नई दिल्ली: टिकटोक बैन होने की खबर जब महाराष्ट्र के धुले जिले के जामदे गांव पहुंची तो सबसे पहले इस गांव के 23 टिकटोर्स रोने लगे. इस गांव के स्टार टिकटोकर दिनेश पवार दिप्रिंट को बताते हैं, ‘मेरी दोनों पत्नियां पानी भरने के बहाने गईं और रोने लगीं. मैं वहां उनको रोते देखा तो चुप कराया. बुरा तो लग रहा है लेकिन इस बैन से हमारा अकेले का अकाउंट तो गया नहीं. बल्कि हमारे जैसे लाखों है जिनके अकाउंट जाएंगे. तो हम कब तक दुखी रहेंगे. इसलिए सोचा है कि आगे यूट्यूब पर फोकस करें.’
सोमवार शाम भारत सरकार ने चीन और भारत के बीच चल रहे तनाव के मद्देनजर 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा दिया. इनमें से एक ऐप टिकटोक भी है. जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फेमस है. भारत में फिलहाल इसके लगभग 120 मिलियन एक्टिव टिकटोक यूजर हैं.
पिछले साल आदिवासियों के गांव में लोगों ने खेती बाड़ी और मज़दूरी के अलावा एक और काम ढूंढ लिया था – वो था वीडियो ऐप्स पर वीडियो लगाने का. मायानगरी मुम्बई से महज 350 किलोमीटर दूर जामदे में पवनचक्कियां, खुले खेत और छोटी पहाड़ियां बॉलीवुड गानों में दिखने वाले बैकग्राउंड का आभास कराती हैं.
आज जामदे इंटरनेट के सहारे कई स्टार्स को जन्म दे चुका है. 27 वर्षीय शाखा भाई धनराज चव्हाण उर्फ प्रकाश चव्हाण टिकटोक स्टार हैं. वो पार्शियली ब्लाइंड हैं और ये बीमारी उनके परिवार में जैनेटिक है. उनके पिता और भाई भी पार्शियली ब्लाइंड हैं. पर ये उनके सपनो की उड़ान को किसी तरह भी रोक नहीं पाया है. वीमेट, टिकटोक, वीगो, लाइकी और क्वाई जैसी पांच वीडियो ऐप्स पर लगभग हर रोज प्रकाश दो-तीन वीडियोज अपलोड करते हैं. इनमें से ज्यादातर ऐप्स को अब भारत सरकार ने बैन कर दिया है.
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टिकटोक और दूसरी चाइनीज ऐप्स पर लगे प्रतिबंध से प्रकाश निराश जरूर हैं लेकिन उनके लिए देश की आत्मनिर्भरता भी जरूरी है. प्रकाश चव्हाण कहते हैं, ‘सबसे पहले तो मैं भी रोया ही लेकिन बाद में टीवी पर देखा कि टिकटोक चीन में ही पैसा भेज रहा है तो मन को समझाया. अब इंतजार है कि कोई भारत की ऐप आए जिसपर हम अपने वीडियो बना सकें.’
वो आगे जोड़ते हैं, ‘भारतीय ऐप जिसकी बात सारे लोग कर रहे हैं उस रोपसो ऐप पर हमें उतना स्कोप नहीं दिखा. टिकटोक पर हमारे जैसे ही छोटी जगहों के लोग थे जिनको देखकर उत्साह बढ़ता था. हमें तो इन्स्टाग्राम उतना आसान नहीं लगता.’
प्रकाश मानते हैं कि एप्स पर प्रतिबंध लगाकर भारत ने चीन को सबक सिखाया है, ‘मैं रोया तो इसलिए था क्योंकि इस ऐप ने हमें उन लोगों से कनेक्ट कराया जिनसे जुड़ने के बारे में हमारे मन में खयाल भी नहीं आता था. उन लोगों तक हमारी पहुंच इस जन्म में तो नहीं हो पाती.’
वो गांव के माहौल को लेकर कहते हैं, ‘हमारे गांव में कम से कम 11 कपल टिकटोक वीडियोज बना रहे थे. इसलिए जबसे खबर सुनी है सब घरों में ही हैं. आज कोई वीडियो बनाने भी नहीं आ रहा है.’
प्रकाश और दिनेश जिस आदिवासी जनजाति समुदाय से ताल्लुक रखते हैं उसका नाम पारधी है जिसे अंग्रेजी सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के तहत जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था. बाद में 31 अगस्त 1952 को इस ट्राइब समेत बाकी जनजातियों को भी इस कानून से मुक्त कर विमुक्त जनजातियां घोषित किया था. दिनेश और प्रकाश समेत बाकी 22 आदिवासियों के भी टिकटोकर बनने की कहानी रोचक है.
बकरियां बेचकर खरीदे फोन
गांव में ही सैलून में काम करने वाले 32 वर्षीय दिनेश ने पिछले साल अपनी कुछ बकरियों को बेचकर 17 हजार रुपए का एंड्रॉयड फोन लिया था. शुरू में कॉमेडी वीडियोज़ बनाए लेकिन उसे ज्यादा ट्रैक्शन नहीं मिला.
जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड के नब्बे के दशक के गानों पर अपनी दोनों पत्नियों के साथ डांस के वीडियोज़ लगाने शुरू किए. देखते ही देखते दिनेश पवार को टिकटोक पर तीस लाख लोग फॉलो करने लगे. उनके वीडियोज टिकटोक से निकलकर फेसुबक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम पर फैलने लगे.
टिक टोक ने इस गांव की सूरत बदल दी है
शिक्षा के अभाव में इन संभावित टिकटोक स्टार्स ने वीडियो ऐप्स की कठिन भाषा को कुछ इस तरह सरल बनाया है- दिल का मतलब लाइक है, बाण का मतलब शेयर है, नीचे कमेंट बॉक्स होता है और जब तक वीडियो के पीछे ‘k’ ना लगे तब तक वीडियो को वायरल नहीं माना जाएगा.
आज जामदे गांव में ग्यारह कपल दिनेश और प्रकाश से प्रभावित होकर वीडियोज बना रहे हैं. दिनेश और प्रकाश यूट्यूब से सीखते हैं और बाकी कपल उनके स्टेप्स कॉपी करते हैं. प्रकाश बताते हैं कि वो लाइनों का मतलब समझ कर उसी हिसाब से नाचते हैं यानी डांस वो दिल से करते हैं.
दिनेश के पास कुछ टुकड़ा जमीन है लेकिन प्रकाश भूमिहीन मजदूर हैं.साल के 4 महीने 150 रुपए प्रतिदिन मजदूरी कर के कमाने वाले प्रकाश बताते हैं कि उन्होंने नवंबर 2019 में अपनी मां की सोने की बालियां बेचकर 14 हजार रुपए का फोन देखा था क्योंकि उनके एक स्कूल टीचर ने दिनेश के वीडियोज देखकर ताना मारा था कि शाखा ‘तू जिंदा है या मर गया.’
प्रकाश के मुताबिक वो स्कूल टाइम में नाटक और डांस में भाग लिया करते थे. प्रकाश उर्फ शाखा कहते हैं, ‘हमारा गांव बॉलीवुड से शुरू से प्रभावित रहा है. इसलिए मेरी दादी ने मेरा नाम अजय देवगन की फिल्म ‘दिलजले’ के शाका के नाम पर रखा था. लेकिन स्कूल में गलती से शाखा लिखा गया. आज हमारे गांव में ऋषि कपूर, मिथुन, सन्नी देओल और शशि कपूर नाम के लोग रहते हैं.’
इस गांव के सरपंच गोपी सोपान भोसले टेलिफोनिक बातचीत में हमें बताते हैं, ‘ये पिछड़ा गांव है. यहां बीए तक की शिक्षा पूरी कर पाने वाले केवल 4-5 लड़के ही हैं और सिर्फ एक लड़की. बीए की पढ़ाई पूरी कर पाने वालों में प्रकाश भी एक है. बाकी लोग अनपढ़ हैं या कम कक्षाओं तक ही स्कूल गए हैं.’
एक-दो लोगों का छोड़कर ज्यादातर लोगों की झोपड़ियां गांव से भी दो किलोमीटर अंदर है. गांव में पांचवीं क्लास तक ही सरकारी स्कूल है. आगे की पढ़ाई के लिए बीस किलोमीटर दूर बने स्कूल जाना पड़ता है.
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डेढ़ किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बने कामदेव के मंदिर पर करते हैं शूट
प्रकाश ने मोबाइल फोन अपनी मां की सोने की बालियां बेचकर खरीदा था. वो बताते हैं, ‘6-7 हजार में बालियां बिकी थीं और बाकी पैसे मैंने मजदूरी से जोड़े थे. फिर जाकर 14 हजार का मोबाइल लिया.’
प्रकाश बताते हैं कि वो यूट्यूब पर फिल्मी गाने देखते हैं और वैसा ही बैकग्राउंड खोजते हैं. इसलिए कभी डेढ़ किलोमीटर दूर बने कामदेव मंदिर पर जाते हैं तो कभी बीस किलोमीटर दूर एक तालाब पर. लाइटिंग की उचित व्यवस्था नहीं है तो तेज धूप निकलने का इंतजार करते हैं और दूर दराज की छोटी पहाड़ियों में जाकर शूट करते हैं. ‘हम लोग बॉलीवुड जाने के लिए नहीं बल्कि अपने मनोरंजन के लिए वीडियो बनाते हैं.’
प्रकाश को बॉलीवुड एक्टर गोविंदा बेहद पसंद हैं. वो कहते हैं, ‘हम लोग इतने बड़े सपने भी नहीं देखते. मुझे पता है कि गोविंदा मुझे कभी फोन नहीं करेंगे.’
प्रकाश अब तक 700 से ज्यादा वीडियो बना चुके हैं और कम से कम 5 अलग-अलग वीडियो ऐप्स डांस के वीडियोज लगा चुके हैं. प्रकाश ने वीमेट ऐप से करीब 35 हजार रुपए की कमाई की थी लेकिन उसके बाद किसी ऐप से उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है.
हालांकि विभिन्न ऐप्स पर मिले अनजान लोगों ने उनकी तीन साल की बेटी की पढ़ाई और पत्नी की दवाइयों को खर्च में मदद जरूर करवाई है. हालांकि दिनेश ने भी वीमेट ऐप से करीब एक लाख रुपए कमाए हैं.
महिलाएं करती हैं खुलकर डांस
प्रकाश की पत्नी वर्षा शाखा चव्हाण बताती हैं, ’22 नवंबर 2019 से पहले उन्होंने कभी डांस नहीं किया था. शुरुआत में लोग मजाक उड़ाते थे लेकिन बाद में दूसरे गांव में जाने पर लोगों ने सेल्फी लेना शुरू किया. अब मुझे मजा आता है. हम गाने के लिरिक्स सुनकर 15 मिनट तक प्रैक्टिस करते हैं और फिर वीडियो शूट करते हैं.’
दिनेश की दोनों पत्नियां भी उनके वीडियोज में फीचर होती हैं. लेकिन उन्हें वीडियो में एक्टिंग कराना बेहद कठिन काम रहा. वो अपनी पत्नियों को बड़ी पत्नी और छोटी पत्नी के नाम से परिचय कराते हैं. छोटी पत्नी लखानी 22 साल की हैं.
दिप्रिंट से अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, ‘मुझे कई दिन तक दिनेश जी कहते रहे कि शर्म उतार दो. जिंदगी अपने हिसाब से जीनी है. मैं बेहद शर्मीली किस्म की महिला रही हूं और ऐसे खुलकर गानों पर डांस नहीं किया है. लेकिन एक बार करने के बाद वीडियो बनाने में मजा आने लगा. अब अच्छा लगता है.’
लखानी को बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या बेहद पसंद हैं. वो कहती हैं कि मैं छह महीने पहले तक जिंदगी और एंटरटेनमेंट को एकसाथ नहीं देखती थी. अब वीडियोज बनाने का लोड ज्यादा हो गया है तो दिनेश ने अपना सैलून बेच दिया क्योंकि वो कई दिनों तक उसे खोल ही नहीं पाते थे.
दिनेश की दूसरी पत्नी जिनका निकनेम पूजा है, भी वीडियोज में डांस करती हैं. उनको मनाना भी कठिन रहा क्योंकि उन्हें लगता था कि समाज मजाक बनाएगा.
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लखानी कहती हैं, ‘दीदी ने कहा कि गांव वाले क्या कहेंगे कि दोनों बीवियों के साथ डांस करता है. लेकिन बहुत समझाने के बाद वो भी मान गईं.’ टिकटोक स्टारडम ने जामदे गांव के साधारण लोगों को असाधारण जीवन जीने की राह दिखाई है.