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Friday, 22 November, 2024
होमदेशखाली ट्रेनों को चलाने का कोई मतलब नहीं: रेलवे बोर्ड के प्रमुख ने कहा अभी और पैसेंजर ट्रेनों की जरूरत नहीं

खाली ट्रेनों को चलाने का कोई मतलब नहीं: रेलवे बोर्ड के प्रमुख ने कहा अभी और पैसेंजर ट्रेनों की जरूरत नहीं

दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने यह भी कहा कि श्रमिक ट्रेनों का इस्तेमाल प्रवासियों को वापस लाने के लिए नहीं किया जाएगा और श्रमिकों को टिकट के लिए नियोक्ताओं पर निर्भर होना होगा.

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नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने प्रभावी रूप से यात्री ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने और श्रमिक विशेष ट्रेनों से प्रवासियों को शहरों में वापस भेजने से इनकार कर दिया है.

दिप्रिंट को एक टेलीफोनिक साक्षात्कार में यादव ने कहा कि 1 जून से नियमित यात्रियों को घर ले जाने के लिए चलने वाली विशेष रेलगाड़ियां केवल 60 प्रतिशत की अपनी क्षमता पर चल रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘अभी जो 230 विशेष ट्रेनें चल रही हैं,  पूरी तरह से भर नहीं रही हैं. लगभग 60 प्रतिशत ही भरी है.’ उन्होंने कहा, ‘जब वे पूरी तरह से भरना शुरू हो जाएंगी तो हम और ट्रेनें चलाएंगे. तब तक, खाली ट्रेनों को जोड़ने का कोई मतलब नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अभी, हमारी सलाह के मुताबिक हम लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि यदि आवश्यक हो तो ही यात्रा करें.’

यादव ने यह भी कहा कि श्रमिक ट्रेन, जो प्रवासी श्रमिकों के लिए हैं, को उनके गृहनगर से उन शहरों में वापस लाने के लिए नहीं लगाया जायेगा, जहां वे काम करते हैं.

यादव ने कहा, ‘जो लोग अपने गांवों से शहरों में काम करने के लिए वापस जा रहे हैं, वे अपने नियोक्ताओं के आश्वासन के आधार पर ऐसा करेंगे. इसलिए, नियोक्ता टिकट के लिए भी भुगतान कर सकते हैं. श्रमिक गाड़ियों को रिवर्स माइग्रेशन के लिए नहीं चलाया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘जो लोग अपने गृहनगर से गांवों में जाना चाहते थे, वे फंसे हुए थे. हालांकि, जब वे शहरों में वापस जा रहे हैं, तो उन्हें नियोक्ताओं के आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए.’

इसके विपरीत रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को दिप्रिंट को यह बताया है कि श्रमिक ट्रेनें राज्यों की मांगों पर ध्यान दिए बिना चलेंगी चाहे प्रवासी अपने घरों के लिए यात्रा कर रहे हों या शहरों में जहां वे काम करते हैं.

जब तक राज्य उनसे अनुरोध करते हैं, तब तक ट्रेनें चलती रहेंगी 

हालांकि, यादव ने दोहराया कि श्रमिक ट्रेनें तब तक चलती रहेंगी, जब तक कि राज्य फंसे प्रवासियों को अपने गृहनगर पहुंचाने के लिए अनुरोध भेजते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने बार-बार कहा है कि श्रमिक ट्रेनें तब तक चलाई जाएंगी, जब तक कि राज्यों से अनुरोध मिलता रहेगा.’

यादव ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को मंगलवार को भेजे पत्र में कहा है कि 10 जून तक राज्यों को ‘अपने राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों से फंसे हुए श्रमिकों के मूवमेंट के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों की व्यापक अवशिष्ट मांग’ के बारे में रेलवे को सूचित करना चाहिए.

जैसा कि दिप्रिंट द्वारा बताया गया है 6 जून तक राज्यों ने 171 और श्रमिक गाड़ियों की आवश्यकता का संकेत दिया था.

यादव ने कहा कि पंजाब जैसे कुछ राज्यों ने अपने काम के स्थानों पर प्रवासियों को वापस लाने के लिए रेलवे को श्रमिक ट्रेनें चलाने के लिए कहा है, लेकिन रेलवे उन मांगों पर ध्यान नहीं देगा.

उन्होंने कहा, ‘हमारे द्वारा चलाए जा रहे 230 विशेष यात्री ट्रेनों की योजना एक तरीके से बनाई गई है, जिसमें वे एक व्यापक नेटवर्क को कवर करते हैं, और हर रूट पर ट्रेनें हैं. यह विचार लोगों को विश्वास दिलाने के लिए है कि अगर उन्हें देश के किसी भी स्थान पर जाने की आवश्यकता है, तो वे एक ट्रेन में सवार हो सकते हैं. प्रवासी एक ही ट्रेन का उपयोग कर सकते हैं और उनके नियोक्ता टिकट के लिए भुगतान कर सकते हैं.’

वर्तमान में, राज्य वापस घर जाने वाले प्रवासियों के टिकट के लिए भुगतान करते हैं.

प्रवासी मृत्यु पर डेटा प्रारंभिक: यादव

श्रमिक ट्रेनों में सवार 80 प्रवासियों की मृत्यु पर बोलते हुए यादव ने कहा, जो डेटा रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा संकलित किया गया था वह प्रारंभिक था और उसके आधार पर निष्कर्ष निकालना ‘गलत’ होगा.

यादव ने कहा, ‘रेलवे संबंधित राज्यों के संपर्क में है और जांच अभी भी जारी है क्योंकि बहुत सारे राज्य हैं लेकिन हमारे प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि मरने वाले अधिकांश यात्री पूर्व-चिकित्सा इतिहास था.’

यादव ने पूछा कि ‘यह कैसे संभव है कि एक ट्रेन में 1,000 से अधिक यात्री जा रहे हों और भोजन की कमी के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाए? मैं पूरी दृढ़ता के साथ कह सकता हूं कि 99 प्रतिशत मामलों में, ट्रेनों में समय पर और पर्याप्त मात्रा में भोजन की आपूर्ति की गई थी. एक प्रतिशत मामलों में कुछ देरी हुई होगी, लेकिन लोगों को ये समझना होगा कि हम किन परिस्थितियों में काम कर रहे थे.’

उन्होंने कहा, ‘सुधार की गुंजाइश है, लेकिन 12 लाख रेलवे कर्मचारियों, जिन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों में काम किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लगभग 60 लाख प्रवासी कामगार घर पंहुच सके, के मनोबल का सम्मान किया जाए.’

यादव ने कहा कि श्रमिक ट्रेनों में 36 प्रसव के मामले थे. अगर रेलवे के डॉक्टर और नर्स एक पैर पर नहीं होते तो यह कैसे संभव हो सकता था? 60 लाख प्रवासियों को उनके घरों में वापस पहुंचना कोई छोटा सा मिशन नहीं है. केवल रेलवे कर्मचारियों के प्रयासों के कारण ही ऐसा हुआ हैं.

रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन और आठ रेलवे सेवाओं के विलय जैसे लंबित रेलवे सुधारों के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, ‘काम जारी है. यह कोविड-19 की स्थिति के कारण बंद हो गया था, लेकिन अगले दो महीनों के भीतर, कुछ होना चाहिए. लेकिन निश्चित रूप से, सब कुछ कोविड की स्थिति पर निर्भर करता है.’

उन्होंने कहा,’अभी, हमारी प्राथमिकताएं आवश्यक वस्तुओं के परिवहन पर हैं, श्रमिक स्पेशल चलाने और उन लोगों को सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता है जो यात्रा करना चाहते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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