नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मई 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से 17 राज्यों का एक बार भी दौरा नहीं किया है, पांच राज्यों में केवल एक बार गए हैं, और पांच अन्य राज्यों में दो बार पहुंचे हैं. हालांकि, वह नतीजों के बाद आठ बार केरल जरूर गए हैं जहां से सांसद हैं.
दिप्रिंट ने पिछले डेढ़ साल में गांधी की आधिकारिक यात्राओं का विश्लेषण किया, ताकि पता लगाया जा सके कि पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद वह देशभर में कहां-कहां गए.
राहुल गांधी ने जून 2019 के बाद से पांच राज्यों महाराष्ट्र, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का एक-एक बार दौरा किया है.
अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए राहुल ने महाराष्ट्र का दौरा किया, दिसंबर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड गए, दिसंबर 2019 में छत्तीसगढ़ में आदिवासी नृत्य महोत्सव के उद्घाटन के लिए पहुंचे और जनवरी 2020 में कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘युवा आक्रोश रैली’ को संबोधित करने के लिए राजस्थान पहुंचे थे.
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने नवंबर में सत्ता में एक साल पूरा कर लिया लेकिन राहुल गांधी ने राज्य के मामलों से आमतौर पर दूरी ही बनाए रखी है. वो भी इस तथ्य के बावजूद कि न केवल पार्टी की राज्य इकाई में गाहे-बगाहे अंतर्कलह सामने आती रहती है बल्कि वरिष्ठ गठबंधन सहयोगियों शिवसेना और एनसीपी के साथ असंतोष भी उजागर होता रहता है.
अपने सबसे ताजा दौरे में वह कृषि कानूनों के खिलाफ तीन दिवसीय ट्रैक्टर रैली के लिए अक्टूबर 2020 में पंजाब पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस भी की थी.
यह भी पढ़ें: सोनिया गांधी के साथ बैठक में राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठी, असंतुष्टों ने चुनाव पर जोर दिया
पांच राज्यों का दो बार दौरा किया
राहुल गांधी ने इस पूरी अवधि में पांच अन्य राज्यों हरियाणा, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार का दो-दो बार दौरा किया है.
उन्होंने हरियाणा का दौरा एक बार विधानसभा चुनावों से पहले अक्टूबर 2019 में किया था और फिर एक साल बाद अक्टूबर 2020 में कृषि कानूनों के खिलाफ रैलियां करने के लिए वहां पहुंचे थे.
दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधों के प्रति एकजुटता दर्शाने के लिए असम का दौरा किया और विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए 17 वर्षीय सैम स्टैफर्ड के परिवार से मुलाकात की थी.
इसके करीब एक साल बाद नवंबर 2020 में उन्होंने असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को श्रद्धांजलि देने के लिए गुवाहाटी का दौरा किया, जिनका इसी महीने की शुरुआत में निधन हो गया था.
असम उन पांच राज्यों में शामिल है जहां 2021 में चुनाव होने हैं. कांग्रेस 2001 के बाद तीन कार्यकाल तक राज्य की सत्ता में आसीन थी लेकिन 2016 में भाजपा से हार गई, जो तब से अब तक राज्य को प्रभावित करने वाले कई कदम उठा चुकी है. इनमें सीएए और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) सबसे अहम हैं.
राहुल ने दो बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया. एक बार जुलाई 2019 में अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी पहुंचे जहां उन्हें एक माह पहले ही चुनावी हार का सामना करना पड़ा था, और फिर अक्टूबर 2020 में यूपी पुलिस की तरफ से कड़े प्रतिरोध के बावजूद बहन प्रियंका के साथ हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे.
इससे पहले, दिसंबर 2019 में राहुल ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए यूपी में प्रवेश की पूरी कोशिश की थी, लेकिन यूपी पुलिस ने मेरठ से आगे जाने से रोक दिया.
