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Thursday, 31 October, 2024
होमदेशअर्थजगत5 महीने में 17 रुपए से 1,535 रुपए तक कैसे उछले रामदेव के रुचि सोया के शेयर्स, और अब क्यों आ रही गिरावट

5 महीने में 17 रुपए से 1,535 रुपए तक कैसे उछले रामदेव के रुचि सोया के शेयर्स, और अब क्यों आ रही गिरावट

29 जून के बाद से, स्टॉक में लगातार 6 दिन तक, 5% की गिरावट आई है, जिससे लोअर सर्किट लग गया है- वो स्तर जहां शेयर मूल्यों में तेज़ी से गिरावट के बाद, स्टॉक में ट्रेडिंग गतिविधि बंद कर दी जाती है.

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नई दिल्ली: दिवालिया होने के बाद री-लिस्टिंग कराने के पश्चात, पांच महीने में 8929 प्रतिशत का उछाल, और फिर ट्रेडिंग के 6 दिन के अंदर भारी गिरावट- बाबा रामदेव के पतांजलि आयुर्वेद द्वारा अधिग्रहीत की गई रुचि सोया इंडस्ट्रीज़ के स्टॉक मूवमेंट ने मार्केट्स को चकरा दिया है, और दिवाला प्रक्रिया से बाहर आने वाली फर्मों को छूट देने पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

27 जनवरी को, पतंजलि के भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड के प्रावधानों के तहत कंपनी को अधिग्रहीत करने के बाद, खाद्य तेल निर्माता ने जब कंपनी को फिर से लिस्ट किया, तो रुचि सोया का शेयर मूल्य 17 रुपए था. अगले कुछ ही महीनों में ये आसमान छूता हुआ 29 जून को 1,535 रुपए पहुंच गया- जो 8929 प्रतिशत की उछाल थी.
जिस फर्म को ज़्यादा लोग जानते भी नहीं थे, पिछले महीने उसकी बाज़ार पूंजीकरण भी बढ़कर 45,000 करोड़ पहुंच गई. रुचि सोया के शेयर मूल्यों में ये तेज़ी, ऐसे समय में आई जब पिछले पांच महीनों में बेंचमार्क सेंसेक्स 11 प्रतिशत गिर गया था.

लेकिन 29 जून के बाद से, 6 दिन तक स्टॉक में हर रोज़ 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई- जिससे सोमवार तक 6 दिन ट्रेडिंग के लिए लोअर सर्किट लगता रहा- वो स्तर जहां शेयर मूल्यों में तेज़ी से गिरावट के बाद, स्टॉक ट्रेडिंग गतिविधि बंद कर दी जाती है.

Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint

कुल मिलाकर 29 जून को अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद से, शेयर मूल्य 28 प्रतिशत नीचे आ गया है. सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर ये शेयर 1,108 रुपए पर बंद हुआ.


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शेयरधारिता से उपजी अस्थिरता

विश्लेषकों का कहना है कि रुचि सोया के शेयर मूल्यों में वृद्धि, मुख्य रूप से फ्री फ्लोट, यानि पब्लिक के पास कम शेयर्स होने की वजह से थी. इसकी वजह से भी शेयर मूल्यों में ज़्यादा अस्थिरता भी देखी जा रही है

बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल 29.58 करोड़ इक्विटी शेयर्स में से, 29.29 करोड़ या 99 प्रतिशत शेयर्स प्रमोटर्स के पास थे. इसमें एक प्रतिशत शेयर ही पब्लिक के पास थे. सार्वजनिक हिस्सेदारी के कम स्तर की वजह से, स्टॉक के ट्रेडिंग वॉल्यूम्स भी नीचे ही रहे हैं.

लिस्टिंग की मौजूदा गाइडलाइन्स के मुताबिक़, कंपनियों को कम से कम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होती है. लेकिन, चूंकि रुचि सोया इंडस्ट्रीज़ दिवालिया प्रक्रिया के बाद फिर से लिस्ट हुई थी, इसलिए प्रमोटर्स के पास नॉन-प्रमोटर हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए 18 महीने, और 25 प्रतिशत तक ले जाने के लिए 3 साल का समय है.

