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Sunday, 24 November, 2024
होमदेशपालघर लड़कियों से लेकर समित ठक्कर केस तक- सभी महाराष्ट्र सरकारों ने ऑनलाइन विरोध को दबाने की कोशिश की

पालघर लड़कियों से लेकर समित ठक्कर केस तक- सभी महाराष्ट्र सरकारों ने ऑनलाइन विरोध को दबाने की कोशिश की

शिवसेना की अगुवाई वाली एमवीए सरकार के अंतर्गत कम से कम 10, बीजेपी-शिवसेना शासन में 6, और कांग्रेस-एनसीपी राज में कम से कम 3 मामले ऐसे हैं, जिनमें लोगों पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मुक़दमे दायर किए गए हैं.

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मुंबई : समित ठक्कर को, जो नागपुर के निवासी हैं और एक बीजेपी समर्थक हैं, उन्हें इसी हफ्ते 17 दिन में तीसरी बार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे व राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से अपमानजनक पोस्ट्स के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

लेकिन ठक्कर पहले शख़्स नहीं हैं जिन्हें राज्य की पुलिस ने, कथित रूप से अपमानजनक ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इससे पहले भी ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के शासन में ऐसी कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.

बीजेपी नेताओं ने ऐसी पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और कहा है कि ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के खिलाफ सख़्ती है.

लेकिन, बहुत समय नहीं हुआ जब बीजेपी ख़ुद ऐसी आलोचना के निशाने पर थी, जिस समय महाराष्ट्र पुलिस सीएम देवेंद्र फड़णवीस और उनकी सरकार के ख़िलाफ, ‘आपत्तिजनक’ सोशल मीडिया पोस्ट डालने के आरोप में मुक़दमे दर्ज करके लोगों को गिरफ्तार कर रही थी.

उससे पहले, राज्य में कांग्रेस-नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और वो भी यही काम कर रही थी.

सोशल मीडिया पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने के खिलाफ पुलिस के ज़रिए सख़्त कार्रवाई करना, महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं की ख़ासियत रही है.

ऐसे कम से कम दस मामले, जिनमें पांच गिरफ्तारियां शामिल हैं. मौजूदा एमवीए सरकार के तहत रहे हैं, कम से कम छह पिछले बीजेपी-शिवसेना शासन में और कम से कम तीन, कांग्रेस-एनसीपी सरकार में रहे हैं. जब सोशल मीडिया देश में अपनी शैशव अवस्था में था.

हर सियासी पार्टी ने अपनी सरकार के दौरान ऐसी गिरफ्तारियों या कार्रवाईयों को जायज़ ठहराया है, जबकि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने विरोधी पार्टी की कार्रवाई की आलोचना की है.

एडवोकेसी ग्रुप इंटरनेट फ्रीडम फाउण्डेशन के कार्यकारी निदेशक और वकील अपार गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस मामले में कोई विस्तृत अध्यय तो नहीं किया गया है, लेकिन देशभर से ऐसे मामले अधिकतर महाराष्ट्र में हैं…सभी राजनेताओं ने, जिस हद तक वो कर सकते हैं, प्रेस, पुलिस और कोर्ट का इस्तेमाल किया है.’

गुप्ता के फाउण्डेशन ने अगस्त में महाराष्ट्र सरकार को लिखकर सुझाव दिया था कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करनी चाहिए, जो कथित राजद्रोह, हेट-स्पीच, पोर्नोग्राफी, अश्लीलता, और महिलाओं के प्रति अपमान आदि के मामलों को देखने के लिए, पुलिस के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार करे.

गुप्ता ने कहा, ‘एसओपी से ऐसे मामलों में ज़्यादा निष्पक्षता आएगी, और इस तरह की चुनिंदा कार्रवाईयों में, राजनीतिक हस्तक्षेप कम होगा. इस तरह के मामले रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के अनुकूल नहीं होते, जो राज्य में ख़ासकर मुम्बई में स्थित उद्धोगों की ज़रूरत होती हैं. कौन से मामलों पर कार्रवाई होनी चाहिए, इसका सियासी रूप से चुनाव करना, कम से कम होना चाहिए’.

