नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के कारण झटका लगने के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी को उम्मीद है कि भारत अभी भी 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है.
गुरुवार को इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि भारत आर्थिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जैसा कि 5 संकेतकों से पता चलता है – कृषि में रिकॉर्ड उत्पादन और खरीद, एफडीआई इनफ्लो, ऑटो और ट्रैक्टर की बिक्री में वृद्धि देखने को मिली है, सुधार विनिर्माण और इसके अलावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ग्राहक आधार, नौकरी में सुधार दिखा रहा है.
उन्होंने कहा, इसके अलावा, अभी तक के सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार के साथ-साथ फ्रेट मूवमेंट जैसे संकेतकों में सुधार व्यापक रिकवरी का संकेत देते हैं.
उन्होंने कहा, ‘आज, हमारा देश भविष्य का आशावादी है, यह 5 ट्रिलियन डॉलर लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आशावादी है और यह हमें आत्मविश्वास देता है, तो क्या हुआ अगर हम महामारी के कारण इस वर्ष तेज़ गति से आगे नहीं बढ़ सके! हम अगले साल नुकसान की भरपाई के लिए और तेजी से प्रयास करेंगे. यदि हम अपने मार्ग में बाधाओं से घिर जाते हैं तो कुछ भी अच्छा नहीं हो पाता है. आकांक्षा नहीं करके हम विफलता की गारंटी देते हैं.’
क्या भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है? का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, क्रय शक्ति समता के मामले में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम चाहते हैं कि भारत वर्तमान अमेरिकी डॉलर की कीमतों के साथ ही तीसरा सबसे बड़ा देश बन जाए. 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हमें वह हासिल करने में मदद करेगा. क्या भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है.
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, हमारी सरकार के पास हमारे लक्ष्यों को पूरा करने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है.’ मार्च 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 2.7-2.8 ट्रिलियन डॉलर थी.
महामारी से पहले भी, अर्थशास्त्रियों ने 2024 तक भारत के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनना लगभग असंभव करार दिया था क्योंकि 2019-20 में जीडीपी विकास दर 4.2 प्रतिशत तक कम हो गई, जो कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक दोहरे अंक की वृद्धि की तुलना में बहुत कम है. महामारी ने मौजूदा वित्तवर्ष में अर्थव्यवस्था के दोहरे अंक की उम्मीद को और बदतर कर दिया है.
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मूडीज के आंकड़ों का हवाला देते हुए मोदी ने बताया कि 2020 में अमेरिका की 154 ग्रीनफील्ड परियोजनाएं भारत में कैसे आई हैं, जबकि चीन में 86, वियतनाम में 12 और मलेशिया में 15 हैं.
लॉकडाउन को लेकर पीएम ने कहा कि हमने इसे तब किया जब बहुत कम मामले हमारे यहां थे, जबकि बाकि देशों ने तब शुरू किया जब उनके मामले हजारों में पहुंच गए. 20 अक्टूबर को हाल में देश के लोगों से जोर देकर कहा था कि लोग मास्क पहनें, हाथ धोएं, सोशल डिस्टैंसिंग बनाएं. जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं.
पीएम ने मार्च में जारी लॉकडाउन और भारत के प्रदर्शन पर कहा है कि हम सब सहमत हैं कि यह वायरस अज्ञात है. इस तरह पहले कभी नहीं हुआ. पीएम ने कहा कि मैं कोई स्वास्थ्य विशेज्ञय तो नहीं लेकिन मेरा आकलन नंबर के आधार पर है. आकलन इस पर हो कि हम कितनी जानें बचा सके. यह वायरस चंचल साबित हो रहा है एक तरफ गुजरात में हॉट स्पाट बना तो वहीं दूसरी केरल, कर्नाटक में स्थिति काबू रही. कुछ समय बाद गुजरात में स्थित बदली. लेकिन वहीं केरल में स्थिति बदतर हो रही है.
सुधारों पर
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा पिछले कुछ महीनों में किए गए श्रम और कृषि सुधारों से भारत के इरादे के बारे में दुनिया को सकारात्मक संकेत भेजने के अलावा विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों में वृद्धि और रिटर्न बढ़ाने में मदद मिलेगी.
श्रमिक सुधारों को मज़दूरों के लिए अच्छा बताते हुए, मोदी ने कहा कि सुधार व्यवसायों के लिए एक स्थिर शासन का नेतृत्व करेंगे, जो कर्मचारी और नियोक्ता के लिए अच्छी स्थिति पैदा करेगा.
पीएम ने यह भी दोहराया कि सरकार समग्र मैक्रोइकॉनमिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए अर्थव्यवस्था को समय पर ढंग से प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक सभी उपाय करेगी. उन्होंने कहा कि निवेश और बुनियादी ढांचे के प्रति सरकार का प्रयास आर्थिक सुधार के पीछे प्रेरक शक्ति होगा.
उन्होंने कहा, हमने भारत को अग्रणी विनिर्माण गंतव्य बनाने के लिए मजबूत नींव रखी है, मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत किस तरह महामारी से निपटने में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. उन्होंने बताया कि भारत का मामला दुनिया में सबसे कम है.
भारत की मृत्यु दर लगभग 1.5 प्रतिशत है और प्रति मिलियन मृत्यु 86 के आसपास है.
(रेम्या नैयर के इनपुट के साथ )
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