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Thursday, 21 November, 2024
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एंटीबॉडी, बूस्टर, कोमोर्बिडिटी— ए-टू-जेड गाइड से जानें कैसे कोविड ने 2020 की भाषा बदल डाली

2020 में कोविड-19 महामारी के कारण कई नए शब्द और वाक्यांश आम बोलचाल की भाषा में आ गए. इसी बदली शब्दावली पर एक नजर..

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नई दिल्ली: साल 2020 कोविड-19 महामारी के कारण कई सारे मायनों में अप्रत्याशित रहा. अब यह बीतता साल अपने साथ छोड़ जा रहा है संघर्ष से सीखे सबक, अस्तित्व बचाने से जुड़ी यादें—और एक ब्रांड न्यू शब्दकोष.

इस वर्ष कई नए शब्द और वाक्यांश हमारी शब्दावली में शामिल हुए हैं जो विशेष रूप से वैज्ञानिक और चिकित्सा संबंधी शब्दावली से जुड़े हैं.

मेरियम-वेबस्टर और डिक्शनरी.कॉम ने ‘पैनडेमिक’ को वर्ड ऑफ द इयर घोषित किया है, जबकि कोलिन्स डिक्शनरी ने यह तमगा ‘लॉकडाउन’ को दिया है.

इस बीच, ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की नजर में 2020 को महज एक शब्द में पूरी तरह समेटा नहीं जा सकता है, और इसके बजाये उसने उन तमाम शब्दों को सूचीबद्ध किया है जो इस वर्ष की शब्दावली में गहराई से समा गए है.

यहां बहुत ज्यादा विस्तार दिए बिना इसी तरह की एक सूची के जरिये जानते हैं उन शब्दों के बारे में जो अब आम बोलचाल की भाषा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं.

ए : कोविड टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों को दो श्रेणियों में रखा जाता है—सिमप्टमैटिक और एसिमप्टमैटिक. जो एसिमप्टमैटिक होते हैं उनसे संक्रमण फैलने की अधिक संभावना होती है क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता कि वे संक्रमित हैं! कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद आपको भविष्य में अपने शरीर को संक्रमण से बचाने वाली एंटीबॉडी के लिए दो हफ्ते के संक्रमण की अवधि को सहन करना पड़ता है. दुर्भाग्यवश कई लोगों को लगा कि एंडीबॉडी भी एक टीके की तरह है और ठीक होने के बाद इधर-उधर घूमने लगे. एंटीबॉडीज के बाद हम बात करते हैं एंटीजन की जो कि कोई ऐसा पदार्थ होता है जो आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को इसके खिलाफ एंटीबॉडी के उत्पादन के लिए प्रेरित करता है.

एक तरफ जहां लोग टीके के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, एक (अनुमानत:) छोटा समूह है जिसे एंटी-वेक्सएक्सर्स कहा जाता है जो टीकाकरण के किसी भी रूप के खिलाफ है. क्या यह सही है, 21वीं सदी में भी? यह साल विज्ञान का था लेकिन प्रस्तावित आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने के बारे में आपकी क्या राय है?

बी: जैसे-जैसे वायरस तेजी से फैलने लगा और दुनिया के हर कोने तक पहुंच गया, संक्रमण के मुकाबले के लिए ‘ब्रेक द चेन’ एक नीतिवाक्य बन गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मार्च में पहली बार देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के दौरान इसका जिक्र किया था. दूसरी कोविड लहर का मुकाबला करने के लिए केरल ने ब्रेक द चेन अभियान के तहत व्यापक स्तर पर हैंडवाश कराना शुरू किया. बहुत सारे लोगों की उम्मीदें टीके पर टिकी हैं तो दूसरे मानते हैं कि बूस्टर शॉट सबसे ज्यादा प्रभावी होगा. बूस्टर शॉट वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक है जो रोगाणुओं के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए कुछ अंतराल पर दी जाती है. कोविड ने लॉकडाउन के दौरान बेकिंग बनाना ब्रेड का स्वादिष्ट हुनर भी सिखा दिया.