एमवीए सरकार के तहत कार्रवाई

ठक्कर को, जिन्हें ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत, बहुत से सीनियर बीजेपी नेता फॉलो करते हैं, पहली बार पिछले महीने नागपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जैसे ही शहर की एक अदालत ने उन्हें ज़मानत दी, मुम्बई के वीपी रोड थाने के पुलिस अधिकारियों ने, 2 नवंबर को उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया.

फिर इसी हफ्ते, जैसे ही ठक्कर को वीपी रोड पुलिस स्टेशन में दायर मुक़दमे में ज़मानत मिली, उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, और इस बार ये गिरफ्तारी बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) साइबर पुलिस ने की.

बीजेपी समर्थक के खिलाफ कई मुक़दमे दर्ज हो गए हैं, जिनमें तीन शिवसेना ने दायर किए हैं.


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बीकेसी साइबर पुलिस द्वारा उनकी ताज़ा गिरफ्तारी, अगस्त में उनके एक ट्वीट को लेकर है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आदित्य ठाकरे, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में शामिल थे.

ठक्कर को पिछले महीने और दो नवंबर को, जून के आख़िरी हफ्ते में किए गए, उनके ट्विटर कमेंट्स के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिनमें ठाकरे को ‘आज का औरंगज़ेब’ कहा गया था. उन्होंने आदित्य को ‘बेबी पेंगुइन’ भी कहा है, और माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर महिलाओं, राजनेताओं, और पत्रकारों वग़ैरह को गालियां भी दीं हैं.

लेकिन, ठक्कर पहले शख़्स नहीं हैं जिनके खिलाफ, एमवीए सरकार के राज में पुलिस ने कार्रवाई की थी.

पहले ऐसे व्यक्ति थे नवी मुम्बई के निवासी परेश बोरसे, जिन्हें इस साल अप्रैल में, फेसबुक पर एक तस्वीर डालने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें सीएम और उनका बेटा, अपने कांधों पर एक ताबूत लेकर चल रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं. इसमें कोविड-19 के सबसे अधिक मामलों, और उससे जुड़ी मौतों को लेकर, महाराष्ट्र सरकार की चुटकी ली गई थी.

अगस्त में, ट्विटर यूज़र सुनैना होले को, ठाकरे परिवार के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने, और शांति भंग करने के उद्देश्य से, सोशल मीडिया पर संदेश फैलाने के लिए गिरफ्तार किया गया.

फिर सितंबर में, मुम्बई पुलिस ने यू-ट्यूबर साहिल चौधरी को, कथित रूप से महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया. चौधरी ने कथित रूप से ऐसी सामग्री भी पोस्ट की थी, जिसमें आदित्य को राजपूत की मौत की जांच के साथ जोड़ा गया था.

फिर पिछले महीने, मुम्बई पुलिस ने दिल्ली स्थित वकील विभोर आनंद को, राजपूत की मौत के बारे में कथित षडयंत्र की थ्योरियां फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

बीजेपी ने पुलिस की इन कार्रवाइयों का विरोध किया है.

बीजेपी के महाराष्ट्र प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने, पिछले महीने दिप्रिंट से कहा था, ‘किसी भी लोकतंत्र में, आलोचना और असहमति होना लाज़िमी है, लेकिन यहां तो लगता है कि वो एक नया क़ानून ले आए हैं, जिसमें कोई भी व्यक्ति सरकार और उसके नेताओं के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकता’.

लेकिन एक शिवसेना एमएलसी मनीषा कायंदे ने कहा: ‘किसी को गाली देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है. आमतौर पर, सभी राजनीतिक पार्टियों को प्रयास करना चाहिए, कि ऐसी ग़ैर-ज़िम्मेदाराना सामग्री को बर्दाश्त न किया जाए. इस तरह की बयानबाज़ियां किसी के भी जीवन, या राजनीतिक करियर पर असर डाल सकती हैं, लेकिन ये सहनशीलता बदल जाती है, जब आप दूसरी ओर होते हैं’.

