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Friday, 22 November, 2024
होमदेशप्रियंका गांधी के निजी सचिव पर लखनऊ में मुकदमा दर्ज, बसें भेजने के मामले में आमने-सामने योगी सरकार और कांग्रेस

प्रियंका गांधी के निजी सचिव पर लखनऊ में मुकदमा दर्ज, बसें भेजने के मामले में आमने-सामने योगी सरकार और कांग्रेस

प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस की तरफ से 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी.

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लखनऊ: प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय लल्लू के खिलाफ यूपी पुलिस ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गयी उनपर बसों की गलत जानकारी देने व हेराफेरी करने का आरोप लगा है. लखनऊ के आरटीओ आरपी त्रिवेदी की तहरीर पर धारा 420/467/468 के तहत ये मुकदमा लिखा है. बता दें कि श्रमिकों को 1000 बसें देने के मामले में कांग्रेस व यूपी सरकार एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.

इससे पहले मंगलवार शाम यूपी सरकार की ओर से जारी सूची के मुताबिक यूपी कांग्रेस की ओर से भेजी गई 1000 वाहनों से अधिक की लिस्ट में 879 ही बस हैं. इनमें 31 ऑटो/थ्री व्हीलर हैं, 69 अन्य वाहन और 70 का डाटा नहीं उपलब्ध हो सका है. इस पर कांग्रेस का कहना था कि जिन बसों का कन्फर्मेशन है कम से कम उन्हें तो भेजा जाए. कांग्रेस ने यूपी पुलिस पर आगरा बाॅर्डर पर बसें रोके जाने का आरोप लगाया है.

लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को लेकर जहां एक ओर राज्यों में आपस में ‘ब्लेम गेम’ चल रहा है तो वहीं यूपी की योगी सरकार व कांग्रेस भी आमने सामने हैं और दोनों में जुबानी जंग तेज हो गई है.

दरअसल बीते सोमवार मुख्यमंत्री योगी सरकार ने कांग्रेस महासचिव व यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी की एक हजार बसें चलाने के प्रस्ताव को स्वीकार तो कर लिया लेकिन इसे दांव पेंच में उलझा दिया है.

पहले तो यूपी सरकार ने प्रियंका गांधी से सभी बसों के नंबर व ड्राइवरों की डिटेल मांगी फिर बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट मांगा. फिर बसें लखनऊ भेजने को कहा गया लेकिन  मंगलवार सुबह पिछले आदेश को बदलते हुए लखनऊ के बजाए नोएडा, गाजियाबाद बस ले जाने को कहा, जिसके बाद कांग्रेस और योगी सरकार आमने-सामने है.

रातभर चला दांव-पेंच

बीते सोमवार द़ो़पहर यूपी के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी की ओर से प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र लिखकर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर और ड्राइवर से जुड़ी जानकारी मांगी गई. फिर दोनों ही पार्टियों के अधिकारियों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हुआ.

दोपहर में मिले खत का जवाब प्रियंका के निजी सचिव संदीप द्वारा दिए जाने के बाद यूपी के अपर मुख्य सचिव ने रात 11.40 पर फिर एक खत जारी किया और जो रात में ही प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को मिला. इस खत में अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने सभी बसों की जानकारी के साथ बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइवर के लाइसेंस की विस्तृत जानकारी सुबह 10 बजे तक लखनऊ के ज़िलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा.

इस खत का जवाब प्रियंका के सचिव संदीप ने रात 2.30 बजे दिया और कहा, ‘बीजेपी सरकार का रेस्पाॅन्स अमानवीय है. बीजेपी सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर राजनीति कर रही है.’

बता दें जब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी योगी सरकार पर निशाना साधने लगे तब सरकार ने एक और निर्देश जारी किया और कहा,  ‘500-500 बसें नोएडा व गाजियाबाद में डीएम के सामने पहुंचाएं.’

इसके बाद मंगलवार सुबह यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय लल्लू ने योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘श्रमिक विरोधी सरकार’ कहा और ट्वीट किया, ‘बसें कहां बनी है, पहिये कहां बने है…कंपनी कौन सी है? ड्राइवर ने ट्रेनिंग कहां से ली है? यह भी पूछ लेते सरकार.’

खबर जारी किए जाने तक यह पता नहीं चल सका है कि बसें कहां तक पहुंची हैं. लेकिन इस बीच भाजपा यूपी के प्रवक्ता डॉ. चंद्र मोहन ने इस पूरे मामले को और हवा दे दी और ट्वीट किया, रातों रात बाइक-टेंपों में बदल गईं कांग्रेसियों की हजार बसें.

उन्होंने आगे लिखा, ‘सत्ता की छटपटाहट में कांग्रेसियों ने एक बारफिर अपना पुराना हुनर दिखा दिया है. प्रवासी श्रमिकों को ले जाने के नाम पर यूपी सरकार को सौंपी बसों की सूची में बाइक, ऑटोरिक्शा और कारों के नंबर भी मिले हैं.’