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सी: कई लोग सोचते होंगे कि कोरोनावायरस को कोविड-19 क्यों कहा जाता है. इसका कारण है यह कि कोविड शब्द का इस्तेमालकोरोनावायरस बीमारी’ के लिए किया जाता है और 19 इसलिए क्योंकि इसका पहला मामला 2019 में सामने आया था. कम्युनिटी ट्रांसमिशन यानी सामुदायिक संक्रमण तब होता है जब लोगों में संक्रमण की उत्पत्ति का कोई स्रोत स्पष्ट नहीं हो और आप इस स्रोत को ट्रेस कर पाने में सक्षम न हों. भारत काफी लंबे समय तक सामुदायिक संक्रमण के चरण में पहुंचने की बात से इनकार करता रहा था. कम्युनिटी ट्रांसमिशन की अनुपस्थिति में संक्रमण के स्रोत का पता लगाने के लिए कांटैक्ट ट्रेसिंग का सहारा लिया जाता है. एक बार संक्रमण का पता लगाने पर कंटेनमेंट जोन की बारी आती है जिसमें एक साथ कई कोविड मामले पाए जाने पर पूरे क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया जाता है. दिल्ली में किसी भी क्षेत्र में तीन या इससे ज्यादा मामले होने पर उसे कंटेनमेंट घोषित करने की व्यवस्था की गई.

हम सबकी तरह डॉक्टरों का पाला भी एक अटपटे से शब्द कोमोर्बिडिटी से पड़ा. यह एक साथ कई बीमारियां जैसे उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मोटापा आदि जैसी बीमारियां होने की स्थिति को दर्शाता है जिसके कारण संक्रमण और खतरनाक या फिर जानलेवा तक साबित हो सकता है. केस फैटिलिटी रेट महामारी की गंभीरता मापने का एक तरीका है, इससे पता चलता है कि बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में अपनी जान गंवाने वालों का अनुपात क्या है.

डी: डिसइंफेक्टेंट्स, जैसे सोडियम हाइपोक्लोराइट, ये सतहों की सफाई और उसे कीटाणुरहित बनाने का मुख्य साधन हैं और कोविड-मुक्त वातावरण सुनिश्चित करते है. ट्रम्प ने इसे कोविड का उपचार भी करार दिया था. 2020 में कोविड-19 से मरने वालों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच डूमस्क्रोलिंग तय ही था. डाइबिटीज लोगों में कोमोर्बिडिटी का एक सबसे सामान्य कारण है. और कोविड ने डलगोना कॉफी बनाने का एक अन्य कौशल भी सिखाया, जिससे बचना जरूरी है.

ई: एपिडमोलॉजी शब्द से तो कोविड के कारण अब लगभग सभी लोग परिचित हो चुके हैं—इसका मतलब होता है यह अध्ययन कि लोगों के विभिन्न समूहों में बीमारी कितनी तेजी से और क्यों फैली. इस बात को लेकर भी भ्रम बना रहा कि कोविड-19 एक एपिडेमिक है या पैनडेमिक. एपिडेमिक का मतलब होता है किसी समुदाय, आबादी या क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारी. कोविड ने इशेंसियल सर्विसेज को लेकर हमें ज्यादा जागरूक किया और हमने लॉकडाउन के दौरान जरूरी चीजों के महत्व को अच्छी तरह समझा. भारत में पहली बार मार्च में लॉकडाउन एकदम शार्ट नोटिस पर लगा, जिस दौरान प्रवासियों के पलायन से इकोनॉमी को गहरा झटका लगा.

एफ : और हमने जाना कि कर्व केवल सड़कों या मानव शरीर पर नहीं होते—फ्लैटनिंग द कर्व का मतलब है वायरस के प्रसार की गति धीमी होना जिसे कोविड ग्राफ में कर्व के जरिये दर्शाया जाता है. इसके और फैटिलिटी रेट के बारे में तो लोग अब ऐसे बात करते हैं जैसे एकदम विशेषज्ञ हों.

वायरस ज्यादा समय तक उड़ानों पर रोक नहीं लगा सका, और लोगों को विमान में यात्रा करते समय फेस शील्ड के इस्तेमाल की सलाह दी गई. जब हम साथ बैठते हैं तो कोविड के बारे में सिर्फ बातें करते हैं लेकिन जो सीधे तौर पर इससे जंग लड़ रहे हैं उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर कहते हैं. इनमें डॉक्टर, नर्स, एम्बुलेंस ड्राइवर, सफाई कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता और बहुत सारे ऐसे योद्धा शामिल हैं.

