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Friday, 22 November, 2024
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कोरोनाकाल में डिजिटल मनेगा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस- तैयारियां पूरी, सेलिब्रेटीज ने लोगों को किया प्रेरित

21 जून को उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और दुनिया के कई हिस्सों में इसका विशेष महत्व भी होता है. इस दिन सूरज जल्दी उगता है और देरी से ढलता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है.

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नई दिल्ली: हर साल 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को इस बार कोरोना संकट के चलते ज्यादातर देशों ने इसे ऑनलाइन मनाने का निर्णय लिया है. सरकार की तैयारी पूरी हैं. लोग तय प्रोटोकाल के तहत घर पर योग करेंगे. सेलिब्रेटीज ने भी इसमें लोगों के हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया है. यह लोगों के स्वास्थ्य पर योग के सकारात्मक प्रभावों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए पूरी दुनिया में मनाया जाता है.

यह है सरकार की तैयारी

भारत में छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून को डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया जाएगा. लोग सुबह 7 बजे इसे तय प्रोटोकाल के तहत मनाएंगे. इसके अलावा आयुष मंत्रालय प्रसार भारती के साथ मिलकर योग प्रशिक्षक जरिए डीडी नेशनल पर सामंजस्यपूर्ण योग के लिए कार्यक्रम प्रसारित करेगा. हालांकि इससे पहले सुबह 6:30 बजे पीएम मोदी का भाषण प्रसारित होगा.

सेलिब्रेटीज ने किया प्रेरित

इस छठे अतरराष्ट्रीय योग दिवस में ज्यादा से ज्यादा लोग हिस्सा लें इसके लिए सेलिब्रेटीज ने लोगों को प्रेरित करने वाले संदेश साझा किए हैं. अक्षय कुमार, अनुष्का शर्मा, मिलिंद सोमन शिल्पा शेट्टी कुंद्रा जैसे अदाकारों ने अपना समर्थन दिया है. आयुष मंत्रालय के अनुसार इन्होंने योग को हमारे जीवन को अनुशासित और धैर्यपूर्ण तरीके से जीने का रास्ता कहा है. वे इस बात पर जोर देते हैं कि योग एक ऐसा अभ्यास है जो दुनिया भर के लोगों को एक समान काज लिए एकजुट करता है और शांति व सद्भाव का संदेश देता है.

डिजिटल प्लेटफार्म पर लोगों ने सीखा योग

आयुष मंत्रालय ने इसकी तैयारी के लिए अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे योग पोर्टल और यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम के अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर बहुत से ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध कराए थे. कई कॉमन योग प्रोटोकॉल सत्रों का प्रसारण टेलीविजन पर किया गया जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों दर्शकों ने देखा और उनका अनुसरण किया. इन इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल संसाधनों ने लोगों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले अपने घरों में ही योग सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान किए हैं.

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा ‘माय लाइफ माय योगा‘ प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जिसमें वीडियो ब्लॉगिंग की तारीख बढ़ाकर 21 जून कर दी गई है. पहले यह 15 जून थी. प्रतिभागियों को 3 मिनट का (योग, क्रिया, आसन, प्राणायाम, बध और मुद्रा) वीडियो फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ‘माय लाइफ माय योगा‘ पर अपलोड करना होगा. इसके बाद चुनिंदा वीडियों को पुरस्कृत किया जाएगा.

मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने को लेकर योग से जुड़े कार्यक्रमों और प्रशिक्षण केंद्रों का पता लगाने के लिए एक मोबाइल ऐप्लिकेशन भी लॉन्च किया था.

संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव के बाद फाइनल हुई थी 21 जून की तारीख 

11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चिह्नित करते हुए प्रस्ताव पारित किया था. कुल 177 देशों ने भारत का समर्थन किया था. भारत में पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस राजपथ पर मनाया गया. इस आयोजन में भारत ने दो गिनीज विश्व रिकॉर्ड  बनाये थे.

21 जून को उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और दुनिया के कई हिस्सों में इसका विशेष महत्व भी होता है. इस दिन सूरज जल्दी उगता है और देरी से ढलता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है.

योग क्या है, धर्म से क्या है रिश्ता?

योग संस्कृत शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है जुड़ना या एकजुट होना. योग सूत्र के संदर्भ में, ‘योग’ शब्द का अर्थ है ‘संघ’. यह एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो लोगों को शांति, आत्मविश्वास और साहस देता है, जिसके माध्यम से वे कई गतिविधियों को बेहतर तरीके से कर सकते हैं.

योग को 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आस-पास भारत में एक व्यवस्थित अध्ययन के रूप में विकसित किया गया था लेकिन इसके प्रचलन को इतिहास में लगभग 3000 ईसा पूर्व से बहुत पहले से माना जाता है. दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में ऋषि पतंजलि के अवतरण ने उन्हें योग परंपरा में सबसे प्रतिष्ठित नाम बना दिया. तब से, योग भारतीय जीवन शैली और भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन गया है.

योग किसी विशेष धार्मिक विश्वास को अभ्यास के लिए आवश्यक नहीं मानता है और किसी को भी योग से लाभ के लिए किसी भी विश्वास को त्यागने की आवश्यकता नहीं है.

योग एक्टिविस्ट मंगेश द्विवेदी ने कहते हैं कि योग जोड़ने का काम करता है बांटने का नहीं. योग को धर्म और जात से नहीं जोड़ना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इसका राजनीतिकरण हुआ है. योग, गाय सबका राजनीतिकरण हुआ है. योग पहले से विदेशों में मनाया जाता है लेकिन पीएम मोदी के प्रमोशन के बाद और ख्याति मिली है.

इसकी आवश्यकता केवल नैतिकता और आंतरिक शांति के मूल्यों को बनाए रखने की है. योग का दर्शन हमारे मनोविज्ञान और प्रथाओं का विस्तार है. समकालीन मानव स्थिति स्वभाव से तनावपूर्ण और एक अभूतपूर्व चिंता से भरी है. ऐसे में योग एक दवा के रूप में काम करता है. योग एक व्यक्ति को तनाव का प्रबंधन करने, शरीर की जागरूकता बढ़ाने और मन को शांत करने में भी मदद कर सकता है.

पश्चिम में योग का इतिहास

19वीं शताब्दी के अंत में स्वामी विवेकानंद जैसे भारतीयों द्वारा पश्चिम में योग का प्रचार-प्रसार किया गया और उसके बाद कई योगियों ने इसे पूरी दुनिया में फैलाया.

पश्चिमी बुद्धिजीवियों ने भी ‘योग’ की खोज की, लेकिन 20वीं शताब्दी के मध्य में योग व्यापक तौर पर प्रचलित हुआ. योग को एक विषय के रूप में भी अध्ययन किया जाने लगा, यह भी स्थापित किया जाने लगा कि योग के दीर्घकालिक लाभ थे.

पिछले 50 वर्षों में  योग को दुनिया भर के लाखों लोगों ने अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है. आज, यह दुनिया भर में कई रूपों में प्रचलित है और इसकी लोकप्रियता में वृद्धि जारी है.

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