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Tuesday, 5 November, 2024
होमडिफेंस45 साल में पहली बार चीन के सोमवार को लद्दाख में फायरिंग करने की ये थी वजह

45 साल में पहली बार चीन के सोमवार को लद्दाख में फायरिंग करने की ये थी वजह

पिछले सोमवार से चीन कई बार, पूर्वी लद्दाख में रेकिन दर्रे और स्पैंगुर गैप के पास की पहाड़ियों से, भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश कर चुका है.

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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख़ में सोमवार को चीन के लड़ाकू तेवर और सख़्त हो गए, जब उसके सैनिकों ने चेतावनी के तौर पर भारतीय जवानों की तरफ फायर कर दिए, और 45 साल पहले का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कोई फायर नहीं किया गया था. इसके साथ ही रेज़ांग ला हाइट्स के पास, एक ताज़ा गतिरोध पैदा हो गया है.

एलएसी पर फायर किए जाने की पिछली घटना 1975 में हुई थी, और उस समय भी ये चीनी ही थे, जिन्होंने अरुणाचल प्रदेश (तब केंद्र-शासित प्रदेश) के तुलुंग ला में, असम राइफल्स के चार जवानों पर घात लगाकर हमला किया, और उनकी हत्या कर दी थी.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा, कि ये कार्रवाई सोमवार शाम को तब हुई, जब चीनियों ने पैंगोन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर, भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश की.

बढ़ी हुई कटुता की डिटेल्स सोमवार आधी रात को सामने आईं, जब चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर एलएसी को पार करने, और चेतावनी के शॉट्स फायर करने का आरोप लगाया, जिस आरोप का भारत ने मंगलवार सुबह खंडन किया.

भारतीय सेना ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के वेस्टर्न थिएटर कमांड के बयान को ‘अपने देसी और विदेशी श्रोताओं को गुमराह करने की एक कोशिश क़रार दिया’.

सूत्रों ने कहा कि पिछले सोमवार से, चीन कई बार पूर्वी लद्दाख में, रेकिन दर्रे और स्पैंगुर गैप के पास की पहाड़ियों से, भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश कर चुका है. उससे पिछले सप्ताहांत पर दर्रों तक पहुंचने की दौड़ में वो पिछड़ गए थे.


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चीनियों ने हवा में फायर किए

ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें चीनी सैनिक, भारत की आगे की पोज़ीशंस के पास, रायफल्स और लोहे की छड़ें ले जाते दिख रहे हैं. वो अपने सरों पर कुल्हाड़ों जैसे हथियार रखे नज़र आ रहे हैं.

सूत्रों ने कहा कि वो संभवत: ‘दाह’ थे, एक ऐसा हथियार जिससे भाले का काम लिया जाता है.

सोमवार को कुछ दूसरे सूत्रों ने कहा, कि चीनी सैनिक लाठियां भी लिए थे, और एक बार तो उन्होंने अपने क्रूड हथियारों के साथ आगे बढ़कर, भारतीयों को उकसाने की भी कोशिश की.

15 जून को गलवान घाटी की झड़प में, भारतीय सिपाहियों को निशाना बनाने के लिए, चीनी सैनिकों ने कीलें लगी हुई लाठियां इस्तोमाल कीं थीं, जिसके नतीजे में अंत में, कर्नल संतोष बाबू समेत 20 सिपाहियों की मौत हुई.

सूत्रों ने कहा कि शाम 6 बजे के क़रीब, चीनियों ने रेज़ांग ला- रेचिन ला रिजलाइन की तीन ऊंचाइयों से, भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश की. ये ऊंचाइयां भारतीय क्षेत्र में हैं, लेकिन चीन इनपर अपना दावा ठोंकता है.

सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक तीन अलग अलग दलों में थे, और हथियारों से लैस थे.

भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को दूर रहने की चेतावनी दी, लेकिन एक हाइट पर क़रीब 40 चीनी सैनिकों के एक दल ने हवा में फायर किए.

भारतीय सेना के बयान में कहा गया, ‘7 सितंबर 2020 के ताज़ा मामले में, ये पीएलए सैनिक थे जो एलएसी पर, हमारी एक फॉरवर्ड पोज़ीशन के क़रीब आने का प्रयास कर रहे थे, और जब हमारे सैनिकों ने उन्हें रोका, तो पीएलए के सैनिकों ने हमारे सैनिकों को डराने के लिए, हवा में कुछ राउण्ड फायर किए. लेकिन, उकसाए जाने के बावजूद, हमारे सैनिकों ने बेहद संयम का परिचय दिया, और बहुत ही परिपक्व और ज़िम्मेदाराना तरीक़े से बर्ताव किया’.

अब पता चला है कि 40 चीनी चैनिकों का एक दल, एक लोकेशन पर जमा हुआ है, और भारतीय सैनिकों के साथ गतिरोध में उलझा हुआ है. सूत्रों ने बताया कि हथियारबंद टुकड़ियां, 200 मीटर से भी कम फासले पर हैं.

भारतीयों को पीछे धकेलने की बार-बार कोशिशें

सूत्रों ने बताया कि जब से भारतीय सैनिकों ने, 50 किलोमीटर में फैली इन हाइट्स पर क़ब्ज़ा किया है, चीनी उन्हें पीछे हटाने की कोशिशों में लगे हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘ये एक संवेदनशील स्थिति है. भारतीय सैनिक अभी भी अपनी पोज़ीशंस पर जमे हुए हैं. ये कोई बिल्कुल आमने-सामने की स्थिति नहीं है, क्योंकि टुकड़ियां इस तरह से नहीं खड़ी हैं. लेकिन, स्थिति संवेदनशील बनी हुई है, क्योंकि पिछले सोमवार से चीनी कई बार प्रयास कर चुके हैं’.

यही बात सेना के बयान में भी नज़र आई, जिसमें चीन पर ‘स्थिति को ख़राब करने के लिए, उत्तेजक गतिविधियां’ जारी रखने का आरोप लगाया गया.

बयान में ये भी कहा गया कि भारत एलएसी पर डिसएंगेजमेंट, और तनाव कम करने को लेकर प्रतिबद्ध है, और भारतीय सैनिकों ने किसी भी मौक़े पर, एलएसी का उल्लंघन करने, या फायरिंग जैसा कोई भी आक्रामक तरीक़ा, अपनाने की कोशिश नहीं की है.

सेना ने कहा, ‘ये पीएलए है जो खुलेआम समझौतों का उल्लंघन कर रही है, और आक्रामक पैंतरे अपना रही है, जबकि सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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