जी: 2020 को एक ऐसी ग्लोबल क्राइसिस के लिए याद रखा जाएगा जिसके कारण दुनियाभर में 17 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं. यह गाइडलाइन का भी वर्ष रहा—कोविड गाइडलाइन, लॉकडाउन गाइडलाइन और सामान्य व्यवहार संबंधी गाइडलाइन. ग्लव्स यानी दस्ताने पहनना वायरस से बचने का एक कारगर तरीका माना गया. ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोविड के नए स्ट्रेन की खबर ने लोगों को इसके जेनेटिक म्यूटेशन को लेकर चिंतित कर दिया.

एच: हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन इसलिए भी काफी चर्चित हो गई क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसका सेवन किया और इसे वायरस के एंटीटोड के तौर पर प्रोमोट भी किया. यह दवा कोविड के इलाज की पहली उम्मीद भी बनी. वैसे तो मलेरिया और गठिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली यह दवा कोरोनोवायरस के लिए पॉजिटिव पाए जाने से पहले ही फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी गई. भारत, जो इसका व्यापक स्तर पर निर्माण करता है, ने अपनी निर्यात नीति को बदल दिया और ट्रम्प की नतीजे भुगतने की धमकी के बाद ही अमेरिका को दवा का निर्यात किया.

होशियार लोगों को पता था कि पहले से ही इस्तेमाल किए जा रहे हैंड सैनिटाइजर कहीं अधिक कारगर था- और इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है! हॉटस्पॉट (वाईफाई वाला नहीं) में जाने से बचना था, क्योंकि वे कोविड के काफी ज्यादा संक्रमण वाले क्षेत्र होते हैं. उदाहरण के लिए, चेन्नई स्थित कोयम्बेडु बाजार को कोरोनावायरस हॉटस्पॉट बनने के बाद बंद कर दिया गया. स्वीडन एक हॉटस्पॉट में बन चुका है क्योंकि वहां लॉकडाउन हट चुका है और हर्ड इम्युनिटी पर उम्मीदें टिकी हैं, जब आबादी का बड़ा हिस्सा संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा तंत्र विकसित कर लेगा.


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आई: अगर कोई कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया तो उसने आइसोलेशन में रहना पड़ा ताकि सुनिश्चित हो सके कि वह किसी और को संक्रमित नहीं करे. और वे अक्सर अपनी इम्युनिटी के कारण ठीक हो गए. यदि कोई किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया जो कोविड-19 के लिए पॉजिटिव निकला हो तो संपर्क में रहने वाले को इनक्यूबेशन पीरियड के आधार पर टेस्ट की जरूरत पड़ी. यह वो अवधि होती है कि जब आप किसी से संक्रमण की चपेट में आए और जब आपमें लक्षण दिखाई दिए. कोविड सिर्फ एक एपिडेमिक या पैनडेमिक ही बल्कि एक ग्लोबल इन्फोडेमिक भी है, जिसके बारे में सही और गलत दोनों तरह की सूचनाएं बहुत तेजी से प्रसारित होती हैं.

जे: जॉब्स, जॉब्स और जॉब्स—इस एक छोटे-से शब्द ने दुनियाभर में लाखों लोगों को परेशानी में डाल दिया क्योंकि उनकी नौकरियां चली गईं और तमाम इसकी तलाश में रहे. बड़ी संख्या में लोगों ने लांसेंट जैसी मेडिकल पत्रिकाओं को बहुत ध्यान से पढ़कर कोविड की ट्रिविया से जुड़ा अपना ज्ञान बढ़ाया. भारत में तो कुछ लोगों को कोविड-19 के खतरे का सही मायने में पता ही तब चला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा की. ताली और थाली बजाने की याद तो होगी ही?

के: किट भी कोविड शब्दकोश में एकदम आम है. कोविड टेस्ट किट से, एंटीबॉडी किट से पीपीई किट और कई और तरह के भी. अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई लोगों ने काढ़ा वाला घरेलू नुस्खा अपनाया जो हल्दी, लौंग, काली मिर्च, तुलसी के पत्ते और दालचीनी के मिश्रण से तैयार होता है. और अचानक ही हम सब इसे लेकर बेहद सतर्क हो गए हैं कि किसे हग या किस करेंगे, है कि नहीं?

एल: भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन से जो दौर शुरू हुआ वह कई महीनों तक चलता रहा. विश्व स्तर पर कई देश अब भी कोरोनोवायरस की नई लहर से बचने के लिए लॉकडाउन के दौर में हैं.

