कोयंबटूर: मशहूर फैशन डिजाइनर और भारतीय साड़ी को नई पहचान देने वाले सत्य पॉल का निधन हो गया है.ईशा योग केंद्र के संस्थापक सद्गुरु ने ट्वीट कर मशहूर फैशन डिजाइनर ने उनके निधन की जानकारी दी .
सद्गुरु ने ट्वीट में लिखा, ‘सत्य पॉल, बेहद जोशीला और अथक भागीदारी के साथ जीवन जीने का एक शानदार उदाहरण थे. आपके द्वारा भारतीय फैशन उद्योग में लाया गया उत्कृष्ट नजरिया, एक सच्ची श्रद्धांजलि है. हमारे बीच आपका होना सौभाग्य की बात थी. संवेदनाएं और आशीर्वाद.’
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने सत्य पॉल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी एक तस्वीर ट्वीट की.
#SatyaPaul, a shining example of what it means to live with immeasurable passion and unrelenting involvement. The distinct vision you brought to the Indian #fashion industry is a beautiful tribute to this. A privilege to have had you amongst us. Condolences & Blessings. -Sg pic.twitter.com/DNMZ0DXvOf
— Sadhguru (@SadhguruJV) January 7, 2021
सत्य पॉल 79 वर्ष के थे.
पॉल को दिसंबर में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. उन्होंने बुधवार को सद्गुरु के ईशा योग सेंटर में अंतिम सांस ली.
सत्य पॉल के बेटे पुनीत नंदा ने फेसबुक पर लिखा, ‘उन्हें दो दिसंबर को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और अस्पताल में उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था, उनकी अंतिम इच्छा थी कि जो चीजें उनके शरीर में चुभाई गई हैं या उनके शरीर की निगरानी के लिये लगाई गई हैं उन्हें हटा दिया जाए जिससे वह उड़ सकें.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘अंतत: हमें चिकित्सकों से उन्हें वापस ईशा योग सेंटर ले जाने की इजाजत मिली जहां वह 2015 से रह रहे थे. उनकी इच्छा के मुताबिक, वह गुरु के आशीर्वाद से शांतचित्त से परलोक सिधार गए.’
नंदा ने कहा कि परिवार में यद्यपि पिता को खोने का दुख है लेकिन इस बात को लेकर शांति है कि वह अपनी जिंदगी अच्छे से जीकर पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़कर गए हैं.
पुनीत नंदा ने यह भी बताया कि ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि उनके पिता डिजाइनर या एक उद्यमी ही नहीं एक साधक भी थे.
70 के दशक में फैशन डिजाइनर सत्य पॉल के भीतर आध्यात्म की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने दार्शनिक जे कृष्णमूर्ति की एक बातचीत में हिस्सा लिया. इसके बाद वह ओशो के मार्गदर्शन पर चले और 1990 में ओशो के चले जाने के बाद उन्हें 2007 में सद्गुरु मिले, हालांकि उन्हें दूसरे गुरू की तलाश नहीं थी लेकिन सत्य पॉल सद्गुरु से काफी प्रभावित थे, आखिरकार 2015 में यहां चले आए.
पॉल ने 60 के दशक में खुदरा क्षेत्र में अपने सफर की शुरुआत की और बाद में यूरोप और अमेरिका में भारतीय हथकरघा उत्पादों के निर्यात का काम बढ़ाया.
उन्होंने 1980 में भारत में पहला ‘साड़ी बुटीक’, लाअफेयर शुरू किया और फिर अपने बेटे के साथ मिलकर 1986 में अपना फैशन ब्रांड शुरू किया.
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