प्रमोटर शेयरहोल्डिंग के इतने ऊंचे स्तर की वजह से अटकलें थीं, कि पतंजलि आयुर्वेद जो एक अनलिस्टेड कंपनी है, रुचि सोया के रिवर्स विलय पर ग़ौर कर रही है. लेकिन रुचि सोया ने स्टॉक एक्सचेंजों के सामने ख़ुलासा किया, कि ये दावा वास्तव में ग़लत है.

रिवर्स विलय वो होता है जिसमें निजी कंपनी, किसी पब्लिक लिस्टेड कंपनी को ख़रीद सकती है, और इस तरह इनीशियल पब्लिक ऑफर की लंबी प्रक्रिया से गुज़रे बिना, परोक्ष रूप से अपनी लिस्टिंग करा सकती है.

आचार्य बालकृष्णन रुचि सोया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हैं. योग गुरु बाबा रामदेव एक बोर्ड मेम्बर हैं. ये दोनों पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक भी हैं, वो कंपनी जिसने 2018-19 में 8,000 करोड़ रुपए का कारोबार किया था.

दिप्रिंट ने पतंजलि आयुर्वेद से, उनकी टिप्पणी लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन इस ख़बर के पब्लिश किए जाने तक, उनका कोई जवाब नहीं मिला था.


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कंपनी की वित्तीय स्थिति

रुचि सोया इंडस्ट्रीज़ ने मार्च 2020 में ख़त्म होने वाली तिमाही में, 3,190 की कुल आय, और 41 करोड़ का घाटा दिखाया था- अधिग्रहीत किए जाने के बाद से ये पहले तिमाही नतीजे थे. ये नतीजे 29 जून को घोषित किए गए, और तब से स्टॉक नीचे लुढ़क रहा है.

नतीजों के ऐलान के समय, कंपनी ने कहा कि वैश्विक महामारी के चलते, श्रमिकों और ट्रांसपोर्टेशन की अनुपलब्धता, और पैकेजिंग मटीरियल की ख़रीद न होने से, उसके प्लांट्स की स्थापित क्षमता प्रभावित हुई है. लेकिन कंपनी ने विश्वास जताया कि वो ट्रेड से होने वाली लेनदारियां हासिल कर लेगी.

रुचि सोया इंडस्ट्रीज़, जो खाद्य तेल और सोया उत्पादों के, महाकोष, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला जैसे लोकप्रिय ब्राण्ड बेंचती है, 2017 में क़र्ज़दारों की तरफ से कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के, क़रीब दो साल बाद, नवम्बर 2019 में डी-लिस्ट की गई थी.

बिक्री का सौदा दिसम्बर 2019 में पूरा हुआ, और पतंजलि आयुर्वेद ने इसे ख़रीदने के लिए 4,350 करोड़ रुपए अदा किए. इस साल जनवरी में कंपनी को फिर से लिस्ट किया गया.

लेकिन, रुचि सोया के मौजूदा हिस्सेदारों को, पिछले हर 100 के लिए, नव-निर्मित इकाई में केवल एक शेयर दिया गया.

क्या कहते हैं विश्लेषक

एक प्रॉक्सी एडवाइज़री फर्म, स्टेकहोल्डर एम्पावरमेंट सर्विसेज़ के संस्थापक जेएन गुप्ता ने कहा, “समस्या ये है कि ये केस एनसीलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रायब्युनल) से आया है, और अगर पब्लिक के पास एक शेयर भी हो, तो उसे फिर से लिस्ट करने की इजाज़त मिल जाती है. लेकिन इससे लीक्विडिटी की समस्या पैदा हो जाती है. कोई नहीं जानता कि कंपनी का आगे का रास्ता क्या होगा, इसलिए बहुत सी अटकलबाज़ियां हैं”.

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा मांग और पूर्ति में मेल भी नहीं है, और कोई मूल्यांकन मेट्रिक्स भी उपलब्ध नहीं हैं”.

