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Friday, 8 November, 2024
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छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल ने किया 80 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन का दावा, उद्योगपतियों ने नकारा

हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उद्योगपतियों और औद्योगिक संगठनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में यह बात कही थी.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि राज्य में 22 मार्च से निरन्तर जारी लॉकडाउन के बावजूद भी 80 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन अपने सामान्य ढर्रे पर है. हालांकि प्रदेश के उद्योगपति इससे सहमत नजर नहीं आए. उनका मानना है उन्हें अभी 50 प्रतिशत श्रमिकों के साथ ही अपना काम दोबारा चालू करना पड़ा है जिसके कारण वर्तमान में उत्पादन कार्य ही 50-60 प्रतिशत छोटे एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों में हो रहा है. उद्यमियों के अनुसार स्थिति को सामान्य होने में कम से कम 6 महीने या फिर उससे अभी अधिक लग सकता है.

हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उद्योगपतियों और औद्योगिक संगठनों के साथ एक बैठक में कहा कि ‘राज्य के सभी उद्योगों में फिलहाल 80 प्रतिशत के आस-पास उत्पादन चालू है और आने वाले दिनों में यहां के उद्योग शत-प्रतिशत प्रोडक्शन करने लगेंगे.’

मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से कहा कि श्रमिकों की कमी को देखते हुए वे अपने उद्योग-धंधों के संचालन के लिए स्थानीय श्रमिकों की सेवाएं ज्यादा लें ताकि कोरोना संक्रमण की स्थिति राज्य में नियंत्रित रहे और स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मिले.

बघेल ने उद्योगपतियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में यह भी दावा किया था कि ‘लॉकडाउन में राज्य के उद्यमियों द्वारा अपने यहां काम करने वाले श्रमिकों के रहने और उनके भोजन की व्यवस्था किए जाने की वजह से छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को परेशानी नहीं हुई जबकि दूसरे राज्यों में उद्योगों के बंद होने से अफरा-तफरी का माहौल रहा और श्रमिक अपने राज्य वापस लौटने के लिए सड़कों पर उतर आए.’


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उद्योगपति सहमत नहीं मुख्यमंत्री के दावे से

परंतु दिप्रिंट द्वारा जब स्थानीय उद्योगपतियों से संपर्क किया गया तो वे सरकार और मुख्यमंत्री के दावे से सहमत नजर नहीं आए. उद्यमियों ने बताया कि 80 प्रतिशत उत्पादन इतनी जल्दी नहीं हो सकता है क्योंकि लॉकडाउन के बाद उनको उत्पादन के लिए कच्चा माल और उसके खपत के लिए बाजार, परिवहन और मजदूरों की उपलब्धता जैसी व्यावहारिक दिक्कतों का समाधान आसान नहीं होगा.

इन उद्यमियों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा उद्योगों को चालू करने की अनुमति दिए जाने के बाद अभी सिर्फ 50-60 प्रतिशत एमएसएमई इकाइयां ही चालू हो पायी हैं. स्टील औद्योगिक प्रतिष्ठानों की एक बड़ी संख्या तो अभी 25-30 प्रतिशत ही चालू हो पायी हैं. ये इकाइयां भी उत्पादन की दृष्टि से अभी मेंटेनेंस का कार्य कर रहीं हैं.

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र उरला औद्योगिक संघ के अध्यक्ष अश्विन गर्ग का कहना है, ‘प्रदेशभर की कुल एमएसएमई में से अभी 50-60 प्रतिशत ही चालू हो पायी हैं. इनमें भी उत्पादन का कार्य आधे से कम श्रमिकों की उपस्थिति में करना पड़ रहा है. करीब 80 प्रतिशत भारी उद्योग जैसे सीमेंट, लौह अयस्क आधारित इकाइयां, स्टील और पावर जिनकी संख्या प्रदेश में 50 के करीब है चालू हो गयी हैं लेकिन इनका उत्पादन भी बहुत कम है क्योंकि बाजार की मांग अभी न के बराबर है.’ इन उद्योगपतियों का यह भी कहना है कि प्रदेश में बड़े स्तर पर औद्योगिक उत्पादन की वापसी कम से कम 6 महीने बाद ही दिखेगी.

कच्चे माल की आपूर्ति, परिवहन और अन्य बाधाएं

उद्योग संघों के प्रतिनिधियों का कहना है कि उत्पादन के लिए कच्चा माल काफी बड़ी मात्रा में प्रदेश के बाहर से आता है. इसकी ढुलाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राज्यीय परिवहन चालू किए जाने के बावजूद लॉकडाउन के बाद काफी दिक्कतें आएंगी.

