scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमराजनीतिभाजपा ने ‘बागियों’ को शामिल करने की येदियुरप्पा की योजना में फिर अडंगा लगाया, मंत्रिमंडल विस्तार टला

भाजपा ने ‘बागियों’ को शामिल करने की येदियुरप्पा की योजना में फिर अडंगा लगाया, मंत्रिमंडल विस्तार टला

गत जनवरी से ही अपने मंत्रिमंडल विस्तार की कोशिश में लगे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को अब 30 दिसंबर को पंचायत चुनावों के बाद ही यह कवायद पूरी करने को कहा गया है.

Text Size:

नई दिल्ली, बेंगलुरु: भाजपा आलाकमान ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा से अपना मंत्रिमंडल विस्तार राज्य में पंचायत चुनावों के बाद ही करने को कहा है, जो 30 दिसंबर को खत्म होने वाले है. पार्टी नेताओं ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी है.

राज्य मंत्रिमंडल में सात जगह खाली हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री मुख्यत: 2019 में पिछली कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिराने में मदद करने वाले कांग्रेस और जेडीएस के बागियों से भरना चाहते हैं.

येदियुरप्पा 10 नवंबर को हाई प्रोफाइल आर.आर. नगर सीट से उपचुनाव जीतने वाले बागी मुनिरत्ना नायडू के अलावा बुजुर्ग नेता एच. विश्वनाथ, एम.टी.बी. नागराज और एमएलसी सी.आर. शंकर को शामिल करना चाहते हैं जबकि बाकी तीन जगहों पर भाजपा के दिग्गज नेता उमेश कट्टी, अरविंद लिंबावली, मुरुगेश निरानी की नजरें टिकी हुई हैं.

येदियुरप्पा ने बागियों से मंत्री पद का वादा कर रखा था और कर्नाटक में दोनों उपचुनावों, जिनके नतीजे 10 नवंबर को घोषित हुए थे, में भाजपा की जीत के बाद इस दिशा में कदम उठाना भी शुरू कर दिया था. उन्होंने इस सिलसिले में 18 नवंबर को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी.

भाजपा सूत्रों ने बताया कि नड्डा ने मुख्यमंत्री से नामों को अंतिम रूप देने से पहले इस प्रक्रिया में नवनियुक्त कर्नाटक पार्टी प्रभारी अरुण सिंह और राज्य इकाई के अध्यक्ष नलिन कुमार कतील को शामिल करने को कहा था.

अरुण सिंह सप्ताहांत में कर्नाटक में थे और बेलगाम और बेंगलुरु में राज्य भाजपा की कार्यकारिणी की बैठकों में शामिल हुए. मुरलीधर राव से यह जिम्मेदारी लेने के बाद यह राज्य में उनका पहला दौरा है.

उन्होंने 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के साथ लंच पर हुई एक बैठक के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार, विकास और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की.

सूत्रों के अनुसार, सिंह ने येदियुरप्पा को कैबिनेट के लिए नामों को अंतिम रूप देने से पहले निर्णय लेने में राज्य इकाई को शामिल करने को कहा है.

हालांकि, अरुण सिंह ने जोर देकर कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए किसी पसंद पर मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है.

सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘जबसे पंचायत चुनाव शुरू हुए हैं आदर्श चुनाव संहिता लागू है. हो सकता है कि वह चुनाव बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करें. हालांकि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह अपने मंत्रियों को कैसे नियुक्त करना चाहते हैं.’

मुख्यमंत्री इस साल जनवरी से ही अपने मंत्रिमंडल के विस्तार की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने विस्तार के संबंध में कम से कम चार बार ऐलान किया लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ हो नहीं पाया है.

यह किसी से छिपा नहीं है कि येदियुरप्पा और पार्टी आलाकमान के बीच रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं. अभी पिछले महीने ही पार्टी ने कर्नाटक की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए आरएसएस के विश्वस्त रहे के. नारायण का समर्थन किया था, जबकि उन्होंने मुख्यमंत्री के भेजे नामों को दरकिनार कर दिया.

मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत की

राज्य भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के कई सदस्यों ने अरुण सिंह से मुख्यमंत्री और उनके बेटे बी.वाई. विजयेंद्र पर कथित तौर पर एकतरफा ढंग से फैसले लेने की शिकायत की है.