संयोग से, बीजेपी भी राज्य के कई शहरों, जैसे मुम्बई, नागपुर और रत्नागिरी आदि में पुलिस के पास शिकायत करने गई थी, कि उसके सीनियर नेताओं, ख़ासकर पूर्व सीएम और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष, फड़णवीस को ट्रोल करने के लिए, उनके खिलाफ अश्लील और असंसदीय भाषा’ का इस्तेमाल किया जा रहा है.

बीजेपी मुम्बई अध्यक्ष मंगल प्रभात लोधा ने दिप्रिंट से कहा: ‘बार बार कहने के बाद भी, इस मामले में कोई एफआईआर या जांच नहीं हुई है’.

कांग्रेस-एनसीपी सरकार के अंतर्गत मामले

सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का सबसे चर्चित मामला, नवंबर 2012 का है जब कांग्रेस-एनसीपी सत्ता में थीं.

पालघर की दो लड़कियों, शाहीन दाधा और रेणु श्रीनिवासन को, एक फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया, जिसमें उन्होंने शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की मौत पर, मुम्बई बंद किए जाने का विरोध किया था. कमेंट दाधा ने लिखा था, जबकि उसकी दोस्त श्रीनिवासन ने उसे ‘लाइक’ किया था.

इस केस ने पूरे देश का ध्यान खींचा, और कांग्रेस-एनसीपी सरकार को अपनी राजनीतिक विरोधियों, कार्यकर्ताओं और नेटिज़ंस की ओर से भारी आलोचना झेलनी पड़ी. 2013 में, सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक हलफनामे में, राज्य सरकार ने माना कि गिरफ्तारी से, ‘डर पैदा हो गया था और वो अनुचित थी’.

पालघर पर देशभर का ध्यान गया, लेकिन कांग्रेस-एनसीपी शासन में इससे पहले भी, इस तरह के मामले दर्ज हुए थे.

मार्च 2012 में, मुम्बई पुलिस ने एयर इंडिया के दो कर्मचारियों- केबिन क्रू मेम्बर्स मयंक मोहन शर्मा, और केवीजे राव पर मुक़दमा दर्ज किया. इन दोनों पर राजनेताओं के बारे में भद्दे जोक्स शेयर करने, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भद्र टिप्पणियां करने, और अपनी फेसबुक पोस्ट में राष्ट्रीय तिरंगे का अपमान करने के आरोप लगाए गए. मई में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, और एयरलाइन से निलंबित भी कर दिया गया.

सितंबर 2012 में, मुम्बई पुलिस ने कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को, राजद्रोह, साइबर अपराध, और कथित रूप से संसद तथा राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उनकी वेबसाइट ‘कार्टून्स अगेंस्ट करप्शन’ को भी बैन कर दिया.

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने दिप्रिंट से कहा: ‘हर किसी को आलोचना करने का अधिकार है. अभिव्यक्ति की आज़ादी संविधान में दी गई है, लेकिन आप जो कह रहे हैं उसकी ज़िम्मेदारी भी आप ही की है, चूंकि आपको किसी की भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिएं’.


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सावंत ने कहा,‘अब जानबूझकर एक पेशेवर प्रयास किया जा रहा है, जिसमें सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए फर्ज़ी अकाउंट बनाए जाते हैं, अफवाहें उड़ाई जाती हैं, और बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से अनुकूल हालात पैदा किए जाते हैं. ये एक राष्ट्रीय षडयंत्र है’. उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस इस कथित ‘प्रणालीगत अपराध’ का पर्दाफाश करने की कोशिश में लगी है, फड़णवीस सरकार के अंतर्गत सोशल मीडिया यूज़र्स के खिलाफ की गई कार्रवाई मनमानी थी, जिनसका मक़सद राजनीतिक विरोधियों को साधना था.

