नई दिल्ली: दिल्ली के नवीनतम सीरोलॉजिकल सर्वे में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. प्रतिभागियों में कोविड-19 एंटीबॉडी वालों का सबसे बड़ा हिस्सा 5-17 साल आयु वाले नाबालिगों का है.
सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार 5-17 वर्ष की आयु के 34.7 प्रतिशत प्रतिभागियों में कोविड-19 एंटीबॉडी थे, जबकि 50 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए यह आंकड़ा 31.2 प्रतिशत और 18-49 वर्ष की आयु वालों में 28.5 प्रतिशत था.
सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में कुल कोविड-19 जोखिम 29.1 प्रतिशत है. 15,000 के ओवरऑल सर्वे पूल में 5-17 वर्ष की आयु के नाबालिगों की भागीदारी 25 प्रतिशत थी, जो 50 से अधिक आयु वर्ग के ही बराबर थी. पचास फीसदी रिस्पांडेंट 18-49 आयु वर्ग के थे.
कोविड संबंधी पाबंदियों के कारण स्कूल बंद होने के बावजूद नाबालिगों के बीच सबसे ज्यादा जोखिम ने अधिकारियों के समक्ष संभावित कारणों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार नतीजों के गहन विश्लेषण के लिए सर्वेक्षण के परिणामों को कंपाइल कर रहे मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) से डाटा का जिले वार ब्रेकअप मिलने का इंतजार कर रही है.
दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) नूतन मुंडेजा ने दिप्रिंट को बताया कि वह एमएएमसी से ब्योरा मिलने के बाद ही कोई टिप्पणी कर पाएंगी. उन्होंने आगे कहा, ‘अब तक केवल ओवरऑल और प्रारंभिक परिणाम ही घोषित किए गए थे और यही कारण है कि हमने इस तरह के विश्लेषणों के लिए हर महीने सीरो सर्वेक्षण करने का फैसला किया.’
एमएएमसी के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि ‘अभी पूरी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं और यह पता लगाया जाना बाकी है कि किस जिले में नाबालिगों में सीरोप्रिवेलेंस सबसे ज्यादा है.’
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डॉक्टर ने कहा, ‘हालांकि, इसका कोई विशेष कारण बता पाना मुश्किल है, लेकिन संभव है कि यह अनधिकृत कालोनियों वाले या आर्थिक रूप से कमजोर तबके वाले क्षेत्रों की वजह से हो जहां सोशल डिस्टेंसिंग मुश्किल है.’
‘युवा वर्ग कोविड-19 महामारी का वाहक’
दिल्ली का दूसरा सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण अगस्त के पहले सप्ताह में 15,000 लोगों के बीच किया गया था. इसके परिणामों से पता चलता है कि राजधानी की आबादी के 29.1 प्रतिशत में पहले से ही कोविड-19 एंटीबॉडी है. यदि दिल्ली की आबादी के एक निश्चित हिस्से में कोविड-19 एंटीबॉडी विकसित हो जाए तो यह राजधानी में अब भी जारी लॉकडाउन प्रतिबंधों में से कुछ को हटाने में मददगार हो सकता है.
सीरो सर्वेक्षण के नतीजे उसी हफ्ते आए हैं जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अपनी आयु के 20वें, 30वें और 40वें दशक में होने वाले लोग, जिनमें से अधिकांश एसिम्पटोमेटिक हैं, कोविड-19 महामारी के प्रसार की वजह बन रहे हैं.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों से राष्ट्रीय स्तर पर भी यही रुझान नजर आता है, जिसमें बताया गया है कि भारत में शुक्रवार तक दर्ज 27,32,992 कोविड-19 मामलों में से 61.31 प्रतिशत हिस्सा 21 से 50 आयु वर्ग वालों का है.
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