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Thursday, 21 November, 2024
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छत्तीसगढ़ की अजीत जोगी की पार्टी पर संकट गहराया, कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं विधायक

अजीत जोगी द्वारा स्थापित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) का भविष्य खतरे में पड़ गया है. पार्टी के चार में से दो विधायकों ने कांग्रेस वापसी की इक्षा जाहिर की है जिसका कांग्रेस ने स्वागत किया है.

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रायपुर: एक ओर जहां छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का परिवार अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर उसके नेतृत्व वाली प्रदेश की एक मात्र मान्यता प्राप्त रीजनल पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) का भविष्य खतरे में पड़ गया है. पार्टी के चार में से दो विधायकों ने कांग्रेस पार्टी में वापसी की इच्छा जाहिर की है जिसका कांग्रेस ने स्वागत किया है.

मरवाही के पूर्व विधायक अजीत जोगी की मौत और उनके परिवार के सदस्यों का जाति के आधार पर उपचुनाव लड़ने से वंचित होने के बाद जेसीसी के विधायकों कहना है कि पार्टी का भविष्य अब खतरे में है. पार्टी के दो विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस में वापसी की कवायद शुरू कर दी है. विधायकों ने कहा है कि अजीत जोगी भी जीवित रहते हुए पार्टी का कांग्रेस में विलय करना चाहते थे लेकिन 29 मई 2020 को उनकी मृत्यु हो जाने के कारण यह नहीं हो पाया.

जेसीसी के खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह ने दिप्रिंट को बताया है कि कांग्रेस उनके खून में है और उनका भविष्य वहीं है. उनका पूरा परिवार हमेशा कांग्रेस की विचारधारा का रहा है और 2016 में जेसीसी के गठन से पहले वह तीन बार कांग्रेस के विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. सिंह के अनुसार उनके सहयोगी और जेसीसी के दूसरे विधायक प्रमोद शर्मा भी उनसे पूरी तरह सहमत हैं.

अजीत जोगी की मृत्यु के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में उनकी पत्नी डॉक्टर रेणु जोगी, धर्मजीत सिंह, देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा सहित जेसीसी के चार विधायक हैं. देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा का मानना है कि पार्टी का दमखम अजीत जोगी से था. उनके बाद जेसीसी का वजूद खतरे में पड़ गया है.

देवव्रत सिंह ने बताया, ‘मेरा कांग्रेस के प्रति झुकाव स्वाभाविक है. हमने हमेशा कांग्रेस के कार्यकर्ता की तरह ही काम किया है. अजीत जोगी के नेतृत्व में प्रदेश में एक मजबूत तीसरा विकल्प खड़ा करने की कोशिश की गयी थी लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. जोगी जी के जाने बाद ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो पार्टी को नेतृत्व दे सके. इससे पार्टी के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है.’ लेकिन सिंह का यह भी कहना है कि वे और प्रमोद शर्मा अभी संवैधानिक रूप से जेसीसी के साथ ही हैं क्योंकि ‘कांग्रेस में प्रवेश के लिए उन्हें कम से कम तीन विधायक चाहिए और वे ऐसे पार्टी नहीं छोड़ना चाहते. इसके अलावा अंतिम निर्णय कांग्रेस को करना है.’

देवव्रत सिंह के वक्तव्य का स्वागत करते हुए छत्तीसगढ़ पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, ‘देवव्रत सिंह पुराने कांग्रेसी हैं और उनकी घर वापसी पार्टी के लिए ठीक होगी लेकिन इस मामले में अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ही लेगा.

मरकाम के अनुसार प्रदेश में जेसीसी का भविष्य संकट में है. पार्टी का नेतृत्व जनता को गुमराह कर रहा है.


