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Wednesday, 13 November, 2024
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कमलनाथ MP में उपचुनावों में कांग्रेस के अकेले शोमैन, दिग्विजय 2018 की तरह ही सुर्खियों से दूर हैं

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को सीमित कर दिया गया है क्योंकि कांग्रेस बीजेपी को 'मिस्टर बंटाधार' के रूप में निशाना बनाने का मौका नहीं देना चाहती है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को टिकट-उम्मीदवारों के एक छोटे समूह को यह कहते सुना गया था कि वह चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे क्योंकि पार्टी उनके भाषणों के कारण वोट खो देती है.

उनकी यह बात सार्वजनिक करने के लिए नहीं थी, लेकिन सिंह यह कहते हुए कैमरे पर पकड़े गए. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शायद ही विधानसभा चुनावों में प्रचार किया.

राज्य के शीर्ष नेताओं में से एक होने के बावजूद, उनकी सापेक्ष अनुपस्थिति ज्यादा महसूस नहीं की गई क्योंकि राहुल गांधी जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने कई रैलियों को संबोधित किया और कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे.

दो साल बाद दिग्विजय सिंह के लिए बहुत कुछ बदल गया है, वह भोपाल में एक बड़े अंतर से 2019 के आम चुनाव में प्रज्ञा सिंह ठाकुर से हार गए थे.

वह 3 नवंबर को मध्य प्रदेश के 28 निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव से पहले सुर्खियों से दूर हैं.

पाले के दूसरी तरफ सिंधिया हैं और राहुल गांधी के चुनाव प्रचार की संभावना नहीं है, इसलिए कमलनाथ कांग्रेस के अभियान का चेहरा बन गए हैं.

करीब ढाई साल पहले एमपी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख बने कमलनाथ, इस साल मार्च तक 15 महीने तक मुख्यमंत्री रहे, जब सिंधिया और उनके प्रति वफादार विधायकों ने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था.

खुद को एक विक्टिम के रूप में चित्रित करते हुए कमलनाथ सख्ती से अभियान चला रहे हैं. एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने पहले ही 10 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर कर लिया है और बाकी बचे मतदान क्षेत्रों का दौरा करेंगे, प्रियंका गांधी वाड्रा के रोडशो करने की संभावना है.

‘कमलनाथजी को शो चलाना होगा क्योंकि राहुल गांधी की यात्रा की कोई संभावना नहीं है.’


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‘विध्वंसक’

2003 से 2013 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके शासनकाल को याद करते हुए भाजपा ने सिंह पर हमला किया था, भाजपा ने उन्हें ‘बंटाधार’ के रूप में टारगेट किया, इसलिए कांग्रेस उनको सामने नहीं लाना चाहती है.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि वह पूरी तरह से बाहर हैं, लेकिन वे पीछे के संचालन और नियोजन को संभालते हैं. हम कोई भी गलत कदम नहीं उठाना चाहते हैं और भाजपा हमें निशाना बनाए इससे बचना चाहते हैं.’

कांग्रेस का अभियान यह स्पष्ट करता है कि अब कमलनाथ के लिए कोई चुनौती नहीं है. ‘जनता खड़ी है साथ, लौट रहे हैं कमलनाथ’ अभियान की एक टैगलाइन है. 15 महीने के कांग्रेस शासन से उपलब्धियां सूचीबद्ध करने से पहले अन्य वीडियो में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा गया कि ‘मेरी गलती क्या थी?

ग्वालियर-चंबल बेल्ट में चुनाव प्रचार के दौरान, जहां पर 28 में से 16 सीटों पर मतदान होने हैं, कमलनाथ मतदाताओं से कहते हैं कि ‘अब इस क्षेत्र को विकसित करने की मेरी जिम्मेदारी है.’

पार्टी यह उल्लेख करने में विफल नहीं है कि जब सिंधिया कांग्रेस के साथ थे तो उन्होंने किसी को भी इस क्षेत्र की राजनीति और अन्य मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने दिया. इसके अलावा, सिंधिया के समर्थकों ने उन्हें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरे के रूप में पेश किया.

इस अभियान में शामिल पूर्व मंत्री जैसे जीतू पटवारी, गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा और अजय सिंह सहित अन्य कांग्रेस नेता हैं, लेकिन वे कमलनाथ से बहुत जूनियर हैं.

भोपाल से भाजपा के पूर्व लोकसभा सदस्य आलोक संजर ने कहा कि यह सामान्य बात है कि कांग्रेस सिंह को अभियान में लाकर वोटों का जोखिम नहीं उठाना चाहती, जबकि भाजपा अभियान में एकजुट है. कांग्रेस हमेशा की तरह एक विभाजित है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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