श्रीनगर: जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने सोमवार देर रात के एक आदेश के तहत घाटी में लगाए गए दो दिवसीय कर्फ्यू को हटा लिया, लेकिन श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की पहली वर्षगांठ के मौके पर बुधवार सुबह की शुरुआत कड़ी पाबंदियों के साथ हुई.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को कहा था कि कर्फ्यू हटाया जा रहा है, लेकिन धारा 144 और कोविड-19 संबंधी पाबंदियां लागू रहेंगी. हालांकि, लागू की गई पाबंदियों को देखते हुए श्रीनगर की स्थिति किसी लॉकडाउन से कम नहीं थी.
भारत के अन्य हिस्सों की तरह पूरे जम्मू-कश्मीर में भी कोविड-19 के मद्देनजर लॉकडाउन में ढील दी गई थी और दुकानों और अन्य वाणिज्यिक संस्थान सामान्य रूप से खुल रहे थे. हालांकि, बुधवार को श्रीनगर की सड़कें पूरी तरह सुनसान नजर आईं, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बड़े पैमाने पर तैनाती के बीच दुकानें और अन्य वाणिज्यिक संस्थान बंद रहे.
श्रीनगर में मुख्य सड़कों और चौराहों पर बैरीकेडिंग की गई थी और सुरक्षा बल निजी वाहनों की आवाजाही नियंत्रित कर रहे थे. श्रीनगर में आवश्यक सेवाओं के लिए इस्तेमाल वालों को छोड़कर तमाम कई निजी वाहनों को विभिन्न जगहों पर रोककर वापस लौटा दिया गया.
प्रशासन द्वारा ‘संवेदनशील’ माने जाने वाले इलाकों में पूरी तरह पाबंदी थी जिसमें कश्मीर के प्रमुख नेताओं के घर और कार्यालय वाले क्षेत्र शामिल हैं.
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सर्वदलीय बैठक को लेकर अनिश्चितता
श्रीनगर के सांसद और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन प्रतिबंध लागू होने को देखते हुए प्रस्तावित बैठक को लेकर अनिश्चितता बरकरार है.
पूर्व सीएम ने अन्य स्थानीय दलों के राजनेताओं से बुधवार को अपने गुपकर रोड स्थित आवास पर पहुंचने को कहा था. आखिरी बार सर्वदलीय बैठक पिछले साल अगस्त में हुई थी, जब क्षेत्रीय दलों ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए एकजुट होकर लड़ने के लिए एक संकल्प पर हस्ताक्षर किए थे जिसे गुपकर डिक्लेरेशन कहा जाता है.
आज एक साल बाद गुपकर रोड में प्रवेश और निकास पूरी तरह बंद है. मूवमेंट के लिए पास होने के बावजूद इस संवाददाता सहित तमाम मीडिया कर्मियों को सड़क की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती (जो सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत अब भी हिरासत में हैं) समेत कई राजनेता इस इलाके में रहते हैं.
इसी तरह, स्थानीय पुलिस ने सरकारी कॉलोनियों और क्वार्टरों में रहने वाले अन्य राजनीतिक दलों के आवासों पर भी प्रवेश रोक रखा था और पत्रकारों के श्रीनगर के चर्च लेन और तुलसी बाग इलाके दोनों ही जगह नहीं जाने दिया गया.
नेकां और पीडीपी के कार्यालयों की ओर जाने वाली सड़कें भी अवरुद्ध कर दी गई थीं और मीडिया को वहां भी नहीं जाने दिया गया.
‘बैठक की अनुमति मिलने का भरोसा नहीं’
अनंतनाग के सांसद और नेकां नेता जस्टिस हसनैन मसूदी (सेवानिवृत्त) ने पुष्टि की कि उनके पार्टी अध्यक्ष ने बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन यह पता नहीं है कि क्या इसकी अनुमति दी जाएगी. मसूदी ने कहा, ‘प्रतिबंधों को देखो. हमें बताया गया कि कर्फ्यू हटा लिया गया इसलिए हमने भविष्य की अपनी रणनीति पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि वे बैठक की अनुमति देंगे.’
पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने कहा कि उनकी पार्टी को सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन बीती रात से ही अधिकारियों ने फिरदौस टाक और रऊफ अहमद समेत इसके स्थानीय नेताओं पर फिर शिकंजा कस दिया.
अख्तर ने कहा, ‘आज हिरासत का एक साल पूरा हो गया है. हमने पीडीपी नेताओं को बैठक में भेजने की योजना बनाई थी, कम से कम उन लोगों को अवैध रूप से हिरासत में या घर में नजरबंद नहीं हैं, लेकिन पूरे कश्मीर में जारी सख्ती को देखते हुए बैठक को लेकर कुछ कह नहीं सकते.’
पीपुल्स कांफ्रेंस प्रवक्ता अदनान अशरफ ने बताया कि उनके पार्टी प्रमुख सज्जाद लोन बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे, जिन्हें हाल में हाउस अरेस्ट से मुक्त किया गया था और कुछ ही देर बाद सूचित किया गया था कि 5 अगस्त तक अपना आवास नहीं छोड़ सकेंगे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम अपने नेताओं को बैठक में भेजने वाले हैं. अब जब भी अगले 6 या 7 अगस्त को बैठक बुलाई जाती है, सभी नेताओं को आना चाहिए.’
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