नई दिल्ली: चीन के साथ जारी तनाव के बीच हाई अलर्ट भारतीय नौसेना ने अपने प्रमुख थिएटर-स्तरीय अभ्यास ट्रॉपेक्स की तैयारी शुरू कर दी है जो अगले साल जनवरी में होना है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
शीर्ष रक्षा सूत्रों के अनुसार, तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं. पूर्वी और पश्चिमी बेड़े दोनों से अतिरिक्त जहाज रवाना हो गए हैं और फिलहाल समुद्र में बने हुए हैं.
सूत्रों ने कहा कि ट्रॉपेक्स पहले से ही सतर्क नौसेना को आकस्मिक स्थितियों के लिए और तैयार करने में मददगार होगा. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि मौजूदा हालात में इस अभ्यास के दौरान चीनी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है.
एक अंतराल के बाद अलग-अलग कमान अभ्यास, पश्चिमी कमान के डिफेंस ऑफ गुजरात (डीजीएक्स) और ईस्टर्न नेवल कमांड ऑपरेशनल रेडीनेस एक्सरसाइज (ईएनसीओआरई) के लिए ट्रॉपेक्स यानी थिएटर-लेवल रेडीनेस एंड ऑपरेशनल एक्सरसाइज का आयोजन नौसेना हर दूसरे साल करती है.
ट्रॉपेक्स का आयोजन गोपनीय तौर पर निर्धारित आकस्मिकताओं पर आधारित नौसेना की परिचालन संबंधी तैयारियों का आकलन करने के लिए होता है. अभ्यास लगभग एक महीने चलता है और उसके बाद एक डिब्रीफिंग सत्र शुरू होता है.
पिछला ट्रॉपेक्स जनवरी-फरवरी 2019 में आयोजित किया गया था और मोटे तौर पर इसमें नौसेना के 60 जहाज, भारतीय तटरक्षक बल के 12 जहाज और 60 विमान शामिल हुए थे.
अभ्यास के तुरंत बाद नौसेना को उत्तरी अरब सागर में ऑपरेशनल भूमिका में तैनात कर दिया गया था, जब पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हमले और जवाबी कार्रवाई के तौर पर बालाकोट में एक आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर भारत के हवाई हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था.
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ट्रॉपेक्स की तैयारियां
कैंपेन सीजन या ट्रॉपेक्स के लिए तैयारियों का चरण इसके आयोजन से पहले वाले वर्ष में अक्टूबर से ही शुरू हो जाता है. हिस्सा लेने वाली टीमों को ‘नीली’ और ‘लाल’ मार्क के साथ बांटा जाता है जिसे क्रमशः भारतीय नौसेना और संभावित दुश्मन के रूप में दर्शाया जाता है, जरूरतों की अवधारणा के आधार पर महासागर के एक बड़े हिस्से को अभ्यास के लिए रेखांकित किया गया है.
अभ्यास के अलग-अलग चरणों में एक पेपर एक्सरसाइज, दोनों पक्षों के लिए एक स्वतंत्र प्रशिक्षण अवधि, एक संयुक्त प्रशिक्षण और अंत में ट्रॉपेक्स सिचुएशन का अभ्यास शामिल है.
नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ट्रॉपेक्स नौसैनिक बलों का एक बड़ा जमावड़ा होता है जिसमें जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के अलावा विशेष बलों की तैनाती के साथ छद्म युद्ध जैसा परिदृश्य उभरता है. उन्होंने कहा कि यह पूरा अभ्यास ऑपरेटरों के पेशेवर कौशल और कमांडरों के सैद्धांतिक कौशल का जायजा लेने के लिए होता है.
उन्होंने कहा, ‘आंतरिक स्तर पर तालमेल, परस्पर समझ और ‘संयुक्तता’ कायम करने के लिए भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और तटरक्षक बल की इकाइयां भी इस अभ्यास में हिस्सा लेती हैं.’
