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Friday, 1 November, 2024
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कोरोना महामारी के साल में IIT के पूर्व छात्रों ने कैसे अच्छे प्लेसमेंट सीज़न को सुनिश्चित किया

नौकरी के अवसरों में आईआईटी की प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. दिप्रिंट ने जिन कई प्रोफेसर से बात की उन्होंने प्लेसमेंट सीजन में पूर्व छात्रों के नेटवर्क के प्रभाव को काफी अहम बताया है.

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नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक मंदी के बावजूद दिसंबर के पहले हफ्ते में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्लेसमेंट सीजन शानदार तरीके से शुरू हुआ. कुछ संस्थानों में तो ये सबसे बेहतरीन ओपनिंग डे के तौर पर दर्ज हुआ.

आईआईटी-मद्रास में 2 दिसंबर को प्लेसमेंट सीजन का पहला दिन पिछले वर्षों की तुलना में सबसे अधिक ऑफर लेकर आया. आईआईटी-रुड़की में नौकरी के प्रस्तावों में सबसे बड़ा घरेलू वेतन पैकेज 2019-20 की तुलना में 20 लाख रुपये अधिक का था.

जब छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों की बात आती है तो उनके संस्थानों की प्रतिष्ठा एक अहम भूमिका निभाती है, लेकिन दिप्रिंट ने आईआईटी के जिन प्रोफेसरों से बात की, उन्होंने प्लेसमेंट के इस सीजन में बेहद कारगर साबित होने वाले एक अन्य पहलू की ओर ध्यान आकृष्ट किया— जो कि पूर्व छात्रों का नेटवर्क है.

अन्य संस्थानों की तुलना में आईआईटी के पूर्व छात्रों का नेटवर्क सबसे मजबूत और बेहतरीन ढंग से जुड़ा हुआ है और प्रोफेसरों के मुताबिक, वे प्रशिक्षण सत्र और इंटर्नशिप के माध्यम से छात्रों को नौकरी पाने के लिए तैयार करते हैं, यही नहीं कुछ कंपनियों को परिसर में लाने में भी भूमिका निभाते हैं.

आईआईटी मद्रास में पूर्व छात्रों और कॉरपोरेट रिलेशन मामलों के डीन प्रो. महेश पंचागनुला ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे कई छात्रों को बेहतर नौकरियां मिलती हैं क्योंकि अक्सर पूर्व छात्र जिन कंपनियों में काम करते हैं उन्हें प्लेसमेंट सीजन के दौरान संस्थान में लेकर आते हैं. कोविड के बीच प्लेसमेंट साइकिल एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे पूर्व छात्रों ने इसमें काफी मदद की है.’

आईआईटी मद्रास के सलाहकार (प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट) प्रो. सी. शंकर राम ने बताया कि इस संस्थान ने महामारी के दौरान अपने पूर्व छात्रों से संपर्क किया था.

प्रो. राम ने कहा, ‘जब मार्च 2020 में कोविड-19 के कारण प्लेसमेंट प्रक्रिया प्रभावित हुई थी तो नौकरी की पेशकश खो चुके छात्रों और जिन्हें नौकरी के प्रस्ताव मिले ही नहीं थे, उनकी मदद के लिए अपने पूर्व छात्रों से संपर्क साधा. बड़ी संख्या में पूर्व छात्रों ने सकारात्मक जवाब दिया और इन छात्रों के लिए इंटरव्यू के अवसर पैदा किए.’


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कठिन साल में पुराने छात्र आगे आए

कई आईआईटी इसके लिए अपने पूर्व छात्रों के आभारी हैं कि उन्होंने महामारी के कठिन समय में भी उनके प्लेसमेंट सीजन में कोई कमी नहीं आने दी.

आईआईटी कानपुर में पूर्व छात्रों के संघ के प्रमुख प्रदीप भार्गव ने कहा कि पूर्व छात्रों ने इस साल छात्रों को न केवल नौकरियां पाने बल्कि इंटर्नशिप में भी मदद की है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘जब महामारी शुरू हुई तो कई प्लेसमेंट और इंटर्नशिप रद्द हो गए. तब हमने एक अभियान शुरू किया जहां हमने यह सुनिश्चित किया कि इन छात्रों को नौकरियां मिल सकें. सभी पूर्व छात्रों के बीच यह संदेश भेजा गया. जो पूर्व छात्र नौकरीशुदा थे उन्होंने अपनी कंपनी से आईआईटी कानपुर से छात्रों को नियुक्त करने के लिए बात की और जो उद्यमी हैं उन्होंने खुद कई छात्रों को अपने यहां काम पर रखा.’

हालांकि, रिपोर्टों में बताया गया है कि इस वर्ष आईआईटी कानपुर में भर्ती के लिए आने वाली कंपनियों की संख्या 300 से घटकर 230 हो गई है, कई कंपनियों ने हायर किए गए छात्रों को शानदार पैकेज दिए हैं.

सबसे बड़ा पैकेज 1.47 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का रहा, जिसकी पेशकश एक एमएनसी की तरफ से की गई, जबकि एक भारतीय कंपनी ने 82 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज की पेशकश भी की. यह आआईटी कानपुर के प्लेसमेंट इतिहास में किसी भी भारतीय कंपनी की तरफ से उच्चतम वेतन पैकेज का प्रस्ताव है.

आईआईटी रुड़की में संसाधनों और पूर्व छात्रों के मामलों के डीन बी.आर. गुर्जर ने कहा, ‘हमारे कुछ पूर्व छात्र प्लेसमेंट के मामले में हमारी मदद करने को लेकर खासे उदार रहे हैं. वे हमारे छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्रशिक्षण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने में मदद करते हैं. जहां कहीं भी नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं वहां पर हमारे छात्रों की भर्ती में भी मदद की है.’

