जम्मू: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में पिछले 24 घंटों में दो बैक-टू-बैक ऑपरेशन में नौ आतंकवादी मारे गए हैं, इस ऑपरेशन के बाद इस साल केंद्र शासित प्रदेश में मारे गए आतंकवादियों की कुल संख्या 93 तक हो गई है.
सुरक्षा बलों ने पिछले दो मुठभेड़ों में मारे गए आतंकवादियों की पहचान या आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी है.
सुरक्षा बलों के आंकड़ों के अनुसार, 93 आतंकवादियों में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिशों के दौरान मारे गए लोगों को भी शामिल किया गया. आंकड़ों से पता चलता है कि मारे गए लोगों में से 77 स्थानीय आतंकवादी थे जबकि 10 विदेशी थे. जबकि छह की पहचान नहीं हो सकी वह अज्ञात रहे.
9 #terrorists including two commanders neutralised in less than 24 hrs. Proud of #Team Kashmir which includes JKP and SFs. Vijay Kumar, IGP Kashmir. @JmuKmrPolice
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) June 8, 2020
सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘विदेशी आतंकवादी घाटी में मौजूद हैं, लेकिन फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई को रोकने के लिए बाहर नहीं आ रहे हैं.
आतंकवादी मारे भी गिरफ्तार भी किए- दिलबाग सिंह
जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में इस वर्ष अब तक कई शीर्ष कमांडर समेत 88 आंतकवादी मार गिराए गए और 280 अन्य गिरफ्तार किए गए.
सिंह ने कहा कि पिछले दो सप्ताह में छह शीर्ष कमांडर समेत 22 आतंकवादी मारे गए, जोकि पाकिस्तान और इसकी एजेंसियों के लिए करारा झटका है क्योंकि वे सीमा पार से बड़ी संख्या में आंतकवादियों को भेजकर हिंसा में बढ़ावा देने का कोई अवसर नहीं छोड़ता है.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ पाकिस्तान से मुकाबला करने के लिए हमारी रणनीति दोतरफा है, जिसमें नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ को नाकाम करना और उन लोगों से निपटना जो भीतरी इलाकों में सक्रिय हैं, इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को आंतकी संगठनों में शामिल होने से रोकना है. शुक्र है कि हम इस प्रयास में काफी हद तक सफल हैं.’
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में पिछले 24 घंटे में एक के बाद एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के नौ आतंकवादी को मार गिराने के कामयाब अभियान का हवाला देते हुए पुलिस प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा बलों का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर से आंतकवाद का सफाया करना है.
उन्होंने कहा कि चेनाब घाटी के रामबन, डोडा और किश्तवाड़ जिला एक बार फिर लगभग आतंकवाद मुक्त हो गए हैं.
हालांकि इस वर्ष लगभग 30 सुरक्षाकर्मियों ने भी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में या आतंकवादी समूहों के हमलों में अपनी जान गंवाई है. इन मौतों में सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल हैं.
सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद विरोधी और घुसपैठ विरोधी अभियानों में कुल 14 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं.
मारे गए प्रमुख आतंकवादियों में हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख रियाज नाइकू शामिल हैं, जिसने लंबे समय तक सुरक्षा बलों को परेशान किया था.
6 मई को उनकी मौत सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता थी. बाद में 19 मई को आतंकी समूह के नवनियुक्त उप प्रमुख, तहरीक-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के बेटे जुनैद सेहराई को सुरक्षा बलों ने एक ऑपरेशन में मार गिराया था.
किस महीने में कितने आतंकी हुए ढेर
आंकड़ों पर नजर डालें तो, जनवरी में 18 आतंकियों को सेना ने मार गिराया जबकि फरवरी और मार्च में यह संख्या घटकर सात हो गई. अप्रैल में, 28 आतंकवादी मारे गए, जबकि आंकड़ा मई में 18 पर पहुंच गया था.
सोमवार तक, जून में कुल 15 आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें पिछले 24 घंटों में नौ मारे गए हैं.
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि मारे गए आतंकवादियों में सबसे ज्यादा संख्या हिज्बुल मुजाहिदीन की है, उसके बाद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद – सभी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूह से ताल्लुक रखते हैं.
हालांकि सुरक्षा बलों ने अपने आंकड़ों में समूह द रेसिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख नहीं किया है, जिसने कई हमलों की जिम्मेदारी ली है और यहां तक कि मारे गए आतंकवादियों के शवों को भी अपने कैडर के रूप में पहचानने का दावा किया है.
(स्नेहेश एलेक्स फिलिप और भाषा के इनपुट्स के साथ)