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Friday, 22 November, 2024
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यूपीएससी भर्ती में हुई मामूली वृद्धि, लेकिन मोदी सरकार के शुरुआती वर्षों की तुलना में बहुत कम

2019 के लिए सिविल सेवा परीक्षा परिणाम मंगलवार को घोषित किए गए. यूपीएससी ने कुल 896 पदों को अधिसूचित किया था, लेकिन उसने केवल 829 उम्मीदवारों को चुना है.

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नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 829 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया है, पिछले वर्ष 759 उम्मीदवारों की तुलना में मामूली वृद्धि हुई है. यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए.

सीएसई 2019 के लिए लिखित परीक्षा पिछले साल सितंबर में आयोजित की गई थी और साक्षात्कार 31 जुलाई 2020 तक किये गए थे जोकि कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई थी.

2019 में, आयोग ने कुल 896 पदों को अधिसूचित किया था. लेकिन यूपीएससी ने 829 उम्मीदवारों को चुना है. चयनित उम्मीदवारों को अब आईएएस, आईएफएस, आईपीएस इत्यादि जैसी सेवाएं आवंटित की जाएंगी.

जबकि 2019 में सिविल सेवकों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित उम्मीदवारों की संख्या 2018 की तुलना में मामूली अधिक है, यह 2014 के बाद से भर्ती किए गए उम्मीदवारों की संख्या से बहुत कम है.

2017, 2016, 2015 और 2014 में, यूपीएससी द्वारा चयनित उम्मीदवारों की संख्या क्रमशः 990, 1099, 1,078 और 1,236 थी.

चयनित उम्मीदवारों की संख्या अक्सर पहचाने गए पदों की संख्या से कम है – उदाहरण के लिए जबकि 2018 में यूपीएससी द्वारा 812 पदों को अधिसूचित किया गया था, चयनित उम्मीदवारों की संख्या 759 थी.

यूपीएससी ने 2014 में 1,364 पदों, 2015 में 1,164, 2016 में 1,209 और 2017 में 1,058 को अधिसूचित किया था. पदों की संख्या में यह क्रमिक कमी ऐसे समय में आई है, जब देश अधिकारियों की भारी कमी से जूझ रहा है.

2020 बैच के लिए यूपीएससी द्वारा चयनित उम्मीदवारों की संख्या कम होगी क्योंकि आयोग ने केवल 796 पदों को अधिसूचित किया है.

क्यों गिर रही है संख्या

कम उम्मीदवारों के चयन के बारे में पूछे जाने पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक अधिकारी ने कहा कि रुझान ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के मोदी सरकार के एजेंडे के अनुरूप है.

अधिकारी ने कहा, ‘यूपीएससी द्वारा चयनित उम्मीदवारों की कम संख्या में एक स्पष्ट पैटर्न है … यह इस विचार के अनुरूप है कि सरकार में कम अधिकारी होने चाहिए.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ‘लैटरल एंट्री एंगल’ भी है. सरकार निजी प्रतिभाओं की भर्ती करना चाहती है और पारंपरिक नौकरशाही पर निर्भरता को कम करना चाहती है … यही कारण है कि आप इन घटती संख्या को देख रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘2014 में 1,300 या उससे अधिक की संख्या घटकर सिर्फ 800 या इतने पर आ गई.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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