लखनऊ : कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जेल में हैं, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं में इसको लेकर उबाल नहीं दिख रहा है. लल्लू की गिरफ्तारी के विरोध में ‘खानापूर्ति’ वाले विरोध प्रदर्शन और प्रेस कॉन्फ्रेंस तो पार्टी की ओर से की गईं. लेकिन पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से इस पर कोई बयान तक नहीं आया.
योगी सरकार और यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी के बीच हुए बस विवाद में जेल गए अजय लल्लू के समर्थन में प्रियंका ने तो दो ट्वीट किए, लेकिन यूपी के कई सीनियर नेता इस मुद्दे पर या तो चुप्पी साधे दिखे या फिर किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन करने से बचते रहे. प्रदेश अध्यक्ष के प्रति ऐसे रुख से दूसरे दल हैरान हैं. समाजवादी पार्टी के एक एमएलसी (नाम न छापने की शर्त पर) का कहना है कि ‘अगर हमारे प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी हुई होती तो ईंट से ईंट बजा देते. प्रदेश अध्यक्ष गिरफ्तार होता तो क्या घर बैठ जाते.’
वहीं यूपी बीजेपी के एक नेता का कहना है, ‘हमारे प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी होती तो अब तक पूरे प्रदेश में जेल भरो आंदोलन कर देते. बाकि वरिष्ठ नेताओं व विधायकों को भी लल्लू के समर्थन में गिरफ्तारी देनी चाहिए.’
‘पार्टी कार्यालय’ में धरना प्रदर्शन व प्रेस कॉन्फ्रेंस
लल्लू की गिरफ्तारी के विरोध में यूपी कांग्रेस के मुख्यालय व राज्य मुख्यालयों में छोटे-छोटे धरना प्रदर्शन चल रहे हैं लेकिन सड़क पर विरोध करते कोई नहीं दिख रहा है. लल्लू के समर्थन में सांसद पीएल पुनिया, पूर्व सांसद राजीव शुक्ला, बृजलाल खाबरी, सीएलपी लीडर अराधना मिश्रा, राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्प्रेंस की हैं, जिसमें सरकार से रिहाई की मांग की है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की गिरफ्तारी के खिलाफ व वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमों के खिलाफ प्रदेश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन। pic.twitter.com/uHxZFwOdTr
— UP Congress (@INCUttarPradesh) May 27, 2020
पार्टी के यूपी उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी का कहना है कि धरना प्रदर्शन करने के लिए जब कुछ जिलों में नेताओं व कार्यकर्ताओं ने निकलने की कोशिश की तो उन पर लॉकडाउन का उल्लंघन के आरोप में मुकदमे दर्ज कर लिए गए. इसी कारण सब कार्यालय या घर पर सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसका फेसबुक लाइव भी किया जा रहा है. इसके अलावा राज्यपाल को ज्ञापन भी ई-मेल किया गया है. वीरेंद्र के मुताबिक कोरोना महामारी के इस दौर में लॉकडाउन के नियमों को ध्यान में रखना भी जरूरी है.
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लल्लू तो बिना गलती के फंस गए?
पार्टी से जुड़े सूत्र इसकी अलग ही वजह बताते हैंं. उनका कहना है कि अजय लल्लू बिना गलती के ही इस विवाद में फंस गए. दरअसल अजय लल्लू को आगरा में गिरफ्तार किया गया, जहां वह कांग्रेस की बसों को इजाजत न मिलन पर प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे. अगले ही दिन लल्लू को इस मामले में जमानत मिल गई, लेकिन आगरा से ही लखनऊ पुलिस ने जाकर लल्लू को दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया.
दरअसल 20 मई को अजय लल्लू व प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह के खिलाफ बसों के फर्जी डॉक्यूमेंट पेश करने के मामले में लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में पुलिस ने लल्लू को आगरा से ही गिरफ्तार कर लखनऊ लाकर जेल में बंद कर दिया.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक संदीप सिंह भी उस दिन आगरा में थे. वे बस ड्राइवरों के वीडियो बना रहे थे. लेकिन गिरफ्तारी केवल अजय लल्लू की हुई.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, ‘लल्लू की गिरफ्तारी समझ से परे हैं. लल्लू तो उस ई-मेल कन्वर्सेशन का हिस्सा भी नहीं थे, जो यूपी सरकार के अधिकारी व प्रियंका गांधी के ऑफिस के बीच चल रहा था, न ही लल्लू ने सरकार के किसी अधिकारी से इस बारे में बात की उनका नाम इस एफआईआर में जबरदस्ती घसीटा गया.’
