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Friday, 22 November, 2024
होमदेशदिल्ली में कोविड से मौत का डाटा अब भी बेमेल- सरकार और अंतिम संस्कार के आंकड़ों में 500 से ज्यादा का फर्क

दिल्ली में कोविड से मौत का डाटा अब भी बेमेल- सरकार और अंतिम संस्कार के आंकड़ों में 500 से ज्यादा का फर्क

दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने 17 जुलाई तक कोविड से कुल 4155 मौत दर्ज की हैं. लेकिन सरकार ने अपने स्वास्थ्य बुलेटिन में यह आंकड़ा 3,571 ही दर्शाया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार तक राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों द्वारा जुटाए गए समग्र आंकड़ों की तुलना में कोविड-19 से 584 कम मौतें होने की सूचना दी है.

दिप्रिंट को मिले आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने 17 जुलाई तक कोविड से 4,155 मौत दर्ज की हैं. हालांकि, दिल्ली सरकार ने अपने 17 जुलाई के स्वास्थ्य बुलेटिन में यह आंकड़ा 3,571 ही बताया है.

10 जुलाई तक उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने कोविड से 1,364 मौतों की सूचना दी. आंकड़े दर्शाते हैं कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) में यह संख्या 2,160 पर और इसके बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में 346 रही. 10 से 17 जुलाई के बीच एनडीएमसी ने 97, एसडीएमसी ने 159 और ईडीएमसी ने 29 यानी कुल 285 मौतें दर्ज की हैं.

हालांकि, दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ’10 जुलाई तक के आंकड़े कोविड से मौत की पुष्टि करते हैं और इसके अनुसार ही दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया जा चुका है, 11 से 17 जुलाई तक के आंकड़ों में थोड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि हर मौत के रिकॉर्ड का सत्यापन होना बाकी है.’

कोविड के संदिग्ध और पुष्ट दोनों ही मामलों में श्मशान स्थल और कब्रिस्तान पर अंतिम संस्कार कोविड पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया जाता है.

दिल्ली सरकार पूर्व में कह चुकी है कि स्वास्थ्य बुलेटिन में डाटा एक दिन बाद अपडेट किया जाता है. हालांकि, 11 जुलाई तक के बुलेटिन में भी कोविड से मौत का आंकड़ा 3,334 दर्ज है, जिसमें उस समय 536 का अंतर था.

शनिवार तक दिल्ली में 1,20,107 कुल मामले और 3,571 मौतें दर्ज की गई हैं.


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यह बात दिल्ली में कोविड से मौत के आंकड़ों में विसंगतियों के सुर्खियों में आने के 2 महीने बाद सामने आई है.

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘डाटा को कई बार आगे के दिनों में समायोजित किया जाता है, क्योंकि कई बार किसी विशेष तिथि तक दर्ज मौत सत्यापन की प्रक्रिया के कारण उस दिन या अगले दिन के स्वास्थ्य बुलेटिन के रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो पाती है.’

अपनी पहचान बताने के अनिच्छुक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार मौत के आंकड़े घटाकर बता रही है.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक नूतन मुंडेजा से फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित करने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

डाटा आता कैसे है

दिल्ली में कोविड से मृत्यु की गणना के लिए तीनों नगर निगम के अंतर्गत आने वाले अंतिम संस्कार स्थल जिला स्वास्थ्य निरीक्षकों को संदिग्ध और पुष्ट दोनों मामलों का डाटा भेजते हैं. प्रत्येक क्षेत्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी इस डाटा को अस्पताल के रिकॉर्ड से सत्यापित करने के बाद वास्तविक आंकड़ा निर्धारित करते हैं.

फिर यह सरकार के पास भेजा जाता है जो अपने दैनिक कोविड बुलेटिन में इसे शामिल करती है.

नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘चूंकि संदिग्ध मौत के कई मामलों, जो दिल का दौरा पड़ने या किसी अन्य कोमोर्बिडिटी के कारण हो सकते हैं, को लक्षणों के आधार पर कोविड से मौत की श्रेणी में रखा जाता है, इसलिए चिकित्सा अधिकारियों और डॉक्टरों से कोविड से मौत की पुष्टि के संदर्भ में अधिक जानकारी जुटानी पड़ती है.

दिप्रिंट को मिले डाटा के मुताबिक, एसडीएमसी के तहत पंजाबी बाग श्मशान और एनसीएमसी के तहत निगमबोध घाट श्मशान में 10 जुलाई तक मौत का अधिकतम आंकड़ा क्रमशः 1,548 और 903 दर्ज किया गया था.

ईडीएमसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा आंकड़ा दर्ज करने वाले सीमापुरी श्मशान घाट में 156 मौतें हुई हैं. विद्युत शवदाह गृह लोधी रोड मैदान में 221 मौतों का आंकड़ा दर्ज किया गया है, जबकि मंगोलपुरी के कब्रिस्तान, श्मशान घाट और शवदाह गृहों में 167 मौतें दर्ज की गई हैं.

मई से ही इन विसंगतियां पर नजर

यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली में कोविड से मौत के आंकड़ों में अंतर सामने आया है. मई में दिप्रिंट ने बताया था कि कैसे राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी आंकड़ों की तुलना में चार गुना मौतें दर्ज की गई हैं.

पूर्व में यहां तक कि अस्पतालों को दिल्ली सरकार की डेथ ऑडिट कमेटी को समय पर मौतों का सही विवरण न देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. अस्पतालों को यह निर्देश भी दिया गया था कि मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार ‘कोविड पॉजिटिव लोगों की मौत की समय पर रिपोर्ट देना’ सुनिश्चित करें.

एनडीएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश ने कहा, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा और अब तो दिल्ली सरकार के पास कोई बहाना भी नहीं है जबकि संदिग्ध केस से जुड़ा डाटा शामिल न करें.’

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 22 मई को कहा था कि कोविड से मौत के आंकड़ों में कोई चूक नहीं हुई है. उन्होंने कहा था, ‘संदिग्ध केस में मौत को कोविड-19 से मौत की सूची में शामिल नहीं किया गया है.’

जमीनी हालात में सुधार

बहरहाल, अंत्येष्टि स्थलों में मौजूदा स्थिति में कुछ सुधार हो रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड के ग्राफ में कमी दर्ज की गई है.

मंगलवार को, निगमबोध घाट शवदाह गृह कुछ वैसा नजर आ रहा था जैसा कुछ हफ्तों पहले हुआ करता था. कोई कतार नहीं, कोई लंबा इंतजार नहीं और शव वाहन में भी लोगों के शव एक-दूसरे के ऊपर ढेर की शक्ल में नहीं थे.

दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट के निगमबोध घाट के प्रभारी अवधेश शर्मा ने कहा, ‘हमारे यहां पिछले 10 दिनों से सीएनजी और लकड़ी की चिता पर अंतिम संस्कार के लिए हर रोज ज्यादा से ज्यादा 12 शव आ रहे हैं.’ इससे पहले जून में यहां पहुंचे दिप्रिंट ने पाया था कि घाट पर एक दिन में औसतन 40 अंतिम संस्कार हो रहे थे.’

पिछले महीने तक हर शव वाहन एक बार में कम से कम दो से लेकर छह शवों तक को लेकर आता था, जो अब एक बार में केवल एक शव ला रहे हैं. शर्मा ने कहा, ‘पिछले 10 दिनों में ट्रेंड बदला है. मरने वालों की संख्या में कमी आई है और हमारे पास केवल आठ अस्पतालों से शव आ रहे हैं जिनकी संख्या पहले 22 थी.’


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एलएनजेपी अस्पताल के शव वाहन चालक अंसार, जो मंगलवार सुबह तीसरे चक्कर में यहां पहुंचे थे, ने बताया कि अब मामले काफी कम हो गए हैं.

उन्होंने बताया, ‘मैं आज तीन चक्कर में तीन शव लेकर आया हूं. एक हफ्ते पहले तो इस समय तक मैं कम से कम 6-7 शव ला चुका होता था. पहले लंबा इंतजार करना पड़ता था जो अक्सर 5-6 घंटे तक खिंच जाता था लेकिन अब सब कुछ तुरंत हो जाता है इसलिए हम कई बार चक्कर लगा सकते हैं.’

पंजाबी बाग ऐसा दूसरा श्मशान है जहां सबसे ज्यादा कोविड पीड़ितों के अंतिम संस्कार हुए. 10 जुलाई तक संदिग्ध मामलों को मिलाकर यहां कुल 1,785 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. हालांकि, पुष्ट केस की संख्या 1,548 है.

हालांकि, मौतें घटने साथ पंजाबी बाग, जो लकड़ी की चिता और सीएनजी दाह संस्कार दोनों का संचालन करता है, बेहतर तरीके से प्रबंध कर पर रहा है.

पंजाबी बाग श्मशान घाट के प्रभारी केएस चन्ना ने कहा. ‘पहले हमारे पास एक दिन में औसतन 40 शव आते थे लेकिन अब पिछले दो हफ्तों से हर दिन अधिकतम 10-12 और कभी-कभी 4 या 5 शव ही आते हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(श्रावस्ती दासगुप्ता के इनपुट के साथ)

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