दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गये दिन के सबसे अच्छे कॉर्टून
आज के विशेष रुप से प्रदर्शित कार्टून में, पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच के गतिरोध को मंजुल चित्रित कर रहे हैं.
आर. प्रसाद अपने कार्टून में यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल टिप्पणी की थी, जो लोग हिंसक होते हैं, उन्हें उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है, ने अरब जगत की आलोचनाओं के मद्देनजर अच्छी तरह से पकाया नहीं है.
ईपी उन्नी ने सरकार पर उंगली उठाते हुए कहते हैं कि वह पर्याप्त कदम नहीं उठा रही हैं जबकि वह यह कर सकती है. उन्नी ने कच्चे तेल के गिरे दाम के साथ उस बच्ची की मौत को भी दर्शाया है जो पिछले दिनों अपने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ गई.
सतीश आचार्य ने अपने कार्टून में वह 12 साल की लड़की जो लॉकडाउन में तीन दिन तक चलने के बाद अपने घर पहुंचने से पहले थक कर दम तोड़ देती है, उसे चित्रित कर रहे हैं.
अर्थ डे पर आलोक निरंतर ने पृथ्वी के बदलते चेहरे पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है. इस लॉकडाउन में जब पृथ्वी खुल कर सांस ले रही है तब देशवासियों के चेहरे पर मास्क लगा रहा है.
कीर्तीश भट दो बातों को एक साथ जोड़ कर दिखाने की कोशिश की है जिसमें उन्होंने कहा है कि तेल की दर निगेटिव हो गई है.इसमें यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि मजदूर जो गांव जा रहा है वह सोच रहा है कि ऐसा कोई टीका हो जिसे लगाते बिना खाए-पिए लोग बस चलते रहें.
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