नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल सरकार की दिल्ली टेक्नॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के छात्रों पर दोधारी तलवार लटक रही है. तलवार की एक धार उस भारी-भरकम फीस की है जो उन्हें किसी हाल में भरनी है, धार के दूसरे हिस्से के तहत प्लेसमेंट में बैठने से पहले इन बच्चों को इनके द्वारा भरी गई फीस की डिटेल और इसके सबूत यूनिवर्सिटी के साथ साझा करने होंगे.
‘फ़ीस पेमेंट स्टेटस 2020-21’ के तहत दी गई जानकारी में लिखा है, ‘2020-21 सत्र के लिए प्लेसमेंट में हिस्सा लेने वाले सभी छात्रों को उनकी फ़ीस पेमेंट डीटेल और इसके सबूत साझा करने होंगे. फ़ीस जमा करने में हो रही वास्तविक दिक्कत की स्थिति में माननीय वीसी (स्टूडेंट वेलफेयर डीन के जरिए/यूजी के अकादमिक डीन के जरिए) से अनुमति लेकर इसका सबूत साझा किया जा सकता है.’
छात्रों को इससे जुड़ा एक गूगल फ़ॉर्म भेजा गया है. उनके मुताबिक उन्हें ये फॉर्म बुधवार सुबह मिला. इसे भरने का अंतिम समय 7 अगस्त दोपहर 2 बजे तक है.
इसी बारे में डीटीयू ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट से जुड़े एक आला अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘जब आप फ़ीस पेमेंट स्टेटस से जुड़ी बातों को ग़ौर से पढ़ेंगे तो इसमें साफ़ लिखा है कि वाजिब दिक्कत की स्थिति में छात्रों की मदद की जाएगी. उन्हें बस इसके सबूत देने होंगे कि उनकी समस्या वाजिब है.’
अधिकारी ने ये भी कहा कि महामारी की इस स्थिति में यूनिवर्सिटी के पास बच्चों से फ़ीस लेने के अलावा इसे चलाने का कोई और ज़रिया नहीं है. डीटीयू में 10,000 से ऊपर छात्र हैं. इसमें 8000 के करीब अंडरग्रेजुएट और 2000 से ऊपर पोस्ट ग्रेजुएट छात्र हैं. अंडरग्रेजुएट छात्रों की फ़ीस भरने को लेकर 24 जुलाई को एक नोटिस आया. छात्रों का आरोप है कि इस नोटिस को 30 जुलाई को सार्वजनिक किया गया.
फ़ीस भरने की आख़िरी तारीख़ 5 अगस्त है. इसके बाद 6 से 27 अगस्त तक इसके लिए 2000 से 10,000 रुपए तक का जुर्माना देना होगा. इस पर डीटीयू में बीटेक के तीसरे साल की पढ़ाई कर रहे सूरज नाम के एक छात्र ने कहा, ‘पिछले लगभग 6 महीने से सिर्फ़ ऑनलाइन पढ़ाई हुई है. ऐसे में हम ट्यूशन फ़ीस के अलावा कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, वर्कशॉप और ऐसी चीज़ों पर हुए ख़र्च के लिए फ़ीस क्यों भरें जिनके बारे में हमें पता ही नहीं.’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से डीटीयू के अध्यक्ष अपरनेंदू त्रिपाठी बीटेक के चौथे साल के छात्र हैं. उन्होंने कहा, ‘ऐसी महामारी की स्थिति में इतनी भारी-भरकम फ़ीस भरने के लिए हमें काफ़ी कम समय दिया गया.’ नोटिस के मुताबिक सबसे कम फ़ीस 90,000 है जो बीबीए के छात्रों को भरनी है, वहीं बीटेक के छात्रों को 190,000 रुपए भरने हैं.
बीटेक के चौथे साल की पढ़ाई कर रहे अजीत कुमार गुप्ता ने कहा, ‘कुलपति से मेरा विनम्र निवेदन है कि हमें और समय दें. इंस्टालमेंट में फ़ीस जमा करने का विकल्प दिया जाए और ट्यूशन फ़ीस के अलावा बाकी सब माफ़ किया जाए.’
इसे राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है, ‘केजरीवाल सरकार के इस तुगलकी फ़रमान से छात्रों पर मानसिक दबाव पड़ रहा है, इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.’
इस पर डीटीयू के पीआरओ अनूप लाथेर ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम बच्चों को दाख़िले के समय जो प्रॉस्पेक्टस देते हैं उसी में लिखी बातों का पालन किया जा रहा है. लेट फ़ीस की बात भी उसी में लिखी है. नोटिस जारी करना एक औपचारिकता थी, बच्चों को पहले से पता है उन्हें किस समय फ़ीस भरनी है. अगर किसी छात्र की कोई वास्तिवक परेशानी हुई तो हम उसकी सहायता करेंगे.’
वहीं, डीटीयू के वीसी योगश सिंह ने दिप्रिंट के सवालों का एक लाइन में जवाब दिया, ‘हम छात्रों की समस्या पर ग़ौर करेंगे.’
इस विषय पर दिप्रिंट ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और शिक्षा सचिव मनीषा सक्सेना को फ़ोन और मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.