वहीं पार्टी के एक युवा नेता के मुताबिक, ‘अगर राज बब्बर, प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद जैसे किसी अन्य सीनियर लीडर की गिरफ्तारी होती तो अभी पूरी पार्टी उन्हें बचाने में जुट जाती. पार्टी के पास सीनियर वकीलों की फौज है, उसे लगा दिया जाता. लेकिन लल्लू को लेकर पार्टी का रुख निराशाजनक है. हालांकि इसका प्रमुख कारण यूपी कांग्रेस में चल रही अंदरूनी राजनीति भी है. यूपी से जुड़े सारे फैसले तो ‘ऑफिस ऑफ़ प्रियंका गांधी’ लेता है. लल्लू जी को फैसले लेने की अभी तक पाॅवर ही नहीं दी गई. यही कारण है कि उनकी छवि मजबूत प्रदेश अध्यक्ष की नहीं बन पाई. जबकि वह बहुंत संघर्ष करके यहां तक पहुंचे हैं.’
बता दें है कि बीती 16 मई को प्रियंका गांधी की ओर से श्रमिकों के लिए नोएडा-गाजियाबाद से 1000 बसें कांग्रेस के खर्च पर यूपी में चलाने का प्रस्ताव दिया गया था. इस प्रस्ताव को स्वीकारते हुए 18 मई को यूपी सरकार की ओर से बस से संबंधित तमाम डिटेल्स व फिटनेस सर्टिफिकेट मांगे गए. सभी डिटेल्स देने के बाद यूपी सरकार की ओर से 463 बसों को फर्जी बताया गया. कांग्रेस की ओर से 500 से अधिक बसें राजस्थान-आगरा बॉर्डर व 300 बसेंं दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर खड़ी कर दी गईं, लेकिन प्रशासन ने आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद अजय लल्लू की गिरफ्तारी हो गई.
Having lived a life of struggle, perseverance and grit, UP Congress President Shri. Ajay Kumar Lallu knows well the suffering of displaced and marginalised people. He has fought for them steadfastly throughout his career.#ReleaseAjayLallu pic.twitter.com/Viqe7PX8jp
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 26, 2020
बीते मंगलवार प्रियंका ने लल्लू के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने संघर्षशील जीवन बिताकर राजनीतिक मुकाम हासिल किया है. 19 मई को यूपी सरकार ने जिस दुर्भावना के साथ उन्हें जेल में डाला है, वो साफ दर्शाता है कि विपक्ष के सकारात्मक सेवाभाव को यूपी सरकार द्वारा ठुकराया और दबाया जा रहा है. यूपी सरकार के दबाव के आगे अजय कुमार लल्लू नहीं झुकेंगे और कांग्रेस पार्टी का काम नहीं रुकेगा. जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तब तक यूपी कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता उनके लिए आवाज उठाएगा और संघर्ष जारी रखेगा.’
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प्रियंका के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी लल्लू की गिरफ्तारी के विरोध में ट्वीट किया. लेकिन आरपीएन सिंह, सलमान खुर्शीद समेत यूपी से नाता रखने वाले कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की ओर से कोई ट्वीट तक नहीं आया.
बता दें कि अजय लल्लू कुशीनगर की तमकुही राज सीट से दूसरी बार विधायक हैं. 2017 विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें सीएलपी लीडर बनाया गया था. वहीं अक्टूबर 2019 में उन्हें राजबब्बर की जगह यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. संघर्षशील नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले लल्लू पहले भी दूसरे अन्य मामलों में कई बार जेल जा चुके हैं. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद इतने दिनों के लिए वह पहली बार जेल गए हैं. पार्टी आलाकमान और वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी लल्लू के कई समर्थकों को चुभ रही है.
लल्लू के करीबी माने जाने वाले एक नेता ने बताया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की ओर से लल्लू के माता-पिता को तो फोन करके मदद का भरोसा दिया गया है. गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में लल्लू के मामले की सुनवाई है.