scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशमोदी सरकार के भीतर महिलाओं के शादी की उम्र की समीक्षा के प्रस्ताव पर क्यों खींचातानी चल रही है

मोदी सरकार के भीतर महिलाओं के शादी की उम्र की समीक्षा के प्रस्ताव पर क्यों खींचातानी चल रही है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में घोषणा की थी कि सरकार महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र की समीक्षा कर रही है.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की कि सरकार महिलाओं के लिए कानूनी विवाह की उम्र पर पुनर्विचार कर रही है, जो वर्तमान में 18 वर्ष है लेकिन इस प्रस्ताव ने प्रशासन को दो-फाड़ कर दिया है.

सरकार के सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा लड़कियों के बीच मातृत्व की उम्र और शादी की उम्र जैसे मुद्दों की जांच के लिए जून में गठित एक टास्क फोर्स को समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया था. जिसमें विवाह और मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर), कुल प्रजनन दर (टीएफआर), जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) और बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) आदि शामिल हैं.

जबकि देश में मातृ स्वास्थ्य का एमएमआर एक महत्वपूर्ण संकेतक है वहीं टीएफआर, एसआरबी और सीएसआर जनसंख्या और लिंग संतुलन के बारे में आकलन करने के लिए काम आते हैं.

हालांकि, प्रस्तावित समीक्षा का केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विरोध किया गया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

समीक्षा के समर्थकों का कहना है कि यह आबादी को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकता है और महिलाओं को शुरुआती मातृत्व और इसकी कई जटिलताओं में मजबूर होने से रोक सकता है, जबकि विरोधियों को डर है कि इससे विवाद पैदा होगा.

इस विचार के आलोचक उन महिलाओं का उदाहरण देते हैं जो 18 वर्ष की उम्र में यौन रूप से सक्रिय हो जाती हैं और कहती हैं कि शादी की उम्र में कोई भी वृद्धि उन्हें औपचारिक प्रजनन स्वास्थ्य ढांचे से बाहर कर सकती है, जिसे भारत में कलंक माना जाता है.

यह बाल विवाह के मामलों की संख्या में वृद्धि का कारण हो सकता है. वे कहते हैं, क्योंकि प्रस्ताव भी 18-21 वर्ष की आयु की महिलाओं को इसमें लाना चाहता है.

दिप्रिंट ने मैसेज और कॉल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रवक्ता मनीषा वर्मा से बात करने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने तक उनका कोई जवाब नहीं आया.


यह भी पढ़ें: सुशांत सिंह की मौत भाजपा के लिए ब्रांड आदित्य ठाकरे को राहुल गांधी की छवि की तरह खत्म करने का मौका लेकर आई है


‘भ्रम की स्थिति पैदा होगी’

पिछले साल तक, सरकार पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता लाने के लिए पुरुषों की शादी की उम्र को 21 की वर्तमान सीमा से कम कर 18 करने पर जोर दे रही थी.

हालांकि, सूत्रों ने कहा, यह बाद में तय किया गया कि महिलाओं के लिए कानूनी शादी की उम्र 18 से 21 साल बढ़ा दी जाए क्योंकि यह देश में जनसंख्या के स्तर को नीचे लाने के उद्देश्य से भी काम करेगा- इसी मुद्दे को मोदी ने अपने 2019 के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में कहा था.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘यह सोचा गया कि पुरुषों के लिए शादी की उम्र को कम करने से जनसंख्या के स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और महिलाओं के बीच शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखते हुए, सरकार अब महिलाओं के लिए उम्र के स्तर को 18 से बढ़ाकर 21 करने का विचार कर रही है.’

हालांकि, अधिकारी ने कहा कि इस विचार पर ‘स्वास्थ्य मंत्रालय के भीतर कई कारणों से आशंका है.’

अधिकारी ने कहा, ‘पहला, लड़कियां जो 21 से पहले यौन रूप से सक्रिय हो जाती हैं… यदि सरकार शादी की उम्र बढ़ाती है, तो उनमें से कई अपने प्रजनन या यौन अधिकारों के लिए औपचारिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का लाभ नहीं उठा पाएंगी.’

दूसरा उन्होंने कहा, ‘बाल विवाह के मामले बढ़ सकते हैं क्योंकि विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़कर 21 हो जाएगी.’

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि उम्र बढ़ने से कानून में ‘गहरी विसंगति’ पैदा होगी, जो बाल विवाह को गैरकानूनी घोषित करती है, लेकिन जब तक साझेदार इसमें चुनौती नहीं देते, तब तक इस पर विचार नहीं होगा.

अधिकारी ने कहा, ‘अभी, बाल विवाह अमान्य हैं और डिफॉल्ट रूप से मान्य नहीं हैं….’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में कहा था कि नाबालिग पत्नी के साथ सेक्स करना बलात्कार है– इसलिए हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ शादी अवैध नहीं है लेकिन उसके साथ सेक्स करना है.’

‘यदि आप अब शादी की उम्र को 21 वर्ष तक बढ़ाते हैं, तो यह 21 से कम उम्र की लड़कियों और महिलाओं की स्थिति के बारे में भ्रम पैदा करेगा जो शादीशुदा हैं.’

इन भ्रमों को दूर करने के लिए, सरकार बाल विवाह को डिफ़ॉल्ट रूप से मान्य बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रही है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भारत की नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को संविधान के मौलिक कर्तव्यों से अलग रखकर नहीं देखा जा सकता


 

share & View comments

2 टिप्पणी

  1. Ladki ki sadi ki umar 18 sal hi rahne de
    Modi ji ki sarkar se mai prarthana karta hu .
    Agar ladki ki sadi ki umar 21 sal kar di jayegi to
    Gareebo ko bahut pareshaniya uthani padegi
    Kyoki jaise hi ladki 18 sal ko hoti h to aawara ladke aur behude dalke ladki ko bahut hi gandhi najar se dekhte hai aur isi liye gareeb mata pita 18 sal ki ladki hote hi kisi tarah se sadi kar dete h taki unki ijjat pe dag na lage
    Please modi ji ladki ki sadi ki umar 18 sal hi rahne dijiye please please

  2. Ladki ki sadi ki umar 18 sal hi rahne de
    Modi ji ki sarkar se mai prarthana karta hu .
    Agar ladki ki sadi ki umar 21 sal kar di jayegi to
    Gareebo ko bahut pareshaniya uthani padegi
    Kyoki jaise hi ladki 18 sal ko hoti h to aawara ladke aur behude dalke ladki ko bahut hi gandhi najar se dekhte hai aur isi liye gareeb mata pita 18 sal ki ladki hote hi kisi tarah se sadi kar dete h taki unki ijjat pe dag na lage
    Please modi ji ladki ki sadi ki umar 18 sal hi rahne dijiye please please

Comments are closed.