उन्होंने कहा कि आज तक, कोई भी कंपनी जो दिवालिया प्रक्रिया से बाहर आई है, वो ब्लैक बॉक्स की तरह होती है, जिसमें उसकी मौजूदा वित्तीय स्थिति, या प्रमोटर्स के प्लान की कोई साफ तस्वीर नहीं होती.

उन्होंने ये भी कहा,“ऐसे सभी स्टॉक्स को ट्रेडिंग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक प्रॉस्पेक्टस जैसा कोई इनफॉर्मेशन मेमोरैण्डम, पब्लिक डोमेन में नहीं आ जाता, जिससे कि लोग एक विचारपूर्ण फैसला कर सकें. इसके अलावा, पब्लिक फ्लोट बढ़ाने की समय सीमा भी कम की जानी चाहिए”.

क्रिस कैपिटल के डायरेक्टर अरुण केजरीवाल ने बताया, कि शेयर मूल्यों में बढ़ोतरी उतनी अधिक नहीं है, जितना इनके मूल्य से लगता है.

उन्होंने कहा कि जब नए प्रमोटर्स आए, तो पूंजी में 99 प्रतिशत की कमी हो गई, क्योंकि हर 100 शेयर्स के लिए, निवेशक को एक शेयर दिया गया. इसलिए अगर उसे ध्यान में रखें, तो प्राइस में इज़ाफा उतना ज़्यादा नहीं है.

उन्होंने समझाया कि अगर डी-लिस्टिंग से पहले शेयर का दाम 5 रुपए था, तो निवेशक को तब तक कोई मुनाफा नहीं होगा, जब तक स्टॉक के दाम 500 रुपए तक नहीं पहुंच जाते.


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उन्होंने कहा कि क़ानून के मुताबिक़ रुचि सोया के पास पब्लिक फ्लोट बढ़ाने के लिए समय है, और दरअस्ल कंपनी ने कोई उल्लंघन नहीं किया है.

उन्होंने कहा,’कंपनी का फ्री फ्लोट बढ़ने के बाद, मौजूदा ऊंचा मूल्यांकन नहीं रहेगा’. उन्होंने आगे कहा कि खाद्य तेल प्रोसेसिंग के कारोबार पर फोकस करने के साथ नई इकाई, पिछली इकाई से बेहतर स्थिति में आ सकती है, जो एक व्यापार समूह थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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3 टिप्पणी

  1. यदि कम्पनी ने नियमो का पालन पूरी पारदर्शिता से किया है और कम्पनी ने 100 शेयर को पून्जी घटाकर एक शेयर किया तो किसी शेयर होल्डर ने पूर्व मे यदि 1000 शेयर 45 रुपये मे लिए थे ( जोकि हमने लिये थे) तो 45000 के हुए पून्जी घटने पर 45000 रुपये मे 10 शेयर रह गये यानी 4500 रुपये का एक शेयर वो भी तीन चार साल के बाद , फिर शोर करने वाले कैसे बोल सकते हैं 8089 % भाव बड गया अभी तो 1517 रुपये आया है जबकि 4500 रुपये हो ने पर 4 साल कि 45000 की इन्वेस्टमेंट पर 15160 रुपये हुए यानि की राशि लगभग घटकर 33% पर रह गयी। फिर कैसे शोर मचा रहे बड गये। अभी तो इनवेस्टमेंट भी पूरी नहीं होती । देव वासू जैन दिल्ली

  2. Isme bahut bada ghotala hai congress aur bjp ke 2 ministers ke pese lage hai isilye public ko ullu banakar lut rahe hai sabko pata hai 100 share quantity ke samne 1 share quantity dekar ghotala kiya jabki alok industries ko reliance ne takeovers kiya to tab per share price RS 3 price this share bi itne hi rahe jo k pahele they aur haal me per share price RS 50 tak gaya tab bi share contity itni hi rahi to bolo ruchi aur baba ramdev ne kis ministers ko fayda karvaya.

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