गर्ग कहते हैं, ‘उद्योगों के लिए असली परीक्षा की घड़ी तो लॉकडाउन के बाद आएगी, कच्चे माल और उत्पाद दोनों के परिवहन के लिए परेशानी लॉकडाउन के बाद शुरू होने वाली है क्योंकि सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ज्यादातर चालक वापस जा चुके हैं और अब मात्र 30 प्रतिशत ढुलाई वाले वाहन ही सड़क पर आ सकते हैं.’

छत्तीसगढ़ फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मनोज तापड़िया भी सरकार के 80 प्रतिशत उत्पादन वाले दावे से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. वे कहते हैं, ’80 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन तो इतनी जल्दी होना बहुत मुश्किल है क्योंकि अभी तक सरकार के कहने से 50 प्रतिशत एमएसएमई यूनिट्स चालू तो हो गई हैं लेकिन इनमें काम करने ले लिए आवश्यक श्रमिकों की संख्या नही है.’

तापड़िया कहते हैं ‘अब जो मसले आएंगे लॉकडाउन के दिनों वाली परेशानी से ज्यादा कठिन होंगे. बाजार की समस्या, श्रमिकों को वापस बुलाना, लेबर का भुगतान, परिवहन जैसी परेशानी बहुत ज्यादा होगी. उत्पादन के पुराने अस्तित्व की बहाली 15 दिनों या फिर एक महीने में नहीं होगी. ज्यादातर श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं और अब उनके जल्दी वापस आने की उम्मीद कम है’

हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि उद्यमियों की इस चिंता के समाधान के लिए उसने सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि अन्य राज्यों से आने वाले कच्चे माल एवं अन्य आवश्यक सामग्री बिना किसी रुकावट के छत्तीसगढ़ के अंदर आना सुनिश्चित करें.


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राज्य के उत्पाद जहां जाते हैं ज्यादा वे बने हैं कोरोना के रेड जोन

गर्ग और तापड़िया दोंनो का कहना कि छत्तीसगढ़ के उत्पादों के मुख्य बाजार महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हैदराबद, तमिलनाडु हैं जहां निर्माण के प्रोजेक्ट बड़ी तादात में चलते हैं. उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि इन राज्यों के मुख्य शहर अब कोरोना के हॉटस्पॉट बन चुके हैं जिसके कारण हमारे उत्पादों के लिए मार्केट अभी पूरी तरह से बंद हैं. मार्केट जब तक नहीं खुलेगा तब तक उत्पादन का सही अंदाज नहीं लगेगा.

तापड़िया के अनुसार ‘पिछले 4-5 दिनों में जो डिमांड आयी है वह सुबह 4-5 घंटे के लिए खुलने वाले लोकल मार्केट की है. अभी जो माल उत्पादकों के पास बचा हुआ था उसी की खपत हो रही है. बड़े बाजार की डिमांड तो अभी तक आयी नहीं, इसिलिये उत्पादन बड़े पैमाने पर चालू नही होंगे.’

वहीं उद्योगपतियों की चिंता को देखते हुए मुख्यमंत्री का कहना है कि ‘उद्योगपति उत्पादों की सप्लाई के बाजार देश के ग्रीन जोन वाले जिलों में ही एहतियात बरतते हुए बनाएं जिसमें राज्य सरकार उनकी पूरी सहायता करेगी और जरूरी होने पर अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों से चर्चा कर उचित व्यवस्था भी बनाएगी.’

छत्तीसगढ़ में सभी श्रेणियों को मिलाकर 44 हजार से भी अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं जिनकी प्रदेश के कुल जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इन इकाइयों में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा खनिज आधारित हैं. सरकार के अनुसार 2020-21 में प्रदेश की अनुमानित जीडीपी करीब 3.63 लाख करोड़ रहने वाली है. इन इकाईयों में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा खनिज आधारित हैं. निजी क्षेत्र में जो बड़े उद्योग हैं उनमें अम्बुजा सीमेंट, बिरला, जिंदल पावर, एस्सार, लाफार्ज, एल एंड टी, जेके लक्ष्मी, वेदांता और एनएमडीसी.

प्रदेश में पूंजी निवेश वाले मुख्य औद्योगिक क्षेत्र स्टील और उससे संबंधित उद्योग, पावर आधारित, सीमेंट, एल्युमीनियम और खनिज उद्योग हमेशा से माने जाते रहे हैं.

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