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Friday, 22 November, 2024
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तबलीग़ी जमातियों के गुजरात में घुसते ही जंगल की आग की तरह फैला कोविड: सीएम रूपाणी

विजय रूपाणी ने गुजरात में कोविड मामलों की भारी संख्या और ऊंची मृत्यु दर, घटिया वेंटिलेटर्स, और अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने पर बात की.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने, कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ़, राज्य सरकार के द्वारा ढिलाई बरते जाने के आरोपों को ख़ारिज किया है, और राज्य में कोविड मामलों में बढ़ोत्तरी के लिए, अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों और तबलीग़ी जमात में शामिल होने वाले लोगों पर दोष मढ़ा है.

गुजरात में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, और फिलहाल 15,000 से अधिक मामलों के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली के बाद देशभर में चौथे स्थान पर है. 28 मई तक यहां 960 मौतें दर्ज हो चुकी हैं.

जब उनसे मुस्लिम समुदाय में व्याप्त इस एहसास के बारे में पूछा गया, कि तबलीग़ी जमात का मुद्दा उठाकर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, तो रूपाणी ने कहा कि जमात की मीटिंग में शामिल हुए लोगों के, गुजरात में दाख़िल होने के बाद ही ‘कोविड-19 जंगल की आग की तरह फैल गया.’

रूपानी ने कहा, ‘कोविड-19 के गुजरात में दाख़िल होने के बाद से, हमारा लक्ष्य ये सुनिश्चित करना रहा है कि किसी भी जाति या समुदाय हो सभी वर्गों का कल्याण हो. मैं आपको ये तथ्य याद दिला दूं कि दिल्ली में तबलीग़ी जमात के जमावड़े से पहले, गुजरात में कोविड-19 का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ था.’


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मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘जमात में शामिल होने वाले लोग जब गुजरात में दाख़िल हुए, तो कोविड-19 इन्फेक्शन जंगल की आग की तरह फैल गया. आंकड़े इस बात का सबूत हैं. कोविड-19 से प्रभावित लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को ट्रेस करने के बाद ही हम इस नतीजे पर पहुंचे, कि काफी मामले, जमात में शामिल लोगों की वजह से हुए.

उन्होंने कहा, ‘साथ ही जमात के बहुत से लोगों ने अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई, और प्रशासन के साथ सहयोग नहीं किया. इसकी वजह से हमें उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई करनी पड़ी.’

अकेले अहमदाबाद शहर में 11,000 से अधिक मामले हैं, और 760 से अधिक मौतें हो चुकीं हैं, जिसकी वजह से मुम्बई और दिल्ली के बाद, ये एक प्रमुख हॉटस्पॉट बन गया है. रूपाणी ने अधिकतर मामलों के लिए, दिल्ली में हुई जमात की मीटिंग को ही ज़िम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ‘अहमदाबाद में लगभग 75 प्रतिशत मामले, शहर के 25 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र से हैं. ये 25 प्रतिशत वॉल्ड सिटी एरिया में हैं, और इनमें अधिकतर वो लोग हैं, जो दिल्ली में तबलीग़ी जमात के जमावड़े में शरीक हुए थे.’

रूपाणी ने ज़ोर देकर कहा, ‘मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस मुद्दे से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा रहा. ऐसे नाज़ुक समय में जमात के सदस्यों ने, ज़िम्मेदारी का बर्ताव नहीं किया है, और हर कोई इसकी बात कर रहा है. साढ़े छ: करोड़ गुजराती हमारे भाई-बहन हैं, और हम किसी के साथ जाति, मत या धर्म आदि के आधार पर भेदभाव या पक्षपात नहीं करते.’

इन्फेक्शंस की दो लहरें

गुजरात में कोविड मामलों की पहली लहर मार्च में, अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के पहुंचने के साथ सामने आई थी, और रूपाणी ने कहा कि इसका कारण गुजरात के लोगों का अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव था.

