नई दिल्ली: भारत ने पहली बार दो अमेरिकी ड्रोन सी गार्डियन, जो प्रीडेटर सीरिज का शस्त्रविहीन वर्जन है, को नौसेना में शामिल किया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बीच आपातकालीन खरीद के तहत इन्हें लीज पर लिया गया है.
शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया कि हालांकि एमक्यू-9 गार्डियन/प्रीडेटर-बी को हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से एक साल के लिए लीज पर लिया गया है, लेकिन इसे लद्दाख में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भारतीय नौसेना के लोगो के साथ उड़ान भर रहे दोनों ड्रोन इस फोर्स के पूर्ण परिचालन नियंत्रण में है और इसके जरिये मिलने वाली सभी सूचनाओं तक सिर्फ उसी की पहुंच होगी.
उन्होंने बताया कि अमेरिकी फर्म की भूमिका मात्र इतनी है कि वह हस्ताक्षरित अनुबंध के तहत दो ड्रोन की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगी.
इसका सीधा मतलब यह है कि सी गार्डियन ड्रोन भारतीय नौसेना कर्मियों द्वारा उड़ाए जाएंगे और इस मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) के जरिये जुटाया गया सारा डाटा सिर्फ भारत की संपत्ति होगा.
अमेरिकी फर्म की टीम, जो मौजूदा समय में सौदे पर अमल की प्रक्रिया के तहत भारत में है, इन दो मशीनों के लिए केवल मेंटीनेंस का काम करेगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ये ड्रोन शस्त्रविहीन संस्करण हैं और 21 नवंबर को भारतीय नौसेना बेस पर आईएनएस राजाली में फ्लाइंग ऑपरेशन में शामिल किए गए हैं. इस महीने की शुरुआत में ड्रोन भारत लाए गए थे.’
यह पहली रक्षा प्रणाली है जिसे इस वर्ष पेश नई रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 के तहत लीज पर लिया गया है.
इसके अलावा रूस निर्मित चक्र परमाणु पनडुब्बी लीज पर लिया गया एकमात्र अन्य रक्षा उपकरण है.
ड्रोन के पास 30 घंटे से अधिक उड़ान भरने की क्षमता
यह पूछे जाने पर कि क्या और ड्रोन भी लीज पर लाए जा सकते हैं, एक सूत्र ने कहा, ‘यह सब इन दो ड्रोन के अनुभवों पर निर्भर करेगा. हम अभी इन दोनों को संचालित करने जा रहे हैं.’
सूत्रों ने बताया कि एक बार में 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में सक्षम ये ड्रोन को पहले ही हिंद महासागर में परिचालन के लिहाज से तैनात किए जा चुके हैं. साथ ही कहा कि दोनों ड्रोन व्यापक स्तर पर उड़ाए जाएंगे.
एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘ड्रोन के लंबे समय तक उड़ान भरने की क्षमता हमें विभिन्न जानकारियां जुटाने में सक्षम बनाने में मददगार होगी. हम पी8आई विमान उड़ाते रहे हैं. ये ड्रोन अमेरिकी विमान द्वारा किए जा सकने वाले कार्यों का विकल्प बनेंगे और बहुत काम के साबित होंगे.’
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अमेरिका से ड्रोन की खरीद
भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान मौजूदा समय में अमेरिका से ड्रोन खरीद को लेकर बंटा हुआ है.
पहले भारत नौसेना के लिए दोनों सी गार्डियन और हमले के विकल्प के तौर पर सशस्त्र प्रीडेटर बी पर विचार कर रहा था, लेकिन अब यह राय मजबूत हो रही है कि निगरानी और हमले दोनों के लिए एक ही ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिकी ड्रोन की कीमत है. पूर्व में 22 सी गार्डियन की कीमत 2 बिलियन डॉलर से अधिक तय हुई थी. सी गार्डियन की संख्या बाद में घटाकर केवल 12 कर दी गई.
अमेरिका ने 2018 में भारत को सी गार्डियन की आपूर्ति पर सहमति जताई थी लेकिन ज्यादा लागत के कारण खरीद की प्रक्रिया धीमी हो गई.
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