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Friday, 22 November, 2024
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सीपीडब्ल्यूडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से हर वर्ष होगी 1000 करोड़ रुपये की बचत

सीपीडब्ल्यूडी ने एससी को दिए अपने हलफनामें में कहा है कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास के बाद, संयुक्त सत्र के दौरान नए लोकसभा कक्ष में 876 सदस्यों और 1,224 लोगों को एकसाथ बैठाया जा सकेगा.

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नई दिल्ली: केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा री-डेवल्पमेंट योजना जो 51 मंत्रियों के 10 भवनों को एक साथ करने की है, इसे एक करने से विभाग हर वर्ष करीब 1000 करोड़ रुपये के अत्यधिक खर्च को बचा सकेगा.

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा पेश किए गए एक हलफनामे के अनुसार, जो केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से जुड़ा हुआ है, ने बताया है कि कार्यालय स्थान में लगभग 0.38 मिलियन वर्ग मीटर की कमी है और जिसकी वजह से सरकार प्रत्येक वर्ष कार्यालय किराए के रूप में लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च करती है.

शीर्ष अदालत राजीव सूरी और लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) अनुज श्रीवास्तव द्वारा सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं (PIL) की सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में सेंट्रल विस्टा कमेटी (सीवीसी) द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) देने और एक नए संसद भवन के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर सवाल उठाए हैं.

इस परियोजना में एक नए आधुनिक संसद भवन का प्रस्ताव है जो संयुक्त सत्र की बुलाए जाने की स्थिति में लोक सभा और राज्य सभा दोनों के 1,224 सदस्यों को समायोजित कर सकता है. इसके अलावा इसमें सभी मंत्रालयों के 10 प्रशासनिक भवन होंगे, साउथ और नॉर्थ ब्लॉक को संग्रहालयों में परिवर्तित करना है साथ ही सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का विकास करना है जो राजपथ को इंडिया गेट से जोड़ता है.


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संसद भवन सुरक्षित नहीं, निकासी भी संभव नहीं-सीपीडब्ल्यूडी

हलफनामे में कहा गया है कि मूल रूप से विधान परिषद के लिए विकसित किया गया यह सदन संसद भवन के रूप में संकट का ही संकेत है.

इसके अलावा, हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मौजूदा भवन में भूकंप-रोधी उन्नत सुरक्षा उपायों का उपयोग नहीं किया गया है, साथ ही आग से बचाव के मानदंडों के अनुसार भी यह डिज़ाइन नहीं किया गया है, यह बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंट भी नहीं हैं. सीपीडब्ल्यूडी ने अपने हलफनामें में कहा है कि यदि सदन में संयुक्त सत्र होता है और सेंट्रल हॉल में किसी हादसे की स्थिति में बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है.

यही नहीं इलेक्ट्रिकल, एयर कंडीशनिंग और प्लंबिंग सिस्टम भी अपर्याप्त और अक्षम हैं और उन्हें बनाए रखने और संचालित करना महंगा साबित होने वाला है. एक संयुक्त सत्र के दौरान सेंट्रल हॉल में अधिक सीटों को जोड़ना भी किसी आपदा की स्थिति में संकट वाला हो सकता है.

नए संसद कॉम्पलेक्स में मौजूदा संरचना से सटे 9.5 एकड़ के हरे क्षेत्र को निर्माण के लिए नामित किया गया है.

इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि यदि लोकसभा या राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ जाती है तो वर्तमान भवन में इतनी जगह नहीं है कि अधिक सीटें जोड़ी जा सकें.

हलफनामे के अनुसार, 2026 के बाद सीटों में काफी वृद्धि होने की संभावना है निर्धारित सीटों की संख्या तभी तक है. 545 लोकसभा सीटों की वर्तमान ताकत 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन के कारण है.

नए लोक सभा कक्ष में संयुक्त सत्र के दौरान 876 सदस्य और 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे. इसी प्रकार प्रस्तावित राज्य सभा कक्ष में 400 सदस्य बैठने की क्षमता होगी.

केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने एससी को आश्वासन दिया कि नए संसद भवन के कारण हरित क्षेत्र में कोई कमी नहीं होगी. इस प्रस्ताव के अनुसार, केंद्रीय स्थल क्षेत्र में तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हरित स्थान उपलब्ध कराए जाएंगे.


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ऑफिसों को अंडरग्राउंड शटल से जोड़ा जाएगा

बता दें कि कैबिनेट सचिवालय 47 भवनों और विभिन्न मंत्रालयों में फैला हुआ है जबकि 39 केन्द्रीय विस्टा में स्थित है 12 इस क्षेत्र के बाहर हैं. पुनर्विकास के बाद सभी 51 मंत्रालय मध्य स्थल पर 10 भवनों में स्थित होंगे.

नए भवनों को जोड़ने और एकीकृत करने के लिए एक 3 किलो मीटर लंबे भूमिगत शटल को भी प्रस्तावित किया गया है. योजना के अनुसार, यह सरकारी कर्मचारियों की परिवहन आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक बंद लूप में चलेगा और यह सरकारी कर्मचारियों की जरूरतों को भी पूरा करेगा. जैसे यदि उन्हें उद्योग भवन और सेंट्रल सेक्रेटिएट मेट्रो स्टेशन जाना होगा तो वह इसका उपयोग कर सकेंगे. इससे सरकारी अधिकारी जो निजी वाहन का उपयोग करते हैं उसमें भी कमी आएगी.

हलफनामे में इस धारणा को खारिज करने की मांग की गई कि परियोजना को मंजूरी देने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई गई है. इस मामले में सेंट्रल विस्टा कमेटी के सदस्यों ने 23 अप्रैल को एक ऑनलाइन बैठक की थी, इसे स्थगित करने के लिए कुछ रिप्रेजेंटेशन को खारिज कर दिया क्योंकि यह महसूस किया गया कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को अनिश्चित काल के लिए स्थगित नहीं किया जा सकता है.

हलफनामे में कहा गया है, ‘सरकार के कामों को अनिश्चित काल तक के लिए नहीं रखा जा सकता है, परियोजना की समय-सीमा रेखाओं का पालन करना होगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. अभी रिपोर्टिंग में काफी खामियां है दुरुस्त करें
    आंकड़े सन्दर्भ से भूतकाल से भी जुड़े हों ।

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