रूपाणी ने कहा, ‘गुजरात के लोग अपने कारोबारी और उद्यमी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, और पूरी दुनिया में उनका एक मज़बूत प्रवासी नेटवर्क है. 25 मार्च को जब तक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बंद होतीं, तब तक बड़ी संख्या में लोग अपने प्रदेश लौटकर आ चुके थे. मामलों की पहली खेप इन्हीं लोगों के ज़रिए दर्ज हुई. एयरपोर्ट पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई, और उन्हें 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखा गया.’

सीएम ने आगे कहा कि मामलों की दूसरी खेप उन लोगों के ज़रिए आई, जो दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में हुई, तबलीग़ी जमात की मीटिंग में शरीक होने के बाद, गुजरात में दाख़िल हुए.

उनका तर्क था, ‘ये एक चुनौती बन गया, क्योंकि इन लोगों ने न सिर्फ अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई, बल्कि गुजरात लौटने के बाद बहुत सारे लोगों से मुलाक़ात भी की. दिल्ली के इस आयोजन में शरीक होकर गुजरात लौटने वाले ज़्यादातर लोग, अहमदाबाद शहर के 600 साल पुराने वॉल्ड सिटी में रहते हैं, जो बहुत घनी आबादी वाला इलाक़ा है.’

रूपाणी ने कहा कि संक्रमित लोगों का पता लगाने, और उनकी पहचान करने के लिए सरकार ने, ‘गहन निगरानी’ और ‘आक्रामक टेस्टिंग’ का बीड़ा उठाया. इसके लिए 750 स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम, लगातार 7 दिन तक अहमदाबाद की सड़कों पर रही.

उन्होंने कहा, ‘साथ ही हमने इन इलाक़ों में कर्फ्यू भी लगा दिया, ताकि केंद्रित टेस्टिंग कर सकें, और इन्फेक्शन को फैलने से रोक सकें. इन क़दमों से हमें अहमदाबाद में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या को सीमित करने में सहायता मिली.’


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ऊंची मृत्यु दर

गुजरात में ऊंची मृत्यु दर पर रूपाणी ने बताया, मौतों के विस्तृत विश्लेषण से पता चला कि कोविड-19 से मरने वाले 60 प्रतिशत लोगों को, दूसरी बीमारियां भी थीं, जैसे हाइपरटेंशन, हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज़, और दिल आदि की बीमारियां. ये भी देखा गया कि सरकारी अस्पतालों में भर्ती हुए अधिकतर लोग या तो गंभीर हालत में थे, या उन्हें सख़्त इन्फेक्शन था. इन कारणों से भी मृत्यु दर में इज़ाफ़ा हुआ.

मुख्यमंत्री ने बताया कि गुजरात में मरीज़ों के डिस्चार्ज की दर 45 प्रतिशत से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है.

रूपाणी ने कहा, ‘ऐसे समय में, जब दुनिया भर की सरकारें कोविड-19 को फैलने से रोकने में तत्परता से जुटी हैं, संख्या का उतना महत्व नहीं होता. कोरोनावायरस एक वैश्विक महामारी है और हमें तुलना के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए. महत्वपूर्ण ये है कि सरकार किस रणनीति से इसे फैलने से रोकती है, और बेहतरीन मेडिकल सुविधाओं के ज़रिए अपने लोगों को बचाती है.’

उन्होंने समझाया कि राज्य ने मार्च के शुरू से ही, स्थिति से निपटने की तैयारी कर ली थी, जब कोविड-19 का पहला केस भी दर्ज नहीं हुआ था.

रूपाणी ने कहा, ‘रोक-थाम के उपायों के तहत, हमने क़रीब 20,000 अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को स्क्रीन किया था; उनकी ट्रैवल हिस्ट्री का पता किया गया, और उन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया.’

रूपाणी ने बताया, ‘कोविड-19 के लिए समर्पित अस्पताल खोलने वाला, गुजरात भारत का पहला राज्य था. हमने थोड़े से समय में 2200 बेड्स के अस्पताल तैयार कर दिए (1200 बेड्स अहमदाबाद में, 500 सूरत में, और 250-250 राजकोट व वडोदरा में). साथ ही हमने ऐलान किया कि हर ज़िले में, 100 बेड की क्षमता वाले कोविड-19 समर्पित अस्पताल स्थापित किए जाएंगे.’

