नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भारत में कोविड-19 के प्रकोप के बीच कई महत्वपूर्ण नियमित सरकारी कार्यों की पृष्ठभूमि में मंत्रालयों से अल्पकालिक कार्य योजनाएं मांगी हैं.
सूत्रों के मुताबिक पीएमओ ने मंत्रालयों से 10 सुधार योजनाएं मांगी हैं जो वो आने वाले छह महीनों में लागू कर पाएंगे.
एक मंत्रालय के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि मंत्रालयों की तरफ से विस्तृत तौर पर पीएमओ को जवाब भेजा जाएगा.
अधिकारी ने कहा कि प्रारूप, जिसे दिप्रिंट द्वारा देखा गया है, में एक मंत्रालय के लिए अलग-अलग कॉलम होंगे, जो प्रस्ताव या गतिविधियां शुरू करने की योजना, उन्हें लागू करने के लिए समय, उनके कार्यान्वयन और उनके परिकल्पित परिणामों के लिए आवश्यक संसाधन या कार्रवाई, उसमें शामिल हैं.
मंत्रालय के अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी पिछले कुछ हफ्तों में घर से काम कर रहे थे.
तब से, मंत्रालयों के दैनिक आवश्यक सरकारी काम ईमेल, व्हाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा पूरे किए जाते थे और ई-ऑफिस के जरिए जरूरी फाइलें पास की जाती थी.
समयबद्ध कार्ययोजनाओं की तलाश करने के लिए पीएमओ के निर्णय से संकेत दिया जा सकता है, जो कि ऊपर कहा गया है. अधिकारी ने कहा, ‘कार्यालय में कर्मचारियों को वापस बुलाने और हाल ही में शीर्ष स्तर के नौकरशाही में फेरबदल का निर्णय भी महत्वपूर्ण उद्देश्य से किया गया है.’
दिप्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पीएमओ ने मंत्रालयों को 100 दिनों में कोविड-19 लॉकडाउन के बैकलॉग को हटाने के लिए कहा था.
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हालांकि, 20 अप्रैल के बाद से, मंत्रालय उप सचिव के रैंक के ऊपर के पूर्ण कार्यरत कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है.
फैसले ने कुछ पहलुओं में, बैकफायर भी किया है. उदाहरण के लिए, मध्य दिल्ली स्थित नीति आयोग की इमारत को मंगलवार को सील कर दिया गया था, जब एक कर्मचारी कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था.
ये पहली बार नहीं है
यह पहली बार नहीं है कि मोदी सरकार ने मंत्रालयों को विशिष्ट समयबद्ध योजनाएं बनाने के लिए कहा है. पिछले साल सत्ता संभालने के तुरंत बाद, सरकार ने मंत्रालयों को 100 दिवसीय योजना और पांच-वर्षीय दृष्टि दस्तावेज तैयार करने का काम सौंपा था.
पंचवर्षीय योजना दस्तावेज में अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य थे और एक महत्वपूर्ण प्रभावशाली निर्णय था, जिसे सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर अनुमोदित करने की आवश्यकता थी.
सरकार ने अपने 100 दिनों के शासन में प्रमुख और ‘साहसिक पहल’ पर एक पुस्तिका भी जारी की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को लद्दाख से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अपना निर्णय शामिल था. और पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधार भी शामिल था.
पिछले साल जून में कैबिनेट सचिव पी.के. सिन्हा ने प्रत्येक मंत्रालय/ विभाग के लिए वार्षिक उप-योजना, समय के साथ पांच-वर्षीय दृष्टि दस्तावेज को अंतिम रूप देने के लिए सचिवों के 10 क्षेत्रीय समूहों का पुनर्गठन किया था, जिनमें से कई मंत्रियों की परिषद में किए गए हैं. शासन के प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सचिवों के इन 10 समूहों का पहली बार 2016 में गठन किया गया था.
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार पीएमओ ने हाल ही में अपने काम को 15 श्रेणियों में बांटा है और हर श्रेणी के काम की जिम्मेदारी पांच अच्छे अधिकारियों को दी है.
पीएमओ चाहता है कि एनडीएमए मंत्रालयों, राज्यों में कोविड-19 के काम का दस्तावेजीकरण करे
पीएमओ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को कोविड-19 से लड़ने के लिए मंत्रालयों और राज्यों द्वारा किए गए सभी कार्यों का दस्तावेजीकरण करने के लिए भी कहा है.
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16 अप्रैल को पीएमओ द्वारा जारी एक आदेश में केंद्र सरकार के सभी सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को चिह्नित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के मद्देनजर, एनडीएमए को कोविड महामारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सहायता समूह के साथ मिलकर किए गए ‘सभी निर्णयों/ गतिविधियों’ का दस्तावेजीकरण करना चाहिए.
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभिन्न राज्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार महामारी से लड़ने के लिए विभिन्न कार्रवाई और कदम उठा रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ‘उनका दस्तावेजीकरण भविष्य में संदर्भों में मदद करेगा, जब भी इसकी आवश्यक होगी.’
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