कुछ मरीजों में कोरोनावायरस टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के दौरान क्रोनिक सिमप्टम दिखे जिन्हें लांग कोविड का नाम दिया गया. और लैब पर सभी नमूनों की मानक आधार पर परीक्षण की जिम्मेदारी रही ताकि यह सटीक तरह से पता लगाया जा सके कि कोई पॉजिटिव है या निगेटिव.

एम:मास्क अप’ 2020 में नया आदर्श वाक्य बना और अचानक हम सभी चोरों की तरह मुंह ढके नजर आने लगे. दिल्ली में उन लोगों पर 2000 रुपये तक जुर्माना लगाया गया जो मास्क बिना पहने नजर आए.

और जो लोग थोड़ी ज्यादा जानकारी रखते हैं वह काफी शिद्दत से मॉडर्ना के बारे में बात करते हैं, जिसे सबसे कारगर कोविड टीकों में से एक माना जा रहा है. कोविड के सही एफिसिनाडोस के लिए एमआरएनए टीके हैं. इन नए प्रकार के टीकों से हमारी कोशिकाओं को ऐसे प्रोटीन के उत्पादन में मदद मिलेगी जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मजबूत हो.

लॉकडाउन और आइसोलेशन के असर से सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति दुनिया में मेंटल हेल्थ के लिए उत्पन्न हुई. लोग अब चिंता, अवसाद और पैनिक अटैक पर खुलकर बात कर रहे हैं.

एन: साल में अधिकांश समय अपने घरों में बंद रहे लोगों को लगता है क्या नोवेल कोरोनावायरस के कारण मौजूदा स्थिति न्यू नॉर्मल बन चुकी है. और चूंकि गले लगना सुरक्षित नहीं रहा है इसलिए नमस्ते अभिवादन का नया तरीका बन गया है. एन-95 मास्क तो नई यूनिफॉर्म की तरह है.

ओ: गंभीर कोविड मामलों में ऑक्सीजन की उच्च खुराक की आवश्यकता होती है और इसके स्तर में गिरावट से सांस लेना मुश्किल हो जाता है. अब जैसे ही आपको छींके आने लगती है, आप एक ऑक्सीमीटर पर अपना ऑक्सीजन स्तर जांचते हैं. लोगों के लॉकडाउन के कारण घरों में कैद होने से ऑनलाइन क्लासेज, -स्कूलों के साथ जिम और मेडिकल सेशन भी—नई व्यवस्था बन गए. इंटरटेनमेंट के मोर्चे पर अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म का बोलबाला रहा.

पी: कोविड-19 एक ग्लोबल पैनडेमिक है—हर कोई यह कहता है लेकिन इसका मतलब क्या है? एक ऐसी महामारी जो कई देशों या महाद्वीपों तक फैली हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 में कोविड-19 को एक पैनडेमिक घोषित किया. संक्रमण के बारे में तमाम तरह की वैज्ञानिक जानकारियों के बीच कई तरह की सूडो-साइंस यानी भ्रांतियां भी फैली रहीं.

कोविड का एक और पहलू पीपीई किट कोई भूल नहीं सकता है. डॉक्टरों के लिए कोविड ड्यूटी के समय उन्हें पहनना जरूरी था. लेकिन इनके कारण लगने वाली गर्मी को देखते हुए एक डॉक्टर की शिफ्ट अधिकतम 8 घंटे से ज्यादा नहीं रखी जाती. और फाइजर वैक्सीन पश्चिम में मंजूरी पाने वाली पहली वैक्सीन बन गई.

क्यू: क्वारेंटाइन, आमतौर पर इसे एक सजा माना जाता है. लेकिन इस वर्ष यह ऐसी आदर्श स्थिति बन गया जिसे लेकर लोगों को वास्तव में कोई शिकायत नहीं रही.

आर: आर वैल्यू उन लोगों की संख्या दर्शाती है जिन्हें एक रोगी संक्रमित कर सकता है और ये इसका भी एक संकेतक है कि संक्रमण कितनी तेजी से फैल सकता है. जब आर वैल्यू अधिक थी, तो इसे घटाना सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लागू थे. दो प्रकार को कोविड टेस्ट आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट भी लोगों की जुबान पर चढ़े शब्दों में शामिल रहे, हालांकि आरटी-पीसीआर को अधिक विश्वसनीय माना जाता है.

