नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को बाबरी मस्जिद विध्वंस के फैसले पर टिप्पणी अभी करनी है, जिसमें सभी 32 अभियुक्तों सहित वरिष्ठ भाजपा नेता एलके आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बुधवार को बरी कर दिया गया.
सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर या अन्यथा इस फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. उन्होंने केवल हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के में ट्वीट किया.
उनकी पार्टी ने भी बुधवार शाम एक प्रेस बयान जारी किया, जिसमें बलात्कार पर नाराजगी व्यक्त की, लेकिन बाबरी फैसले पर कुछ भी नहीं कहा.
दिप्रिंट ने सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने बाबरी फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया उन्होंने कहा कि वह इस पर पार्टी के रुख की पुष्टि करने के बाद कुछ कहेंगे. उन्होंने इस रिपोर्ट के प्रकाशित करने के समय तक रिवर्ट नहीं किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी फैसले पर शांत रहना चुना है. उन्होंने भी बुधवार को हाथरस मामले को लेकर केवल ट्वीट किया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए बसपा नेता सुधींद्र भदौरिया ने कहा, ‘सभी अदालती आदेशों का सम्मान किया जाना चाहिए.’
भदौरिया ने कहा, कोई अदालत के आदेश पर कैसे सवाल उठा सकता है? हमें हर उस चीज का सम्मान करना होगा जो न्यायपालिका कहती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह ‘व्यक्तिगत क्षमता में बोल रहे हैं क्योंकि पार्टी ने अभी तक कोई आधिकारिक स्टैंड नहीं लिया है.’
लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें आडवाणी, जोशी, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह और भाजपा नेता उमा भारती, विनय कटियार और साक्षी महाराज शामिल हैं.
सपा और बसपा दोनों ने अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2019 के फैसले का स्वागत किया था, जिसने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था.
जबकि यादव ने फैसले को ‘ऐतिहासिक’ कहा था, मायावती ने सभी से ‘फैसले का सम्मान करने’ की अपील की थी.
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स्पेशल कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत : कांग्रेस
इस बीच, कांग्रेस ने फैसले के कुछ घंटों बाद बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि यह ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ-साथ संवैधानिक भावना से भी जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने नवंबर के फैसले में विध्वंस को ‘अवैध’ कहा था.’
मुख्य कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि विशेष अदालत का निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के लिए काउंटर है. पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द्र को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था. उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द्र भंग करने की इस साजिश में शामिल थी.
सुरजेवाला ने आगे कहा कि पार्टी केंद्र और राज्य सरकारों से विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का आग्रह करती है.
हालांकि, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया और न ही अब तक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कोई बयान दिया है.
राहुल और प्रियंका गांधी गुरुवार को हाथरस बलात्कार पीड़िता के परिवार मिलने जा रहे हैं.
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