 

बीते 16 मई को प्रियंका गांधी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कांग्रेस द्वारा 1000 बसें यूपी में चलाने की अनुमति मांगी थी. इसमें कहा गया था कि कांग्रेस 500 बसें नोएडा बॉर्डर व 500 बसें गाजियाबाद बॉर्डर से यूपी के तमाम शहरों के लिए चलाना चाहती है. ये बसें खासतौर पर एनसीआर में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने में मदद करेंगी. योगी आदित्यनाथ के इस कदम की राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा है.

यूं ही नहीं मान ली शर्त

सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले कई दिनों से प्रियंका गांधी सोशल मीडिया पर मजदूरों को घर पहुंचाने के मामले में योगी सरकार पर ‘लापरवाही’ के आरोप लगा रही थीं. यही नहीं बीते रविवार को कांग्रेस नेताओं द्वारा राजस्थान से कई बसें लाकर मथुरा बॉर्डर पर खड़ी कर दी गईं और कहा गया, योगी सरकार इन्हें आगे की परमीशन नहीं दे रही है. ऐसे में योगी सरकार ने पलटवार करते हुए 1 हजार बसों की डिटेल व ड्राइवरों की डिटेल मांग ली है जो अभी सीएम ऑफिस को नहीं मिली हैं.


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सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है, ‘कांग्रेस को इस कदम से अहसास हो जाएगा कि इतनी भारी संख्या में श्रमिकों को एक शहर से दूसरे शहर ले जाना इतना आसान नहीं होता, अगर उन्हें रास्ते में कोई दिक्कत आती है तो इसकी जिम्मेदार कांग्रेस होगी.’

यूपी बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस प्रवासी मजदूरों के नाम पर केवल नौटंकी कर रही है. जब सरकार ने लिस्ट मांगी तो यूपी कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि अभी हम लिस्ट बना रहे हैंं.’

वह आगे कहते हैं, ‘यानि कांग्रेस की कोई तैयारी नहीं थी, ये झूठ बोल रहे हैं कि यूपी बॉर्डर पर इनकी एक हजार बसें खड़ी हैं. कांग्रेस शासित राज्यों से क्यों नहीं बसें उपलब्ध कराईं, क्यों मजदूरों को ट्रकों पर बैठा दिया गया है. ये सिर्फ इनका पब्लिसिटी स्टंट है.’

वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा है कि उनकी ओर से लिस्ट तैयार है. ड्राइवरों से संबंधित डिटेल उसमें जोड़कर सीएम को उपलब्ध करा दी जाएगी.

लल्लू के मुताबिक, ‘सीएम ऑफिस में खुद उन्होंने प्रियंका गांधी का पत्र जाकर सौंपा था. लेकिन, दोपहर तक कोई जवाब नहीं आया. अब सरकार की ओर से इसको स्वीकार करने का पत्र आया है और जो डिटेल मांगी गई हैंं वे सारी हमने एकत्रित कर ली हैं.’

अखिलेश न रहें चर्चा में

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी का प्रस्ताव मानकर सीएम योगी ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं. एक तरफ कांग्रेस के दावों की पोल खोलने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ यूपी के मुख्य विपक्षी दल के नेता व पूर्व सीएम अखिलेश यादव को इस चर्चा से दूर कर दिया है.

अखिलेश यादव भी सरकार पर प्रवासी मजदूरों से जुड़े मुद्दे पर लगातार निशाना साध रहे हैं लेकिन चर्चा में तो अब प्रियंका गांधी हैं. बीजेपी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, इससे बड़ी टीस अखिलेश के लिए क्या हो सकती है कि चौथे नंबर की पार्टी की नेता की चर्चा दूसरे नंबर की पार्टी से ज्यादा है.


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कांग्रेस से जुड़े एक सूत्र की मानें तो इससे पहले सोनभद्र में दलित के नरसंहार के मुद्दे को उठाया, जिस पर सरकार ने कार्रवाई की, डीएचएफएल के मामले को उठाया जिस पर भी योगी सरकार की ओर से कार्रवाई की की गई. वहीं सेंगर और चिन्मयानंद मामले में भी प्रियंका गांधी की एक्टिवनेस के बाद योगी सरकार ने कदम उठाए.

दूसरी ओर अखिलेश यादव सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं. लेकिन उनके द्वारा उठाए मुद्दों पर योगी सरकार की ओर से न कोई कार्रवाई हुई और न ही इस तरह से पत्र लिखकर कोई प्रस्ताव स्वीकार किया गया. इससे साबित होता है कि कांग्रेस यूपी में सबसे एक्टिव विपक्षी दल है.

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