उन्होंने बताया, ‘आज हमारे पास कोविड समर्पित अस्पतालों में 12,000 आइसोलेशन बेड्स, और कोविड हेल्थ सेंटर्स में 4,500 बेड्स हैं. हमने कोविड समर्पित हेल्थ सेंटर्स भी विकसित किए हैं, जिनमें 26,000 से अधिक बेड्स हैं.’

सब्ज़ी व फल विक्रेता हैं ‘सुपर-स्प्रैडर्स’

गुजरात ने सब्ज़ी व फल विक्रेताओं को कोविड-19 के ‘सपुर-स्प्रेडर्स’ की श्रेणी में रखा है, और मुख्यमंत्री के मुताबिक़ ऐसा इसलिए किया गया, जिससे ‘उनकी केंद्रित टेस्टिंग हो सके, और लॉकडाउन के दौरान उनकी ख़ैरियत सुनिश्चित की जा सके.’

रूपाणी ने कहा, ‘चूंकि अपने धंधे के सिलसिले में ये लोग, हर रोज़ बहुत से लोगों से मिलते हैं, इसलिए हमने इन्हें एक श्रेणी में रख दिया ताकि अगर इन्फेक्शन हो, तो उसे फैलने से रोका जा सके. इसलिए हमने 8 मई से 15 मई के बीच एक हफ्ते के लिए, सब्ज़ियों, फलों और परचून की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी, ताकि एक हफ्ते तक गहन टेस्टिंग की जा सके.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमने 33,000 से अधिक लोगों को स्क्रीन किया, सब्ज़ी व फल विक्रेताओं के 6,500 से ज़्यादा नमूने लिए, जिनमें से 709 पॉज़िटिव पाए गए लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है, कि शहर में कम्युनिटी ट्रांसमिशन है.’

गुजरात में बढ़ते मामलों से चिंतित होकर, केंद्र सरकार ने एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया की अगुवाई में, एक दल स्वास्थ्यकर्मियों की सहायता करने के लिए गुजरात भेजा. रूपाणी ने दौरे को कामयाब बताया, और कहा कि टीम ने सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए कहा, ‘इलाज के हमारे प्रोटोकॉल्स, एम्स में अपनाए जा रहे प्रोटोकॉल्स के बराबर ही हैं.’


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‘घटिया’ वेंटिलेटर्स

‘घटिया’ वेंटिलेटर्स के इस्तेमाल को लेकर गुजरात सरकार आलोचनाओं के घेरे में आई, और विपक्षी कांग्रेस ने ‘धमन-1’ वेंटिलेटर्स के इस्तेमाल की न्यायिक जांच की मांग की.

लेकिन रूपाणी ने वेंटिलेटर के चयन का ये कहकर बचाव किया, कि ‘धमन-1’ के निर्माता ने ज़रूरी ट्रायल्स के लिए मिचिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से नक़ली लंग्स मंगाए थे, जो ऐसे लंग्स बनाने वाली अकेली निर्माता है, और ये ट्रायल्स कामयाब साबित हुए थे.

सीएम ने कहा, ‘मध्यम लक्षणों वाले मरीज़, जिन्हें सांस लेने में परेशानी होती है, उन्हें ऑक्सीजन देने के लिए हम अक्सर एक सामान्य वेंटिलेटर इस्तेमाल करते हैं. ऐसे मामलों के लिए ‘धमन-1’ सक्षम होता है. जो मरीज़ ज़्यादा गंभीर होते हैं, उन्हें उन्नत वेंटिलेटर्स पर रखा जाता है, और फिलहाल हमारे पास गंभीर मरीज़ों के इलाज के लिए, ऐसे उन्नत वेंटिलेटर्स पर्याप्त संख्या में हैं.’

रूपाणी ने बताया, ‘फिलहाल हमारे पास राज्य में 1600 से अधिक उन्नत क़िस्म के वेंटिलेटर्स हैं लेकिन सबसे ख़राब हालात की संभावना को देखते हुए, हम ऐसे और वेंटिलेटर्स हासिल करने की प्रक्रिया में हैं. अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए हम ‘धमन-3’ को हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जो ‘धमन-1’ का एक उन्नत रूप है.’