और एक दवा जिसे कोविड के इलाज में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया, वह एंटीवायरल मेडिसिन रेमेडिसविर है.

एस: हममें से ज्यादातर लोगों ने वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया. खासकर अगर किसी को बुखार, खांसी, जुकाम, शरीर में दर्द या छींके आने जैसी कोई शिकायत हो. कोयमबेडु बाजार और तब्लीगी जमात का आयोजन दो ऐसे उदाहरण हैं जब लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया और इस तरह सुपर-स्प्रेडर बन गए. सीरो-प्रिवलेंस सर्वे—जिसने आबादी के बीच कोविड प्रभावित लोगों के संभावित प्रतिशत को मापा—से पता चला कि बहुत से लोग तो पता चले बिना ही कोविड की चपेट में आए. हालांकि, कोरोनोवायरस के नए स्ट्रेन के आने से लोगों को समझ नहीं आ रहा कि अब क्या किया जाए.

टी: कोरोनावायरस को रोकने के लिए तीन टी बेहद अहम हैं—टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग. प्रतिरक्षा तंत्र के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए तमाम लोगों ने टी-सेल के बारे में सर्च की जो प्रतिरक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा मानी जाने वाली कोशिकाएं होती हैं. वैक्सीन का सुरक्षित होना सुनिश्चित करने के लिए कई क्लीनिकल ट्रायल किए गए. वहीं, थर्मल स्कैनर्स यह जांचने का एक तरीका बन गए कि किसी व्यक्ति में कोविड का लक्षण है या नहीं. और टेस्ट पॉजिटिविटी रेट यह पता लगाने का मानक है कि क्या किसी क्षेत्र, शहर या देश में कोविड का असर घट रहा है.

यू: इस साल सब कुछ अनप्रीसिडेंटेड यानी अप्रत्याशित था. अनएंप्लायमेंट यानी बेरोजगारी वैश्विक स्तर पर सर्वकालिक उच्च स्तर पर थी क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोविड की वजह से बुरी तरह प्रभावित हो गई थी. हालांकि अनलॉक (विभिन्न चरणों में) शुरू होने के बाद से स्थितियां थोड़ी बेहतर हुई हैं.

वी: हर कोई बीसी (यानी कोविड पूर्व) युग में वापसी के लिए वैक्सीन पर नजरें टिकाए है. वायरोलॉजी यानी विषाणुओं और विषाणु जैसे एजेंटों के बारे में अध्ययन इस वर्ष अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा. कोविड के कारण मौतों को घटाने के लिए दुनियाभर की सरकारें गंभीर रोगियों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर की व्यवस्था करने में जुटी रहीं.

डब्ल्यू: वर्क फ्रॉम होम (यानी घर से काम करना) की व्यवस्था अपनाना 2020 में ज्यादातर कार्यस्थलों की मजबूरी बन गया. वह भी इसलिए क्योंकि वुहान के बाजार में किसी ने कथित तौर पर एक चमगादड़ खाया था. वहीं, डब्लूएचओ को कोविड-19 पर देरी से सक्रिय होने के आरोपों को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.

एक्स: दुर्भाग्यवश इस साल जेनोफोबिया भी काफी ज्यादा छाया रहा और ट्रंप समेत तमाम लोगों ने कोरोनावायरस को चीनी वायरस करार दिया.

वाई: जैसे-जैसे देशो में अनलॉक होता गया लोगों ने मॉल जाना, फ्लाइट लेना और थिएटर जाना शुरू कर दिया, यिन-यांग सीटिंग यानी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बैठने की व्यवस्था एक नया मानदंड बन गया.

जेड: जूम कॉल्स की वजह से लोग 2020 में एक-दूसरे से संपर्क स्थापित कर पाए, दफ्तरों के कामकाज सुचारू रूप से चलाया जा सका और इसकी वजह से स्कूलों की कक्षाएं भी सफलतापूर्वक चल पाईं. कुछ सुरक्षा मुद्दों को लेकर सवाल के बावजूद जूमिंग जमकर जारी रही. और अचानक ही जिंक तमाम लोगों के लिए एक लोकप्रिय मिनरल बन गया जिसे इस साल विटामिन सी, विटामिन डी की गोलियों के साथ इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर खूब इस्तेमाल किया गया. जिंक की कमी किसी व्यक्ति को बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है, विशेषकर सांस संबंधी समस्याओं में.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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