कांग्रेस नेता ने दो बार गुजरात का दौरा किया है जहां उनकी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में कोई कमाल नहीं दिखा पाई थी. उन्होंने पहली बार अक्टूबर 2019 में राज्य का दौरा किया, जिस दौरान वह राज्य कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल से मिले थे. इसके बाद उन्होंने नवंबर 2020 में गुजरात के भरूच का दौरा किया और दिग्गज नेता स्वर्गीय अहमद पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल हुए.
2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें जीती थीं और 182 सदस्यों वाले सदन में भाजपा को 99 सीटों यानी डबल डिजिट पर सीमित कर दिया था. लेकिन राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटों पर उसे भाजपा के आगे हार का सामना करना पड़ा था.
गांधी ने सिर्फ दो बार ही बिहार का दौरा किया है, एक बार जुलाई 2019 में मानहानि मामले की सुनवाई के लिए पटना कोर्ट में पेशी के लिए और फिर अक्टूबर 2020 में राज्य चुनावों से पहले.
पार्टी ने बिहार चुनावों में शर्मनाक हार का सामना किया, जिसमें 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद केवल 19 सीटों पर ही उसे जीत हासिल हो सकी, और बाद में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की कुल टैली को नीचे गिराने का ठीकरा भी इसी पर फोड़ा गया.
यह भी पढ़ें: इटली के महान विचारक मैकियावेली के ग्रंथ ‘द प्रिंस’ से राहुल गांधी के लिए पांच सबक
‘राहुल के राजनीति में आते-जाते रहने का परिचायक’
2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने शेष 17 राज्यों का दौरा नहीं किया है.
ये हैं- अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड.
इनमें से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2021 में चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस ने तमिलनाडु में 1967 से और पश्चिम बंगाल में 1971 से सत्ता का स्वाद नहीं चखा है.
आंध्र प्रदेश से राहुल गांधी की दूरी यह देखते हुए काफी अहम है कि कैसे कांग्रेस ने 2004 से 2014 तक लगातार दो बार राज्य पर शासन किया, लेकिन राज्य के विभाजन और तेलंगाना गठन के बाद अपने प्रदर्शन को बेहतर ढंग से बरकरार नहीं रख पाई.
राहुल ने 2019 के लोकसभा परिणामों के बाद से एक बार भी लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा नहीं किया है.
हालांकि, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म होने के साथ जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद उन्होंने वहां का दौरा जरूर किया. राहुल ने श्रीनगर में विभिन्न पार्टी नेताओं से मिलने वाले विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
विश्लेषकों का कहना है कि ये आंकड़े राहुल के कभी भी राजनीति में ‘आने और जाने’ वाली शैली का परिचय देते हैं.
राजनीति विज्ञानी और लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय समन्वयक संदीप शास्त्री ने कहा, ‘यदि आप भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं को देखते हैं, तो वे 24X7 राजनीति ही करते हैं. उनके लिए राजनीति में सप्ताहांत या छुट्टियां मनाने जैसी कोई अवधारणा नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘अगर राहुल इनसे मुकाबला करना चाहते हैं तो उन्हें मैदान में उतरना होगा और ज्यादा से ज्यादा नजरों में आना होगा. इस ऑन और ऑफ स्टाइल की राजनीति से कुछ नहीं होने वाला है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर कोविड उनकी आवाजाही को प्रभावित करता है, तो इसका असर भाजपा नेताओं पर भी पड़ना चाहिए, लेकिन किसी को ऐसा तो नहीं लग रहा.’
राजनीति विज्ञानी सुहास पल्शीकर ने कहा कि राहुल की अनुपस्थिति ‘कांग्रेस में मूलभूत भ्रम’ की ओर इशारा करती है.
