लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69000 पदों पर शिक्षक भर्ती में इलाहाबाद उच्चन्यायाल की लखनऊ खंडपीठ ने योगी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कहा है कि वह शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को जारी रख सकती है. उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों 69000 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है जिसमें अनियमितताओं और धांधली के कई मामले सामने आए हैं.
लखनऊ खंडपीठ की दो सदस्यीय बेंच ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नौ जून के आदेश को देखते हुए वह अपनी प्रक्रिया जारी रख सकते हैं. इस आदेश के बाद हजारों लोगों की शिक्षकों की भर्ती का मामला अब साफ हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रोॆ की याचिका पर 69000 में से 37000 पदों पर भर्ती रोकने को कहा था. इतने बड़े पैमाने पर चल रही भर्तियों में बड़ी संख्या में धांधली की खबरें भी सामने आ रही हैं.
पुलिस ने इस मामले में परीक्षा के टाॅपर समेत कई गिरफ्तारी भी की हैं.इस भर्ती में धांधली का खुलासा तब हुआ जब एक अभ्यर्थी ने दूसरे की पुलिस में शिकायत की. इसमें प्रयागराज का रहने वाला अभ्यर्थी धर्मेंद्र पटेल शिक्षक भर्ती में टॉपर है उसे 150 में से 142 अंक मिले हैं. शिकायत के बाद जब पुलिस ने पूछताछ की तो वह भारत के राष्ट्रपति का नाम भी नहीं बता पाया.
फिलहाल मामले की जांच एसटीफ (स्पेशल टास्क फोर्स) कर रही है लेकिन बार-बार भर्ती रुक जाने से अभ्यर्थी बेहद नाराज है. अभ्यर्थियों के गुस्से और विपक्ष के सवालों ने योगी सरकार को घेर लिया है. कांग्रेस इसे व्यापम से बड़ा घोटाला बता रही है तो समाजवादी पार्टी इन भर्तियों के लटक जाने का दोषी योगी सरकार को बता रही है.
‘नकल माफिया के हाथों में विभाग’
नाराज अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘बड़े पैमाने पर इस मामले में धांधली हुई है. प्रयागराज के दो सेंटर्स में कई लोगों के एक जैसे नंबर आए हैं.’ एक मामले में तो एक ही पिता के तीन बच्चों के नंबर भी एक बराबर आएं हैं.’
‘ऐसे में ये कैसे संभव है कि बिना धांधली के ये हो रहा हो. अभ्यर्थियों पर अधिकारियों की ओर से दवाब डाला जा रहा है कि इसके खिलाफ मीडिया में न जाएं और न ही किसी तरह की गलत बयानाबजी करें.’वह आगे कहता है.
वहीं एक दूसरे अभ्यर्थी का कहना है, ‘इसमें बड़े नकल माफिया का हाथ है. इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत की भी संभावना है. बिना मिली भगत के इतने बड़े स्तर पर धांधली संभव ही नहीं.’ कुल मिलाकर नुकसान अभ्यर्थियों का ही हो रहा है.
यह भी पढ़ें: कांग्रेस के पास पर्याप्त जनादेश, राज्य सभा की दोनों सीटों पर जीतेंगे: सचिन पायलट
पूरा मामला
दिसंबर 2018 में योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 69000 असिस्टेंट टीचर्स की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली. करीब चार लाख अभ्यार्थियों ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया. एक दिन बाद सरकार की तरफ से कट ऑफ मार्क्स का मानक तय कर दिया गया.
शिक्षक भर्ती की परीक्षा का पेपर 150 नंबर का था. परीक्षा में पास होने के लिए जनरल कैंडिडेट को 150 में से 97 (65%) और रिजर्व्ड कैटेगरी वालों को 150 में से 90 (60%) नंबर लाने थे. इन मानकों के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र हाई कोर्ट चले गए. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शिक्षक भर्ती की कट ऑफ को जनरल के लिए 45 और रिजर्व्ड के लिए 40 फीसदी तय कर दिया.
22 मई, 2019 को योगी सरकार ने इसके खिलाफ डिविजन बेंच में अपील की. 3 मार्च 2020 तक ये सुनवाई चली. 6 मई, 2020 हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने योगी सरकार को राहत देते हुए सरकार द्वारा तय किए गए पुराने कट ऑफ पर ही भर्ती कराने का आदेश दिया. इस बीच योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए काउंसलिंग शुरू कराई. कुछ अभ्यर्थी चार सवालों को गलत बताते हुए फिर कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की. वहीं दूसरी ओर शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को शिक्षक भर्ती केस में सुनवाई करते हुए 69000 हजार पदों में से 37339 पदों को होल्ड करने का आदेश दे दिया. इधर प्रयागराज की स्थानीय मीडिया में परीक्षा में हुई धांधली से संबंधित खबरें छपने लगीं जिसके बाद टाॅपर समेत कई गिरफ्तारियां भी हुई.
अब सरकार ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी है. 2 साल से लटकी चयन प्रकिया में अभ्यर्थी बेहद निराश हैं. सोशल मीडिया पर उनका दर्द भी झलक रहा है.