आर्थिक उपाय

रूपाणी ने कहा कि गुजरात सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए, कई क़दम उठाने शुरू किए हैं, क्योंकि कोविड-19 और लॉकडाउन का राजस्व पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

उन्होंने विस्तार से बताया, ‘लॉकडाउन के दूसरे चरण में हमने सामान्य हालात बहाल करने शुरू कर दिए. 15 अप्रैल से हमने पूरे राज्य की कृषि मंडियों को चरणबद्ध तरीक़े से खोलना शुरू कर दिया. इस फैसले से हम किसानों की चिंताओं को कम कर पाए, जिनकी फसलें कट चुकी थीं और जो बाज़ार खुलने के इंतज़ार में थे. अभी तक 140 से अधिक एपीएमसी मंडियों में, किसान 64 लाख टन से ज़्यादा उपज बेच चुके हैं.’

सीएम ने कहा, ’20 अप्रैल से हमने नगर निगम सीमाओं से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में, औद्योगिक इकाइयों में फिर से काम शुरू कराने का फैसला किया. शहरों के कंटेनमेंट ज़ोन्स के बाहर, निर्यात उन्मुख औद्योगिक इकाइयों को भी, 25 अप्रैल के बाद काम शुरू करने की अनुमति दे दी गई.’

रूपाणी ने आगे कहा, ‘अगले चरण में 3 मई से हमने, 156 नगर निकायों और जामनगर व जूनागढ़ ज़िलों में, छोटे कारोबार और दुकानें खोलने की अनुमति दे दी. 14 मई के बाद से राजकोट में भी, छोटे कारोबार और दुकानें खोलने की छूट दे दी गई.’

रूपाणी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी, तो गुजरात ने भी मिशन में अपना योगदान दिया.

उन्होंने कहा, ‘हमने 5,000 करोड़ का आत्म-निर्भर गुजरात सहाय पैकेज शुरू किया है,’ और आगे कहा कि राज्य सरकार छोटे व्यापारियों, दुकान मालिकों और बारबर्स आदि को एक लाख रुपए तक के लोन मुहैया कराएगी.

रूपाणी ने कहा, ‘उन्हें 2 प्रतिशत ब्याज देना होगा, और बाक़ी 6 प्रतिशत राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा. इन क़दमों से कोविड-19 के बाद, अर्थव्यवस्था को फिर से चालू करने में बहुत मदद मिलेगी.’


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प्रवासी संकट

गुजरात में प्रवासी संकट की स्थिति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस समय पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हुआ, उनकी सरकार जानती थी कि मज़दूरों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा, ‘उनके हित को सुनिश्चित करने के लिए, हमने कम्पनियों को निर्देश दिया था कि उनकी नौकरियां न छीनें, और उन्हें समय से मज़दूरी अदा करें. इसके लिए श्रम व रोज़गार विभाग ने, अप्रैल 2020 के महीने के लिए, 1,000 करोड़ रुपए मज़दूरी के रूप में वितरित कराने में मदद की.’

रूपाणी ने ये भी कहा, ‘जब वो अपने मूल राज्यों को जाना चाहते थे, तो हमने उनके लिए आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकॉल्स के हिसाब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं, जिनमें, पेयजल और भोजन की सुविधा थी. मुझे इस बात को साझा करने में ख़ुशी है कि 25 मई तक भारत की कुल श्रमिक ट्रेनों में से, आधी से अधिक ट्रेनों का इंतज़ाम गुजरात ने किया. 13 लाख से अधिक प्रवासी, 885 ट्रेनों के ज़रिए अपने अपने प्रदेश को जा चुके हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. If You still thinks that The Tablighi Spread the Covid -19 then God Bless you the sane. he never mentioned about Namste Trump. where lakhs of foreigner participated . what about the Airport from where the covid -19 spreaded. In maharashtra there is no Tabligh Connection

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