पल्शीकर ने कहा, ‘राहुल पार्टी के नेता हैं, लेकिन वह ये कहकर बच सकते हैं कि वह पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं. इसलिए यहां स्थिति कुछ ऐसी है जहां पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी अस्वस्थता के कारण यात्रा नहीं कर सकती हैं और पूर्व अध्यक्ष इसलिए कोई रुचि नहीं लेते हैं क्योंकि वह नहीं जानते कि करना क्या चाहते हैं. गलती पूरी तरह सिर्फ उनकी भले ही न हो लेकिन पार्टी की मुश्किलें तो और बढ़ रही हैं.’
कोविड लॉकडाउन के बाद अप्रैल से राहुल गांधी वीडियो कांफ्रेंस चर्चा की एक सीरिज चलाई थी जिसमें उन्होंने अर्थशास्त्रियों रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों आशीष झा और जोहान गिसेके, उद्योगपति राजीव बजाज के अलावा पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स से बातचीत की थी.
लेकिन पल्शीकर ने कहा कि यह जमीनी राजनीति के लिए एक अच्छा विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, ‘असल सवाल यह है कि क्या वह सभी राज्यों के पार्टी नेताओं से बातचीत कर रहे हैं, न कि यह कि वह नोबेल विजेताओं से बात कर रहे हैं.’
हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी पिछले साल-डेढ़ साल से हर प्रासंगिक मुद्दे पर सक्रिय रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘राहुल गांधी लॉकडाउन के बाद जमीनी स्तर पर सक्रिय, और दिल्ली छोड़ने वाले प्रवासियों से मिलने और बातचीत करने वाले पहले नेता थे. किसी दूसरे नेता ने ऐसा नहीं किया था.’
वल्लभ ने आगे कहा, ‘वह राहुल गांधी ही थे जिन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर रैलियों का नेतृत्व किया था. वह एकमात्र ऐसे नेता हैं जो हमारे देश में चीनी घुसपैठ के मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं. उन्होंने हर प्रासंगिक मुद्दे को उठाया है.’
केरल का आठ बार दौरा किया
केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका राहुल गांधी से आधा दर्जन से अधिक बार दौरा किया. इसकी एक वजह उनके निर्वाचन क्षेत्र वायनाड का यहीं होना भी है.
राहुल ने इस निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद जून 2019 में पहली बार वायनाड का दौरा किया था.
फिर अगस्त 2019 में राहुल गांधी ने दो अलग-अलग अवसरों पर राज्य का दौरा किया. दोनों बार राज्य में भारी बाढ़ से प्रभावित विभिन्न जिलों का दौरा किया जिसमें वायनाड भी शामिल था.
उन्होंने अगस्त के अंत में फिर राज्य का दौरा किया. वह वायनाड में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए स्थापित राहत शिविरों की समीक्षा के लिए चार दिवसीय यात्रा पर आए थे.
अक्टूबर 2019 में राष्ट्रीय राजमार्ग पर रात को यातायात प्रतिबंधित होने के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया जिसका नेतृत्व युवा कांग्रेस ने किया था.
वह यूडीएफ विधानसभा सम्मेलनों में हिस्सा लेने के लिए दिसंबर में तीन दिवसीय यात्रा पर फिर अपने निर्वाचन क्षेत्र पहुंचे थे और एक स्मारक का उद्घाटन किया था. उन्होंने क्षेत्र में सांप काटने के शिकार से भी मिले थे.
इसके बाद गांधी ने जनवरी 2020 में केरल के कलपेट्टा में एक सीएए विरोधी रैली को संबोधित किया.
फिर नौ महीने के अंतराल के बाद राहुल गांधी ने अक्टूबर 2020 में वायनाड में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा करने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया.
इसके बाद नवंबर में वह एआईसीसी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से उनके पैतृक आवास पर मिलने के लिए कन्नूर गए थे और उनकी मां के निधन पर अपनी संवेदनाएं जताई थीं.
मई 2019 में वायनाड सीट जीतने के बाद से अब तक गांधी ने राज्य में कुल आठ दौरे किए हैं. केरल उन पांच राज्यों में शामिल है जहां अगले साल चुनाव होने हैं.