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जोगी भी कांग्रेस में लौटना चाहते थे, मरवाही छोड़ने का दिया था ऑफर

जेसीसी नेताओं का कहना है कि दिवंगत अजीत जोगी भी कांग्रेस में वापस लौटना चाहते थे. 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद एआईसीसी के बड़े नेताओं के साथ कई बार बातचीत हुई लेकिन सहमति नहीं बन पाई. देवव्रत सिंह के अनुसार,’ यह सच्चाई है कि अजीत जोगी कांग्रेस में वापस जाना चाहते थे जिसके लिए वे डेढ़ दो सालों से प्रयासरत थे. उन्होंने मुझे कई बार कहा कि तीसरी पार्टी चलाना मुश्किल है जिस पर मेरा सुझाव था कि हमें कांग्रेस में वापस चले जाना चाहिए. इस पर उन्होंने सोचना शुरू कर दिया था. 2018 में अहमद पटेल समेत कुछ और नेताओं के साथ इस मुद्दे पर एक बैठक भी हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई.’

जेसीसी विधायक के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव के पहले अजीत जोगी ने दिल्ली में  कांग्रेस नेताओं को सुझाव दिया था कि वे पार्टी के लिए मरवाही की विधायकी छोड़कर महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ लेंगे लेकिन कांग्रेस नेतृत्व नहीं माना. बल्कि कांग्रेस ने जोगी को अपने उम्मीदवारों को समर्थन देने को कहा.

पूरी कोशिश की गई जब जोगी कोमा में थे

जेसीसी के एक नेता का कहना है कि 19 अप्रैल 2020 को जोगी को दिल का दौरा पड़ने के बाद रेणु जोगी और उनके बेटे अमित जोगी ने राहुल गांधी, सोनिया और अन्य नेताओं से आग्रह किया था कि उनके कोमा में रहते हुए जेसीसी का पार्टी में विलय हो जाए. इस नेता के अनुसार, ‘कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात के लिए राजी भी हो गया था कि अजीत जोगी को कोमा की स्थिति में ही सत्तारूढ़ दल में शामिल कर लिया जाए और मृत्यु होने पर उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस के झंडे में लेकर जाया जाए. हालांकि ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि विधानसभा सचिव और विधि विशेषज्ञों की राय इसके विपरीत थी. जोगी के कोमा में होने की वजह से यह कार्रवाई संभव नहीं हो सकती थी.’

जेसीसी अध्यक्ष अमित जोगी ने पार्टी विधायक देवव्रत सिंह के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘वे न तो कांग्रेसी हैं और न ही जनता कांग्रेसी, वे सिर्फ अवसरवादी हैं. जो पार्टी मेरे स्वर्गीय पिता के निधन के बाद भी उनका लगातार अपमान कर रही है, उस पार्टी में जाने का सवाल ही नहीं उठता.

बतौर जोगी, ‘ऐसा कुछ लोग उपचुनाव के ठीक पहले अचानक क्यों कह रहे हैं, यह तो वो ही बता पाएंगे. मैं उनको जोगी जी की आत्मकथा पढ़ने की सलाह ज़रूर दूंगा. उनकी सारी ग़लतफ़हमी मिनटों में दूर हो जाएगी. जिनको कांग्रेस में प्रवेश करने का शौक़ है, वे पंजा छाप से उपचुनाव लड़ें. उनका जवाब जेसीसी बखूबी देना जानती है. अपनी जमानत बचा पायें तो अजूबा होगा. सीएम भूपेश की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.’


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जेसीसी विधायक दल के नेता ने कांग्रेस में जाने से किया इनकार 

शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह से मुलाकात को लेकर चर्चा का विषय बन चुके जेसीसी विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह ने कांग्रेस में जाने से साफ इनकार कर दिया है. देवव्रत सिंह के वक्तव्य पर बोलते हुए धर्मजीत ने कहा है कि, ‘जिसको जहां जाना है वे जा सकते हैं लेकिन मेरा कोई इरादा नही है. वे तीन विधायक साथ लेकर जा सकते हैं.’

डॉ. रमन सिंह से बंद कमरे में तकरीबन एक घंटे तक हुई मुलाकात को लेकर धर्मजीत सिंह ने कहा, ‘अभी हमारा एकमात्र लक्ष्य स्वर्गीय अजीत जोगी और उनके परिवार को अपमानित करने वालों के ख़िलाफ़ न्याय दिलाना है और इसके लिए मुझे जिससे मिलना पड़ेगा, उससे मिलूंगा. हमारे दल अलग हैं लेकिन इस मुद्दे को लेके हमारे दिल अलग नहीं है.’

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