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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसपीएम मोदी ने सोफी, विदा, बलराम की तारीफ की, इन बहादुर कैनाइन सैनिकों ने देश के लिए क्या कर दिया

पीएम मोदी ने सोफी, विदा, बलराम की तारीफ की, इन बहादुर कैनाइन सैनिकों ने देश के लिए क्या कर दिया

सोफी और विदा को उनकी बहादुरी के लिए स्वतंत्रता दिवस पर आर्मी प्रमुख का सम्मान मिला. पीएम मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि अगर वे पालतू जानवर की योजना बना रहे हैं तो देसी कुत्तों का चयन करें.

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नई दिल्ली: रविवार को प्रसारित हुए अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के कैनाइन सैनिकों की बहादुरी पर ज़ोर देकर बात की. इस संदर्भ में उन्होंने सोफ़ी (एक कॉकर स्पैनियल) और विदा (एक लैब्राडोर) के बारे में बताते हुए देश के लोगों से देसी पेट पालने की सलाह दी ताकि अगर कोई कुत्ते पालने के बारे में विचार कर रहा हो तो देसी कुत्तों के बारे में सोचे.

सोफी और विदा, दोनों काउंटर इनफिल्टरेशन और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में शामिल रहे हैं और 74वें स्वतंत्रता दिवस पर थल सेना प्रमुख (सीओएएस) के साथ सम्मानित भी किए गए हैं.

सेना के सूत्रों के मुताबिक़ उत्तरी कमान में एक आर्मी डॉग यूनिट की ब्लैक लैब्राडोर विदा ने पांच खदानों को डिटेक्ट करने और अंडरग्राउंड किए गए एक ग्रेनेड को निष्क्रिय करके कई सारी कैजुऑलिटीज और ट्रूप्स को घायल होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

दूसरी ओर, विशेष फ्रंटियर फोर्स (बम डिस्पोजल स्क्वाड) के एक भूरे रंग के कॉकर स्पैनियल सोफी ने दिल्ली में एक तलाशी अभियान के दौरान सर्जक त्वरक (जिन्हें जल्दी ही एक आईडी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था) की मौजूदगी को सूंघकर कई लोगों की जान बचाई.

पीएम मोदी ने बलराम का भी जिक्र किया जिसने साल 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का पता लगाया था. 7 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर मोदकपाल वन क्षेत्र में 170 बटालियन सीआरपीएफ कैनाइन सैनिक सिपाही क्रैकर के साथ एक तीन वर्षीय बेल्जियन मालिनोइस भी ड्यूटी पर था. क्रैकर एक निशान पर लगाए गए आईईडी को सूंघने में कामयाब रहा लेकिन उसके बाद आईईडी ट्रिगर हो गया और कुत्ता मारा गया. इसके हैंडलर को विस्फोट में मामूली चोटें आई थीं.

पीएम मोदी ने आगे कहा, हाल ही में, बीड पुलिस ने अपने कुत्ते ‘रॉकी ‘के लिए एक भावुक विदाई दी थी, जिसने 300 से अधिक मामलों को सुलझाने में मदद की थी.’


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भारत के कैनाइन सिपाही

जुलाई 2019 के बाद से फोर्सेज के सूत्रों के मुताबिक़ सेना के कुत्तों ने कई ऑपरेशन्स की सफलताओं में योगदान दिया है जिनमें आईईडी और विस्फोटकों की रिकवरी के 30 मामले शामिल हैं. इनमें से पांच मामले ऐसे थे जिनमें इन कैनाइन सिपाहियों ने छिपे हुए आतंकवादियों का पता सूंघ कर लगाया. इसके अलावा अन्य चार केसों में बर्फीले इलाक़ों में जीवित लोगों को बाहर निकालने और मृत लोगों को बाहर निकाला.

सेना के कुत्तों ने आतंकवादियों द्वारा छिपे हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी के 14 मामलों में भी मदद की है.

सेना के एक सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना में प्रशिक्षित कुत्ते सेना की विभिन्न काउंटर इन्सर्जेंस और काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्र के लिए सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. सूत्र आगे जोड़ते हुए क़हते हैं कि भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में भी कई जानें बचाई हैं.

भारतीय सेना में कुत्तों के लिए आठ अलग-अलग भूमिकाएं हैं- ट्रैकर, गार्ड, खदान का पता लगाना, विस्फोटक का पता लगाना, पैदल सेना की गश्त, हिमस्खलन बचाव अभियान, खोज और बचाव व हमला और नारकोटिक डिटेक्शन.

पीएम मोदी ने देसी कुत्तों की सराहना की

पीएम मोदी ने बताया कि कुत्ते आपदा प्रबंधन और बचाव मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत में एनडीआरएफ ने दर्जनों ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षित किया है. ये कुत्ते भूकंप या इमारत गिरने के मलबे के नीचे जीवित व्यक्तियों का पता लगाने में विशेषज्ञ हैं. मुझे बताया गया है कि भारतीय नस्ल के कुत्ते बहुत अच्छे और सक्षम होते हैं. उनके रख-रखाव की लागत भी काफी कम है और वे भारतीय परिस्थितियों के भी आदी हैं. अब हमारे सुरक्षा बलों ने भी भारतीय नस्ल के कुत्तों को उनके डॉग स्क्वॉड में शामिल और प्रशिक्षित किया है.’

सेना ने मुधोल हाउंड की स्वदेशी नस्ल को शामिल किया है. पीएम ने साथ ही यह भी कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय नस्ल के कुत्तों पर भी शोध कर रहा है.

पीएम ने कहा, ‘मुधोल हाउंड और हिमाचल हाउंड, राजपालयम, कन्नी, चिप्पीपराई और कंबाई, अच्छी भारतीय नस्ल के कुत्ते हैं. उनके रखरखाव की लागत भी काफी कम है और वे भारतीय मौसम के आदी हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारतीय नस्ल के कुत्तों पर भी अनुसंधान कर रहा है. उनका उद्देश्य भारतीय नस्लों को बेहतर और उपयोगी बनाना है.’

‘अगली बार जब आप एक कुत्ता रखने के बारे में सोचें तो आपको घर पर एक भारतीय नस्ल का कुत्ता लाना होगा. जब आत्मनिर्भर भारत जनता का मंत्र बन रहा है, तो किसी भी क्षेत्र को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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