उत्तर कर्नाटक के एक भाजपा नेता ने कहा, ‘निगमों और बोर्डों में किसे नियुक्त किया जाना है, इस पर निर्णय लगभग एकतरफा लिया गया.’ साथ ही सवाल उठाया कि आखिरी बार भाजपा विधायक दल की बैठक कब हुई थी?


यह भी पढ़ें : भाजपा के लिए राष्ट्रीय ध्वज और ‘पाकिस्तान-चीन परस्त’ के बीच की लड़ाई है जम्मू-कश्मीर के स्थानीय चुनाव


पिछले महीने येदियुरप्पा ने महाराष्ट्र सीमा से लगे जिलों में रहने वाले मराठियों को लाभान्वित करने के लिए मराठा विकास प्राधिकरण की स्थापना की घोषणा की थी. इस समुदाय के वित्तीय, सामाजिक, शैक्षणिक विकास आदि के लिए 50 करोड़ रुपये का कोष भी आवंटित किया गया था. कन्नड़ समर्थक समूहों ने फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था.

कर्नाटक के एक मंत्री ने बताया, ‘यह सब भी एक दिखावा ही है क्योंकि ऐसी चर्चाएं है कि येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को बसवकल्याण विधानसभा सीट (जहां अच्छी-खासी मराठा आबादी है) से टिकट दिया जा सकता है.’

मंत्री ने कहा, ‘फिर 500 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ वीरशैव लिंगायत विकास निगम की स्थापना के फैसले को लें. यह लिंगायत समुदाय को लुभाने की एक कोशिश थी.’

मुख्यमंत्री को नवंबर के अंतिम सप्ताह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दखल के बाद वीरशैव-लिंगायत समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने के अपने फैसले पर रोक लगानी पड़ी थी. भाजपा सूत्रों ने तब दिप्रिंट को बताया था कि शाह ने मुख्यमंत्री से कहा कि बेहतर यही होगा कि ऐसी कोई घोषणा करने से पहले वह केंद्रीय नेतृत्व के साथ उस पर चर्चा करें.

फिलहाल मुख्यमंत्री की स्थिति बेहतर

भाजपा नेताओं का मानना है कि तमाम नाराजगी के बावजूद येदियुरप्पा की स्थिति मजबूत बनी हुई है.

भाजपा के एक वरिष्ठ केंद्रीय नेता ने कहा, ‘आखिरकार वह मुख्यमंत्री हैं और फैसला उन्हें ही करना है. हालांकि, यह विस्तार एकतरफा नहीं होना चाहिए। यद्यपि ये छोटी-मोटी बाते हैं लेकिन हर मंत्रिमंडल विस्तार में पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. कोई भी मुख्यमंत्री अपने वफादारों को समायोजित करने की कोशिश करेगा, लेकिन यह देखना पार्टी की जिम्मेदारी है कि नियुक्त किए जाने लोगों का पार्टी के लिए क्या योगदान है और उनकी उपयोगिता क्या है.’

एक दूसरे केंद्रीय भाजपा नेता ने माना कि कर्नाटक में येदियुरप्पा के कद का मुकाबला करने वाला कोई नेता नहीं है.

नेता ने कहा, ‘येदियुरप्पा इतनी उम्र के बावजूद लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. लिंगायत समुदाय में उनका व्यापक जनाधार है और हमारे पास अभी उनका कोई विकल्प नहीं है. इसलिए पार्टी के लिए समझदारी इसमें ही है कि वह उनके भविष्य के बारे में सोचना छोड़कर उनके बाद राज्य इकाई के भविष्य के बारे में सोचे.’

एक तीसरे वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अभी मुख्यमंत्री को बदलना सरकार के लिए खतरा साबित होगा. नेता ने कहा, ‘कर्नाटक कोई हरियाणा नहीं है जहां आलाकमान मनोहर लाल खट्टर को स्थापित कर सकता है. वहां (कांग्रेस नेता) सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार जैसे शक्तिशाली नेता हैं जो कभी भी रुख बदल सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री के अलावा किसी अन्य नेता के पास ऐसी कमजोर संख्याबल वाली सरकार चलाने की क्षमता नहीं है. दक्षिण में हमारी एक ही सरकार है. कोई भी बदलाव येदियुरप्पा के साथ रिश्तों को अच्छा रखे बिना संभव नहीं होगा. हाई कमान ऐसा कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments