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Monday, 23 December, 2024
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सरकार ने तेज की हेल्थ रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की कवायद, राज्यों से कहा डाटा भेजने के साथ निजता सुनिश्चित करें

सरकार के इस डिजिटाइजेशन प्लान का लक्ष्य आधार की तर्ज पर सभी नागरिकों को यूनिक हेल्थ आईडी उपलब्ध कराना और पूरी तौर पर एक इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड तैयार करना है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने हेल्थ रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया तेज कर दी है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक यह सारी कवायद राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकरण (एनएचए) के जरिये अमल में लाए जा रहे नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) के ढांचे के तहत की जा रही है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचडब्ल्यूएफ) की तरफ से 25 जून को सभी राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को भेजे पत्र में कहा गया है कि चार तरह का ब्योरा, डॉक्टर, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ आईडी और मरीजों के स्वास्थ्य से जुड़ा निजी रिकॉर्ड आदि, जुटाने में एनएचए को पूरा सहयोग मुहैया कराएं.

इसमें राज्यों को यह निर्देश भी दिया गया है कि अपेक्षित ब्योरा निर्धारित समय में उपलब्ध कराने के साथ यह सुनिश्चित भी करें के डाटा की निजता का उल्लंघन न हो.

सरकार एनडीएचएम के तहत नागरिकों को आधार की तर्ज पर यूनिक हेल्थ आईडी मुहैया कराने और इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड का एक ढांचा तैयार की योजना भी बना रही है.

हेल्थ रिकॉर्ड के डिजिटाइजेश की योजना पर 2018 से ही विचार-विमर्श चल रहा है, जब नीति आयोग ने नेशनल हेल्थ स्टैक (एनएचएस) नाम का एक प्रस्ताव रखा था, जिसका उद्देश्य भारत में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित स्वास्थ्य कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए जरूरी जानकारियां जुटाना था. एनडीएचएम इस एनएचएस का ही हिस्सा है.


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क्या कहा गया है पत्र में?

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि एनएचए को एमओएचएफडब्ल्यू के पूर्णयता दिशानिर्देशन और निगरानी में एनडीएचएम के क्रियान्वय का जिम्मा सौंपा गया है, इसके लिए निम्नलिखित ब्योरा तैयार करने की जरूरत है….’

पत्र में इस बात पर जो दिया गया है कि यह प्रक्रिया निर्धारित समय में पूरी करने की जरूरत है लेकिन अंतिम तिथि का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

‘चूंकि यह सारी कवायद समयबद्ध तरीके से पूरा करने की जरूरत है इसलिए एनएचए को पूरा समर्थन और सहयोग देने का अनुरोध भी किया गया है.’

सीईओ के तौर पर आईएएस अधिकारी इंदुभूषण के नेतृत्व वाला एनएचए एक शीर्ष सरकारी संस्थान है जो दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी निभाता है.

पत्र में आगे कहा गया है कि राज्यों को उपरोक्त लक्ष्य के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक जानकारी भेजना सुनिश्चित करने के साथ यह भी देखना चाहिए कि’ ऐसा करते समय डाटा की गोपनीयता और निजी डाटा की सुरक्षा के मानदंडों का पालन हो.’

पत्र की प्रतिलिपि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जुड़े सभी संयुक्त सचिवों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान के अतिरिक्त निदेशक के ध्यानार्थ भी भेजी गई है.


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स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का फायदा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से भारत को देशभर में विभिन्न स्तर पर स्वास्थ्य तंत्र से जुड़ा डाटा बेहतर ढंग से जुटाने और उसका विश्लेषण करने में आसानी होगी, और फिर इसे नीतियां तय करने में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

मेंगलुरु की येनपोया यूनिवर्सिटी के बायोएथिक्स में रिसर्चर और सहायक प्रोफेसर अनंत भान कहते हैं, ‘यह नीति निर्धारकों को रियल टाइम इनपुट तो उपलब्ध कराएगा ही. मरीज से जुड़ी सूचना जुटाने का मानक तरीका और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का उपयोग क्लीनिकल डाटा एकत्र करने में भी उपयोगी साबित हो सकता है, और यह भारत में महामारी की प्रकृति को बेहतर ढंग से समझने में हमारी मदद करेगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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