आईआईटी दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब महामारी के कारण अप्रैल में नौकरियों के कई प्रस्ताव रद्द हो गए थे, तो संस्थान ने प्रस्ताव गंवा चुके छात्रों की मदद के लिए अपने कुछ प्रमुख पूर्व छात्रों के साथ संपर्क साधा था.

आईआईटी खड़गपुर में कैरियर डेवलपमेंट सेल के चेयरपर्सन, राजकुमार अनंतकृष्णन ने बताया कि जरूरत पड़ने पर पूर्व छात्रों से संपर्क किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर हमारे प्लेसमेंट नैसर्गिक रूप से होते हैं और इस वर्ष भी ऐसा ही रहा है. पूर्व छात्रों के नेटवर्क की मदद से प्लेसमेंट अभी हुआ नहीं है और प्लेसमेंट के अगले चरण में हम इसकी उम्मीद कर रहे हैं. आमतौर पर जब भी कोई आवश्यकता होती है, हमारे पूर्व छात्र हमें सूचित करते हैं और हम संबंधित कंपनियों के साथ संपर्क करते हैं.’

कुछ पूर्व छात्र जो स्टार्ट-अप के मालिक बन चुके हैं, ने भी संस्थानों की मदद के लिए कदम बढ़ाया है और आईआईटी कैंपस से छात्रों को काम पर रखा है. यह भी एक दो-तरफा व्यवस्था है क्योंकि कई छात्रों ने खुद ही लिंक्डिन और पूर्व छात्रों के नेटवर्क समूहों के माध्यम से पूर्व छात्रों से संपर्क साधा.


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सिर्फ प्लेसमेंट नहीं

आईआईटी के पूर्व छात्र सिर्फ प्लेसमेंट और इंटर्नशिप के मामले में ही अपने संस्थानों की मदद नहीं करते हैं. उनमें से कई चंदे और नियमित वित्तीय योगदान के साथ भी मदद करते हैं.

आईआईटी के पूर्व छात्रों की सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं— आईआईटी दिल्ली से फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिन्नी बंसल और सन माइक्रोसिस्टम्स के सह-संस्थापक विनोद खोसला, आईआईटी खड़गपुर के अरुण सरीन, जो 2003 में वोडाफोन के सीईओ बने और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई. इसके अलावा अन्य लोगों में ओला कैब्स के संस्थापक भावेश अग्रवाल और हाउसिंग डॉट कॉम के संस्थापक राहुल यादव भी शामिल हैं.

उदाहरण के तौर पर आईआईटी दिल्ली के पास 250 करोड़ रुपये का एंडोमेंट फंड है, जिसके लिए बिन्नी बंसल और सचिन बंसल जैसे संस्थान के शीर्ष पूर्व छात्रों ने धन की व्यवस्था की है.

संस्थान का लक्ष्य अगले छह वर्षों में उद्योग जगत की जानी-मानी हस्तियों और देश-विदेश की कंपनियों में शीर्ष प्रबंधन पदों पर आसीन पूर्व छात्रों की मदद से इसे बढ़ाकर 1 बिलियन डॉलर किया जाना है.

आईआईटी दिल्ली में पूर्व छात्रों के मामलों के पूर्व डीन संजीव सांघी ने पूर्व छात्रों के संस्थान से जुड़ाव पर कहा, ‘इन लोगों का संस्थान से इतना लगाव इसलिए है क्योंकि ये चार-पांच सालों तक छात्रावास में रहते हैं. इसलिए उनका यहां के छात्रों और संस्थान से एक मजबूत रिश्ता बन जाता है. स्नातक होने के बाद भी वे संस्थान को कभी नहीं भूल पाते हैं.’

आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र भी इससे अलग नहीं हैं. प्रो. पंचागनुला ने कहा, ‘यह कहना गलत नहीं होगा कि अकादमिक वर्ष 2019-2020 में एलुमनाई चैप्टर ने संस्थान की कुल फंडिंग में 20 फीसदी धनराशि जोड़ी. हमने पूर्व छात्रों और कॉरपोरेट फंडिंग के जरिये 114 करोड़ रुपये जुटाए. सरकारी धनराशि 500 करोड़ रुपये से थोड़ी ज्यादा थी. अतिरिक्त धन ने हमें सरकारी धन के बेहतर इस्तेमाल में मदद की. इससे कई ऐसे कार्य किए जा सके जिसके लिए सरकारी निधि से पैसा पूरा नहीं पड़ता.’

आईआईटी कानपुर में 22 साल पुराने पूर्व छात्र संगठन में अभी 40,000 सदस्य हैं. यह संगठन संस्थान के छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी प्रगति के लिए काफी मदद करता है.

पूर्व छात्रों के संगठन के एक सदस्य ने दिप्रिंट को बताया, ‘मौजूदा समय में एसोसिएशन में 200 एक्टिव मेंटर हैं जो छात्रों को उनकी रिसर्च और प्लेसटमेंट के बाद की गतिविधियों में मदद कर रहे हैं.’

आईआईटी रुड़की में पूर्व छात्रों ने छात्रों के लिए विभिन्न पुरस्कारों की स्थापना की है, उनमें एक ‘एक्सीलेंस इन टाइम मैनेजमेंट अवार्ड’ है. आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर गुर्जर ने कहा, ‘यह पुरस्कार छात्रों को अपने अकादमिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टीविटी में बेहतर तालमेल बैठाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दिया जाता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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