्तारी से पहले मौर्य ने दिप्रिंट को बताया की उसको इस मामले में ‘फंसाया’ जा रहा है. मौर्य ने कहा , ‘शेल्टर होम में 16 जनवरी की रात को भर्ती होने वाली महिला का पति कुलदीप सिंह 17 जनवरी को उसे लेने आया. होम के कर्मचारियों ने कुलदीप से नियमानुसार औपचारिकताएं पूरी कर अपनी पत्नी को ले जाने का आग्रह किया. लेकिन कुलदीप सिंह ने ऐसा करने से मना किया और गाली गलौच करते हुए शेल्टर होम के ऊपरी मंजिल जहां सिर्फ रेस्क्यूड और पीड़ित महिलाएं रहती हैं जाकर तीन महिलाओं को साथ लेकर चला गया.’
मौर्य ने कहा, ‘इस मामले में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है. मैं यह संस्था पिछले 20 वर्षों से चला रहा हूं आजतक ऐसा आरोप नही लगा. मुझे फंसाने का प्रयास किया जा रहा है.’
गौरतलब है कि ‘उज्जवला’ राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोषित पीड़ित महिलाओं के संरक्षण, उत्थान और सशक्तिकरण के लिए केंद्रीय योजना है जो गैरसरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित की जाती है. शिवमंगल शिक्षण समिति को भी इसके अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बजट आवंटित किया जाता रहा है.
सरकार की सफाई
मौर्य की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, ‘उज्ज्वला गृह बिलासपुर का संचालन एनजीओ शिवमंगल शिक्षण समिति द्वारा वर्ष 2014 से किया जा रहा है. उज्ज्वला गृह के संबंध में विभाग को लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी कोई भी शिकायत प्राप्त नही हुई है. संस्था का समय-समय पर अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता रहा है और इस वित्तीय वर्ष में अनुदान नहीं दिया गया है.’
बयान में आगे कहा गया कि ,’17 जनवरी की रात उज्जवला होम में विवाद होने के पश्चात थाना सरकंडा में पीड़ितों की रिपोर्ट पर उज्जवला होम के स्टाफ द्वारा जबरदस्ती वहां रखे जाने, मारपीट करने इत्यादि के आरोप पर उज्जवला होम के स्टाफ के खिलाफ अपराध आईपीसी की धारा 342, 294, 323 के तहत दर्ज कर जांच की गई थी. महिलाओं का आज कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराया गया. बयान में धारा 376 और 354 आईपीसी के कंटेंट आने पर जितेंद्र मौर्य को गिरफ्तार कर लिया गया.’
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