नई दिल्ली: गुजरात उच्च न्यायालय ने एक न्यायाधीश को उनके समक्ष सूचीबद्ध एक मामले से संबंधित केस के लिए किसी अज्ञात नंबर से फोन कॉल और संदेश आने के बाद पुलिस जांच का आदेश दिया है.
आपराधिक मामला एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत की मांग से संबंधित था, क्योंकि उसे पुलिस के खिलाफ कार्रवाई के लिए भीड़ को उकसाने के आरोपों का सामना करना पड़ा था.
सोमवार को अदालत के द्वारा पारित आदेश के अनुसार जस्टिस बेला त्रिवेदी को सुबह पहला कॉल मिला, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को पेटलाद से विधायक निरंजन पटेल बताया.
जब त्रिवेदी ने पटेल से कॉल के उद्देश्य के बारे में पूछा, तो उन्होंने उसी दिन सूचीबद्ध एक आपराधिक मामले का उल्लेख किया.
आदेश ने कहा गया हैं कि ‘उस समय, उन्होंने उसे तुरंत रोक दिया और उसे बताया कि वह इस तरह उनको फोन नहीं कर सकता और फोन काट दिया.’
फ़ोन करने वाले ने फिर तीन और कॉल किए, जो अनुत्तरित थे. जिसके बाद जज को केस नंबर के साथ संदेश मिला. संदेश में कहा गया है, ‘2020 का आपराधिक मामला नंबर 266 विजयभाई अरविंदभाई .. मा अजे मुदत चे, (आज तय हुआ). यह उनके सामने सूचीबद्ध अग्रिम जमानत मामले की संख्या थी.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने जमानत आवेदक के वकील से पूछा कि क्या आवेदक का पटेल के साथ कोई संबंध है. अदालत को सूचित किया गया कि आवेदक का पटेल के साथ कोई संबंध नहीं है, उसने कहा वह यह देखने के लिए बहुत इच्छुक है कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है और पटेल ने भी आवेदक की गिरफ्तारी के लिए डिप्टी एसपी से भी संपर्क किया था.
अरविंदभाई के वकील ने दिप्रिंट को बताया कि वह पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भीड़ को उकसाने के लिए उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में अग्रिम जमानत की मांग कर रहा है. आईपीसी धारा 332 (स्वेच्छा से किसी लोक सेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने के लिए चोट पहुंचाने), 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना) और 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
कॉल से ‘परेशान और उग्र’ त्रिवेदी ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (आईटी) से फोन नंबर के विवरण को देखने के लिए कहा.
अदालत ने कहा, ‘चूंकि, कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अदालत का दरवाजा खटखटाने या अदालत को प्रभावित करने की कोशिश नहीं कर सकता. एक तरह से न्याय को प्रदूषित करने की कोशिश की जाती है.’
‘केस में दखल आपराधिक अवमानना को बढ़ाएगा’
जब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई, तो अदालत को सूचित किया गया कि यह नंबर वास्तव में आनंद, गुजरात के एक तोफिकभाई वोरा की थी. अदालत ने आनंद के पुलिस अधीक्षक से पटेल और वोरा दोनों के बयान दर्ज करने को कहा है.
यह देखते हुए कि मामले में किसी भी हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप अदालत की अवमानना हो सकती है न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, ‘यह कहना अनावश्यक है कि कोई भी व्यक्ति जो पक्षपात से कार्य करता है या जो किसी भी न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करता है या किसी भी तरीके से न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने के लिए जाता है तो यह ‘आपराधिक अवमानना’ धारा 2 (सी) कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट के भीतर है.
अदालत ने कहा कि अगर ‘वाहा और पटेल’ अपने संबंधित बयानों में सही तथ्य नहीं बताते हैं तो मामला ‘बहुत गंभीरता से देखा जाएगा.’
त्रिवेदी मामले की सुनवाई बुधवार को करने के लिए तैयार हैं.
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