नौसेना के पूर्व अधिकारी ने कहा कि ट्रॉपेक्स बंदरगाह पर सिम्युलेटेड पेपर एक्सरसाइज के साथ शुरू होता है, इसके बाद ‘वर्क-अप’ चरण होता है जिसमें असली हथियारों से फायरिंग का अभ्यास किया जाता है और अंत में, होता है ‘सामरिक चरण’ जिसमें दोनों तरफ के बल वास्तविक युद्ध जैसी स्थितियों में एक-दूसरे का मुकाबला करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘कोशिश होती है कि युद्ध के लिहाज से सभी डोमेन इसमें शामिल किए जाएं- जिनमें कैरियर ऑपरेशन, पनडुब्बी और पनडुब्बी रोधी युद्ध, एंफिबियस वारफेयर, मिसाइल वारफेयर, इंफॉर्मेशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर आदि शामिल हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इस साल वाणिज्यिक जहाजों की ‘नाकाबंदी’ और ‘व्यापार युद्ध’ से जुड़े अभियानों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है. इसमें परमाणु हमले में सक्षम पनडुब्बी के साथ-साथ पी-8 आई गश्ती विमान भी शामिल हो सकते हैं.’
नौसेना के पूर्व अधिकारी ने कहा कि भारत-चीन सीमा के ताजा घटनाक्रम और पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक रुख के मद्देनज़र ट्रॉपेक्स के अगले संस्करण का ‘विशेष महत्व’ है.
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा हालात का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से ‘दूसरा मोर्चा’ खोलने की कोशिशों से इंकार नहीं किया जा सकता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इन परिस्थितियों में भारतीय नौसेना को खुद को तैयार करना चाहिए और निगरानी बढ़ाकर एक ‘समुद्री मोर्चा’ खोलने के लिए पूरी तरह तत्पर रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर युद्धपोतों, पनडुब्बियों और हवाई क्षमता के माध्यम से हिंद महासागर में शत्रुओं के एनर्जी और ट्रेड ट्रैफिक के लिए गंभीर चुनौती खड़ी करने में भी सक्षम होना चाहिए.
नौसेना की पूर्वी कमान के पूर्व कमांडर-इन-चीफ वाइस-एडमिरल अनूप सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नौसेना लगातार चीनी और पाकिस्तानी नौसेनाओं की क्षमताओं की समीक्षा करती है, खासकर यह देखते हुए कि वे भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुख के साथ खुले तौर पर एक-दूसरे को हर हालात का साथी बताते हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम सतह पर रहने वाले चीनी और पाकिस्तानी जहाजों के साथ-साथ एग्जिट प्वाइंट/चोक प्वाइंट और प्रासंगिक व्यापार मार्गों की निगरानी के जरिये सब-सरफेस फ्लेटफॉर्म पर भी नज़र रखते हैं. किसी गहरे निकास क्षेत्र से गुजरने की कोशिश करने के बावजूद चीनी गतिविधियां नज़र से चूकती नहीं हैं. मलक्का और लोम्बोक जलडमरूमध्य के मुहाने पर उनकी गतिविधियों पर गहरी नज़र रखी जाती है.’
अभ्यास के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा, ‘यह गोपनीय होता है लेकिन आम तौर पर प्रतिकूल परिस्थितियों और हमारी अपनी सेनाओं की ताकत को ध्यान में रखा जाता है और प्रतिकूल परिस्थितियों पर काबू पाने की रणनीति अपनाई जाती है.’
ट्रॉपेक्स उन कई युद्धाभ्यासों में से एक है जिसका आयोजन भारतीय नौसेना करती है. इनमें विदेशी नौसेनाओं के साथ किए जाने वाले अभ्यास- रूस के साथ इंद्रा, ब्रिटेन के साथ कोंकन, फ्रांस के साथ वरुणा, ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑसइंडेक्स, सिंगापुर के साथ सिमबेक्स, श्रीलंका की नौसेना के साथ स्लाइनेक्स शामिल हैं. यह बहुपक्षीय अभ्यास मिलान और कोरपैट का भी संचालन करती है.
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