नई दिल्ली: विपक्ष शासित राज्यों के छह मंत्रियों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसमें कोविड-19 महामारी के मद्देनजर नीट-जेईई परीक्षा को स्थगित करने की याचिका को खारिज करते हुए उसके 17 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई. यह परीक्षाएं सितंबर में आयोजित होने वाली हैं.
याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि छात्रों के करियर को ‘लंबे समय तक खतरे में नहीं डाला जा सकता है. जीवन को आगे बढ़ाना है. छात्रों का कीमती साल बर्बाद नहीं किया जा सकता है.’
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा जारी किए गए सार्वजनिक नोटिसों के अनुसार, जेईई (मेन) अप्रैल 2020 में 1 से 6 सितंबर तक निर्धारित है, जबकि नीट यूजी 2020 परीक्षा 13 सितंबर को होनी है.
समीक्षा याचिका पश्चिम बंगाल के श्रम और कानून मंत्री मोलोय घटक, झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, राजस्थान के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलराम सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री उदय आर सामंत द्वारा दायर की गई थी.
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‘कोविद मामलों में वृद्धि निर्विवाद तथ्य ‘
यह दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ‘नीट-जेईई परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों-उम्मीदवारों की सुरक्षा, जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने में विफल है.’
याचिका में कहा गया है कि ‘लाइफ मस्ट गो ऑन की सलाह में बहुत ही दार्शनिक आधार हो सकते हैं, लेकिन नीट-जेईई परीक्षा के आयोजन में शामिल विभिन्न पहलुओं के वैध कानूनी तर्क और तार्किक विश्लेषण के विकल्प नहीं हो सकते.’
इसमें शामिल मुद्दों के ‘आधिकारिक और व्यापक न्यायिक जांच’ की कमी के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की गई है.
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि ‘प्रस्तावित तारीखों पर परीक्षा आयोजित करने में शुरुआती लॉजिस्टिक कठिनाइयों को नजरअंदाज किया गया’ है.
हालांकि, यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ‘ऐसे समय में केंद्र सरकार के किसी भी निर्णय या राजनीतिक आलोचना करने की इच्छा नहीं रखते हैं.’
याचिका में कहा गया है, लेकिन निर्विवाद तथ्य यह है कि कोविड-19 पॉजिटिव मामलों के साथ-साथ अप्रैल 2020 से कोविड-19 से होने वाली मौतों/ मृत्यु दर, दोनों में तेजी से वृद्धि हुई है, जब ये परीक्षाएं मूल रूप से अगस्त 2020 तक निर्धारित की गई थीं. केंद्र सरकार ने उक्त परीक्षाओं को आयोजित करने का फैसला किया.’
‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला मनमाना, सत्ता का मनमाने ढंग से इस्तेमाल ’
याचिका में कहा गया है कि जेईई मेन्स परीक्षा 660 से अधिक परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी है, जिसमें 9.53 लाख छात्रों के उपस्थित होने की उम्मीद है. राज्यों ने नोट किया कि इसका मतलब है कि प्रति केंद्र लगभग 1,443 छात्र होंगे.
इसी तरह, देश भर के 3,843 केंद्रों पर नीट यूजी परीक्षा देने के लिए 15.97 लाख छात्रों की उम्मीद है. याचिका में कहा गया है, ‘इसलिए हमारे पास प्रति परीक्षा केंद्र 415 छात्र होंगे.’
मंत्रियों ने कहा, इसलिए लोगों का इतना बड़ा आंदोलन वास्तव में एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा साबित होगा और हम पूरी तरह से दोहरे वर्तमान समाधानों को हरा देंगे, जिसमें हमें कोविड-19 महामारी का मुकाबला करना होगा. सोशल डिस्टैन्सिंग और ज्यादा भीड़भाड़ से बचना होगा.
उन्होंने कहा, ये तथ्य, परीक्षा को स्थगित करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए.
याचिका ने निर्णय को ‘अनुचित, मनमानी और शक्ति का प्रयोग’ भी कहा और परीक्षा के संचालन के लिए अनिवार्य सुरक्षा उपायों की कमी को भी बताया.
इसलिए, समीक्षा याचिका में कहा गया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के फैसले की समीक्षा नहीं की जाती है, तो ‘हमारे देश के छात्र समुदाय पर गंभीर और अपूरणीय क्षति और चोट पहुंचेगी और न केवल छात्रों का स्वास्थ्य, कल्याण और सुरक्षा बल्कि नीट-जेईई की परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी असंतुष्ट होंगे, लेकिन कोविड-19 महामारी के समय बड़े पैमाने पर लोगों का स्वास्थ्य गंभीर संकट में होगा.
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