जयपुर: कांग्रेस ने जिस तरह राजस्थान में अपने बागी नेता सचिन पायलट के लिए दरवाजे बंद करके सिर्फ कुछ सीमित विकल्प छोड़े हैं, उसे देखते हुए भाजपा ने फिलहाल इंतजार करने का फैसला किया है. यह देखते हुए कि पायलट के पास गहलोत सरकार गिराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है, भाजपा ने आगे की रणनीति तय करने के लिए प्रस्तावित अपनी सभी बैठकें रद्द कर दी हैं. फिलहाल वह चाहती है कि पहले गहलोत और पायलट खेमा आपसी खींचतान खत्म कर लें.
भाजपा के शीर्ष सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यद्यपि पार्टी ने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर नज़र बना रखी है लेकिन यह तो साफ है कि 19 विधायक पर्याप्त नहीं होंगे, यहां तक कि भाजपा में शामिल हो जाएं तब भी.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इस सबमें अभी हमारे लिए कुछ खास है नहीं. हर दिन दोनों खेमे विरोधाभासी बयान देते हैं, इसलिए हमें अंदाजा ही नहीं है कि वे वास्तव में क्या करना चाहते हैं. हम पहले दोनों खेमों के बीच झगड़ा खत्म होने का इंतज़ार करेंगे और उसके बाद ही पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर कोई चर्चा करेंगे.’
जयपुर में भाजपा के राज्य मुख्यालय में हुई एक अनौपचारिक बैठक में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पार्टी नेता राजेंद्र राठौर ने हिस्सा लिया.
एक अन्य नेता ने कहा, ‘यह एक अनौपचारिक बैठक थी और हमने मौजूदा परिदृश्य पर चर्चा की. ऐसा महसूस किया गया कि हमें सदन में शक्ति परीक्षण पर जोर देने जैसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए क्योंकि हमारे पास अपेक्षित नंबर नहीं हैं, यहां तक कि अगर हमें 19 का समर्थन मिल जाता है तो भी इससे कोई ज्यादा फायदा नहीं होगा. इसलिए पहले उन्हें अपना आंतरिक झगड़ा निपटा लेने देना चाहिए और उसके बाद ही हम तय करेंगे कि क्या किया जाना है.’
एक तीसरे भाजपा नेता ने बताया कि उन्होंने पायलट की प्रेस कांफ्रेंस पर नजरें टिका रखी थीं लेकिन वह भी नहीं हुई. इन नेताओं को अब 17 जुलाई का इंतजार है, जो समयसीमा विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को भेजे गए नोटिस पर जवाब देने के लिए निर्धारित की है.
तीसरे नेता ने कहा, ‘नोटिस निश्चित तौर पर अवैध हैं और इनकी कोई कानूनी शुचिता नहीं है. हम इसका इंतजार कर रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष कल क्या करेंगे, वैसे अगर वह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला करते भी हैं तो भी उन्हें अदालत से राहत मिल सकती है.’
सूत्रों ने पहले बताया था कि राज्य इकाई ने भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे को चर्चा के लिए जयपुर आने को कहा है, लेकिन यहां तक कि उसे भी रद्द कर दिया गया. राजे इस समय अपने निर्वाचन क्षेत्र झालारपाटन में हैं.
एक अन्य नेता ने कहा, ‘हमने वसुंधरा जी से बात की तो उन्होंने बताया कि वह कुछ निजी कार्य में व्यस्त हैं और अगर कोई जरूरत होती है तो आ जाएंगी. अब तक कुछ ठोस प्रगति न होने पर हमने उन्हें फिलहाल नहीं आने के लिए कह दिया है.’
यह भी पढ़ें: नृपेंद्र मिश्रा ने अयोध्या में डाला डेरा, ट्रस्ट की बैठक में पीएम के कार्यक्रम से लेकर मंदिर मॉडल पर होगी बात
संकट पर भाजपा की गहरी नज़र
राज्य भाजपा नेताओं ने कहा कि हालांकि वह अभी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं लेकिन पार्टी गहलोत और पायलट दोनों खेमों पर लगातार नज़र रखे हैं.
भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘कल कुछ ऐसी खबरें आई थीं कि 19 बागी विधायकों में से कुछ जयपुर लौटना चाहते हैं. अगर ऐसा होता है तो यह संख्या और कम होगी. हम पार्टी के लिए कोई असहज स्थिति खड़ी नहीं करना चाहते हैं और इसलिए बस देखने और इंतजार करने का फैसला किया है.’
हालांकि, ऊपर उद्धृत भाजपा नेताओं में से एक ने कहा कि वे पायलट पर नज़र रख रहे हैं और अगर वह गहलोत खेमे के कुछ और विधायकों को पाला बदलने के लिए राजी करने में सक्षम होते हैं, तो भाजपा शक्ति परीक्षण की मांग उठाने पर विचार करेगी.
नेता ने कहा, ‘हमारी जानकारी में अभी तक 19 की संख्या है, जो पर्याप्त नहीं है क्योंकि हमारे पास केवल 72 विधायक और तीन आरएलपी सदस्य हैं. अगर पायलट कुछ अन्य का पाला बदला पाते हैं तो हम शक्ति परीक्षण की मांग उठाने और पायलट को बाहर से समर्थन देने की संभावना पर विचार कर सकते हैं. लेकिन अभी इस दिशा में कुछ भी सोचना बहुत जल्दबाजी है.’
राजस्थान में भाजपा जिस एक और मुद्दे से जूझ रही है वह है पार्टी के भीतर गुटबाजी. सूत्रों के मुताबिक, अगर ऐसी स्थिति आती भी है तो वसुंधरा राजे से लेकर जोधपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया तक पार्टी के कई प्रमुख नेता पायलट को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर ‘बहुत सहज’ नहीं होंगे.
200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं. पार्टी को 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है. इसके अलावा, दो आदिवासी विधायक और एक राजद विधायक भी कांग्रेस के समर्थन में है, जबकि माकपा के दो विधायक गहलोत के नेतृत्व वाले खेमे को बाहर से समर्थन दे रहे हैं. भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के तीन विधायकों का भी समर्थन हासिल है.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
सता पक्ष पे भारी पड़ेगा विपक्ष