टाॅपर गिरफ्तार, नहीं पता राष्ट्रपति का नाम
इस मामले में प्रयागराज पुलिस ने राहुल सिंह नाम के व्यक्ति की ओर से मिली शिकायत के बाद बीते मंगलवार टाॅपर धर्मेंद्र पटेल समेत कईयों को गिफ्तार किया. इसमें एक स्कूल प्रबंधक भी शामिल है.
धर्मेंद्र पटेल नामक अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती का टॉपर है वह प्रयागराज का रहने वाला है. उसके कुल 150 में से 142 अंक हैं लेकिन पुलिस की पूछताछ में वह भारत के राष्ट्रपति का नाम नहीं बता पाया.
प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, ‘ये अभ्यर्थी 8 से 10 लाख रुपए देकर पास हुए हैं.’ अभियुक्तों की डायरी में दर्ज जानकारी के आधार पर पुलिस ने कई जगह छापेमारी की है. स्थानीय मीडिया से बातचीत में एएसपी केवी अशोक ने बताया, ‘डायरी में दर्ज नाम व रोल नंबर के आधार पर कई अभ्यर्थियों की तलाश की जा रही है. इसके पीछे पूरा सिंडिकेट हो सकता है.’
यह भी पढ़ें: मोदी सरकार कार्यालयों, स्कूलों, चिकित्सा क्लीनिकों के लिए ज़ूम, गूगल मीट जैसे एप की तलाश कर रही है
कांग्रेस इसे व्यापम की तरह का घोटाला बता रही है
कांग्रेस महासचिव व यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए और कर कहा, ‘69000 शिक्षक भर्ती घोटाला उप्र का व्यापम घोटाला है. इस मामले में गड़बड़ी के तथ्य सामान्य नहीं हैं.’
69000 शिक्षक भर्ती घोटाला उप्र का व्यापम घोटाला है। इस मामले में गड़बड़ी के तथ्य सामान्य नहीं हैं। डायरियों में स्टूडेंट्स के नाम, पैसे का लेनदेन, परीक्षा केंद्रों में बड़ी हेरफेर, इन गड़बड़ियों में रैकेट का शामिल होना – ये सब दर्शाता है कि इसके तार काफी जगहों पर जुड़े हैं। 1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 8, 2020
उन्होंने आगे लिखा, ‘डायरियों में स्टूडेंट्स के नाम, पैसे का लेनदेन, परीक्षा केंद्रों में बड़ी हेरफेर, इन गड़बड़ियों में रैकेट का शामिल होना- ये सब दर्शाता है कि इसके तार काफी जगहों पर जुड़े हैं. मेहनत करने वाले युवाओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. सरकार अगर न्याय नहीं दे सकी तो इसका जवाब आंदोलन से दिया जाएगा.’
एक दूसरे ट्वीट में प्रियंका ने स्थानीय चैनल की क्लिप साझा करते हुए कहा है, ‘लाखों युवाओं ने परीक्षा दी, लाखों ने नौकरी की आस लगाई, लाखों ने साल भर इंतजार किया. भाजपा सरकार की नाक तले ये महाघोटाला सिस्टम में बैठे लोगों की सांठगांठ से होता रहा. साल भर इसे दबाए रखा. अब सरकार को परीक्षा में शामिल हुए मेहनती छात्रों व सफल हुए लोगों को जवाब देना ही होगा.’
दरअसल स्थानीय चैनल ने दावा किया है कि एक निजी कंपनी का हाथ इस धांधली में है जिसमें सभी उत्तर काॅपियां स्कैन की गई और उसके बाद धांधली की गई. इसके पीछे एक बड़ा नकल रैकेट है.
कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ’69 हज़ार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शुरू से अभ्यर्थियों के साथ धोखा हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग में एक बड़ा नेटवर्क चल रहा है. सरकार की नाक के नीचे ऐसा हो रहा है और मुख्यमंत्री चुप हैं. कांग्रेस इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है ताकि इसमें न्याय हो. ये व्यापम की तरह का घोटाला है.’
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भर्ती प्रक्रिया लटकने का दोषी योगी सरकार को बताया है तो वहीं मायावती ने पूरे मामले की सीबाआई जांच की मांग की है.
सरकार का तर्क- जांच में सामने आ जाएगा सच
यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश कुमार द्विवेदी ने कहा है, ‘मामले की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया है. अब तक 11 आरोपी भी गिरफ्तार किए गए हैं.’
यह भी पढ़ें: कपिल मिश्रा से लेकर पायल रोहतगी तक भारत के ‘नए बुद्धिजीवी’ पुराने चिंतकों को अप्रसांगिक बना रहे हैं
प्रयागराज में उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीति कर भर्ती प्रक्रिया को रोकने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि इतने साफ-सुथरे ढंग से हुई भर्ती उन्हें हजम नहीं हो पा रही है.
मंत्री के मुताबिक, योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है. इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए कई गिरफ्तारी हुई हैं. अब जांच एसटीएफ को सौंप दी गई है, जल्द ही सारी सच्चाई जनता के सामने होगी.