नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और शिक्षा मंत्रालय को 30 प्रतिशत सिलेबस कम करने को लेकर काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है. इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शिक्षा को राजनीति से अलग रखने की अपील की है. उन्होंने इस मामले पर की गई टिप्पणियों को झूठ और सनसनी फ़ैलाने वाला बताया है.
इस सिलसिले में उन्होंने एक थ्रेड में नौ ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, ‘सीबीएसई सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं. इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है.‘ शिक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी कि छात्रों का बोझ कम करने के लिए सीबीएसई ने 30 प्रतिशत सिलेबस कम करने का फ़ैसला लिया है.
#CBSE सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है।
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
बाद में पता चला कि सीबीएसई ने 11वीं की राजनीति विज्ञान की किताबों से संघवाद, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता और 12वीं की राजनीति विज्ञान से भारत के पड़ोसियों से संबंध जैसे अन्य अध्यायों को हटा दिया है. सामाजिक विज्ञान के तहत आने वाले 10वीं के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लिंग, धर्म और जाति’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’ और ‘लोकतंत्र के लिए चुनौतियां’ पर पूरे अध्याय को हटा दिया गया है. देश के बड़े नेताओं इन बदलावों का पुरज़ोर विरोध किया.
यह भी पढ़ें : संघवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे विषय हटाने को लेकर एचआरडी मंत्री और मोदी सरकार पर विपक्ष ने साधा निशाना
सीबीएसई ने अपने एक बयान में ये साफ़ किया कि स्कूलों को एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने की सलाह दी गई है. जिन विषयों को हटाया गया है. उन सभी विषयों को वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर के तहत कवर किया गया है. इस पर शिक्षा मंत्री ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, ‘सिलेबस में की गई कटौती केवल कोविड-19 महामारी के समय में किया गया एक उपाय मात्र है. सिलेबस को 30 प्रतिशत कम करने का एकमात्र उद्देश्य छात्रों के ऊपर से तनाव और बोझ को कम करना है.
उन्होंने ये जानकारी दी कि ये निर्णय विभिन्न विशेषज्ञों की सलाह-सिफारिशों और #SyllabusForStudents2020 अभियान के माध्यम से शिक्षाविदों द्वारा प्राप्त हुए सुझावों के आधार पर लिया गया है. शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘हटाए गए 3-4 टॉपिक जैसे राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार, संघवाद आदि को लेकर गलत अर्थ निकालना बहुत आसान है.’ उनका आरोप है कि इनको लेकर व्यापक स्तर पर मनगढ़ंत कहानी भी बनाई जा सकती है, लेकिन जब हम अलग-अलग विषयों का ठीक से अवलोकन करते हैं, तो साफ पता चलता कि यह परिवर्तन सभी विषयों में किया गया है.
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र में परिक्षेपण के माप, भुगतान संतुलन में घाटा आदि टॉपिक हटाए गए हैं. वहीं भौतिक विज्ञान में हीट इंजन और रेफ्रिजरेटर, हीट ट्रांसफर, कन्वेक्शन और रेडिएशन आदि टॉपिक हटाए गए हैं.
इसी प्रकार, गणित में हटाए गए कुछ टॉपिक जैसे प्रॉपर्टीस ऑफ डिटरमिनेंट्स कंसिसटेंसी, इनकंसिसटेंसी, नंबर ऑफ सॉल्युशन ऑफ सिस्टम ऑफ लीनियर इकुएशन बाय एक्जाम्पल एंड बायनॉमियल प्रोबैब्लिटी डिस्ट्रीब्यूशन. जीव विज्ञान में खनिज पोषण के कुछ अंश, पाचन और अवशोषण को हटाया गया है.
इन्हीं उदाहरणों के साथ उन्होंने कहा, ‘यह कोई तर्क नहीं हो सकता है कि इन टॉपिक्स को योजना या द्वेष के तहत हटाया गया है. ऐसी सोच केवल पक्षपातपूर्ण दिमाग ही रख सकता है.’ अपनी सफ़ाई में उन्होंने अन्य विषयों के हटाए गए टॉपिक के उदाहरणों में विज्ञान के विषयों का भी ज़िक्र किया है. इसे लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे टॉपिक हटाए जाने से सीबीएसई के छात्रों के नीट और जेईई से जुड़े मौकों में धक्का लग सकता है.
शिक्षा मंत्री ने पूरे मामले को मानवीय संवेदना से जोड़ते हुए कहा, ‘अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हमारा परम कर्तव्य है. आइए हम शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और अपनी राजनीति को और शिक्षित बनाएं. यह हमारा विनम्र निवेदन है.’