बीजेपी-शिवसेना सरकार के अंतर्गत मामले

जुलाई 2015 में, नागपुर पुलिस ने शहर के एक कांग्रेस कार्यकर्ता अजय हेतवार के खिलाफ, आईटी एक्ट के तहत मुक़दमा क़ायम किया. हेतवार ने परिवार सहित यॉट पर सवार, फड़णवीस की एक पुरानी तस्वीर ट्वीट कर दी थी, जबकि फड़णवीस उस समय सरकारी दौरे पर अमेरिका में थे.

शिकायतकर्ता ने जो एक बीजेपी नेता था, दावा किया कि दो दौरों को मिलाकर, हेतवार ने ‘सीएम को बदनाम’ किया था. नागपुर पुलिस हेतवार को तलाश कर रही थी, लेकिन वो कथित रूप से कहीं छिप गए.

जून 2017 में, मुम्बई पुलिस के साइबर सेल ने, कॉमेडियन तनम्य भट्ट पर मुक़दमा कर दिया. उन्होंने एक मीम ट्वीट किया था, जिसमें पीएम मोदी के एक फोटो पर, स्नैपचैट डॉग फिल्टर इस्तेमाल किया गया था.

अगस्त 2017 में, बारामती निवासी महादेव बालगुड़े को, पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस की ऑफिसर-ऑन-स्पेशल-ड्यूटी, निधि कामदार का कथित रूप से फर्ज़ी फेसबुक अकाउंट बनाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. बालगुड़े ने कथित रूप से निधि और सीएम के बारे में, अभद्र और अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट कीं थीं.

मई 2018 में, मुम्बई पुलिस ने एक निजी टूरिज़्म फर्म में काम करने वाले, अनिकेत पाटिल को गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने रत्नागिरी ज़िले के नानार में, एक विवादास्पद ऑयल रिफाइनरी बनाने के, फड़णवीस सरकार के फैसले के खिलाफ, ट्विटर पर मोदी और फड़णवीस को गालियां दीं थीं.

पाटिल की गिरफ्तारी के दिन ही, मुम्बई पुलिस ने लेखक व निर्देशक राम सुब्रह्मण्यम के खिलाफ, पीएम मोदी की चीन नीति और फड़णवीस की आलोचना करते हुए, अपमानजनक ट्वीट्स पोस्ट करने के आरोप में मुक़दमा दर्ज कर दिया.

एक साल बाद, अगस्त 2019 में, चंद्रपुर ज़िले के एक सामाजिक कार्यकर्ता बलिराज धोते को, फेसबुक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट डालने, और पीएम मोदी व स्मृति ईरानी की छवि बिगाड़ने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

कांग्रेस, बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप

बारामती निवासी बालगुड़े की गिरफ्तारी पर, कांग्रेस के सावंत ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें 90 दिनों तक जेल में रखा गया.

उन्होंने कहा, ‘ये सब चीज़ें बीजेपी सरकार के राज में हुईं हैं. वो अब कुछ कहने वाले कौन होते हैं, और वो ठक्कर और होले जैसे लोगों की कैसे हिमायत कर सकते हैं, जिस तरह की भाषा उन्होंने ट्विटर पर इस्तेमाल की है’.

इस बीच बीजेपी ने कहा कि उनके शासनकाल में हुईं गिरफ्तारियां, ‘बोलने की आज़ादी का दमन नहीं थीं’.

बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी, जो अनिकेत पाटिल और राम सुब्रह्मण्यम के खिलाफ पुलिस केस में शिकायतकर्ता थीं, ने कहा, ‘हमने जो किया वो बोलने की आज़ादी का दमन नहीं था. हमने कुछ शिकायतों की जांच की जिनमें आरोपी ने, सीएम की पत्नी को रेप की धमकी भी दी थी. आप हमारे राजनीतिक फैसलों का विरोध कर सकते हैं, (लेकिन) ये किसी भी तरह से बोलने की आज़ादी नहीं है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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